मिस्टर गर्ग का बहुत बड़ा कारोबार है । वे शहर के जाने माने उद्योगपति हैं । उनके घर पर हर काम के लिए नोकर है । यहां तक कि बच्चों की देखभाल के लिए भी अलग अलग बच्चे के लिए अलग अलग नोकरानी है ।
आजकल सब कुछ पैसे से मिलता है । माँ की गोद और माँ की ममता भी आप पैसे से खरीद सकते हैं । अभी सनत बहुत छोटा है । उसकी देखभाल रंजू ताई कर रही है । सारा दिन वो रंजू ताई की गोद मे रहता है । उसे नहलाना,खिलाना,उसके डायपर बदलना,लोरी गा गा कर सुलाना रंजू ताई करती है ।
सनत नही जानता कि उसकी माँ कौन है। वो बस गोदी में खेलना और मचलना जानता है, लेकिन अभी तो वो रंजू ताई को ही माँ समझता है । उसको जन्म देने वाली माँ उसे दिनभर में एकाध घन्टे ही पास में रखती है क्योंकि उसकी मम्मी को किटी पार्टी में जाना होता है, मॉल जाना होता है,शॉपिंग करनी होती है ,फ्रेंड्स के साथ मूवी देखनी होती है अब सारा दिन बच्चा गोद में लेकर तो ये सब नही किया जा सकता ना । इसलिए घन्टे दो घन्टे वो मम्मी के पास रहता है और फिर रंजू ताई के पास ।
सनत भगवान की तरह है । वो दोनों औरत में भेद नही जानता । एक ने उसे जन्म दिया और एक उसे अपनी रोजी रोटी की खातिर पाल रही है ।
भगवान कृष्ण को तो कंस के भय से देवकी वसुदेव ने गोकुल में यशोदा की गोद में डाल दिया था ।
यहाँ धन की बदौलत सुख,आराम और विलास के लिए पैसे से गोद खरीदी जाती है।
ऐसी कितनी जरूरतमंद माता यशोदा बड़े घरों में हैं और धनपति नंदलाल को गोदी मे खिला रही हैं, उनकी शरारतें सह रही हैं ।
रंजूताई के पास सनत ज्यादा खुश रहता है । सनत की मम्मी जब उसे गोद मे लेती है तो थोड़ी देर में वो रंजूताई के पास जाने के लिए मचल जाता है । सनत की मासूमियत रंजू ताई को भावुक कर देती है । रंजू ताई और सनत ही सही मायनों में माँ बेटे हैं
सनत धीरे धीरे रंजू ताई की गोद मे बड़ा हो गया । अब वो स्कूल जाने लगा है ।
अब सनत समझने लगा है । मम्मी कौन है और कामवाली बाई रंजू कौन है । अब रंजूताई की यहां कोई जरूरत नही । उसे किसी और सेठ का घर तलाशना होगा, जहाँ कोई भगवान कान्हा बनकर उसके इंतजार में है । इसघर का कान्हा अब बड़ा समझदार हो गया है ।
एक दिन मिस्टर गर्ग ने रंजू को बुला कर कुछ ईनाम देकर उसका हिसाब कर दिया । रंजू अपना हिसाब लेकर चली गई ।
सनत को इससे कोई फर्क नही पड़ा । पैसे की माँ, पैसे की गोद । सनत अपनी मम्मी के साथ है। अब वो राजकुमारों की तरह पढ़ाई कर रहा है ।
वाकई बच्चे भगवान होते हैं । जब सनत को होश नही था तो क्या मम्मी और क्या रंजू ताई ? अब होश में आ गया है तो आदमी बन गया है । अब वो समझता है कौन किस औकात का है । अब उसे अपने बचपने की फोटो एलबम में रंजू ताई नोकरानी लगती है।
काश ! वो जवानी के होश में भी भगवान रहता और रंजू ताई को अपनी माँ की तरह देख पाता । तो कितनी गरीब यशोदा गरीब नही रहती ।