आपका शब्द एक अनुबंध है
हम बोलते समय शब्द के रूप में सार्थक ध्वनियों
का उच्चारण करते हैं। छन भर में हमारे मुंह से निकला हुआ शब्द पूरी दुनिया की सैर
कर आता है। विज्ञान इसे सर्वत्र सुलभ कर देता है। शब्दों के उच्चारण से जो खनक
पैदा होती है, उसमें वातावरण को बदल देने की ताकत होती है।
शब्द हमें हंसा सकते हैं, रुला सकते हैं और सोचने पर बाध्य कर सकते हैं।
जैसे शांत सरोवर में एक कंकड़ हलचल पैदा कर देता है, वैसे ही शब्द की भी प्रभाव डालते हैं।
आदमी अपने शब्दों से ही जाना जाता है। उसके बोलते ही उसकी मूर्खता या विद्वता का
भेद खुल जाता है।
शब्दों
को कोई भी स्पर्श नहीं कर सकता किंतु शब्द सभी को स्पर्श कर जाते हैं। कई बार रूढ़
शब्दों के अर्थ इतना गहरा होता हैं कि व्यक्ति को मानसिक रूप से तोड़ देता है और
भावुक क्षणों में आत्मघाती कदम उठा बैठता है। बोले गए शब्द से ही कोई व्यक्ति दिल
में उतर जाता है और कोई दिल से उतर जाता है। लोग आपकी बातों को जिन्दगी भर याद
रखते हैं।आपका शब्द एक अनुबंध है। शब्द एक हथियार है।
शब्दों
का महत्व बोलने के भाव से पता चलता है। ज्ञान से शब्द समझ में आ जाते हैं और अनुभव
से उसका अर्थ। बोला गया शब्द विचार को सीमित कर देता है। शब्दों की ताकत से
विचारों की ताकत ज्यादा होती है। इसलिए हम क्या बोल रहे हैं उससे कहीं ज्यादा
महत्वपूर्ण यह है कि हम क्या सोच रहे हैं।
हम
लोग शब्दों के घेरे में हमेशा रहते हैं। शब्द मोती भी हैं, और
पत्थर भी, आरोप- प्रत्यारोप भी है। सीमाएँ बाँध कर भी, जो
सीमित नहीं, वे ही तो शब्द हैं। कोई इन्हें तोड़-मरोड़ कर, अपना
स्वार्थसिद्ध कर मुस्कुराता है, तो कोई अपनी चाटुकारिता में इनका कौशल दिखाकर, बिना
योग्यता के आगे बढ़ता जाता है। ये शब्द ही तो हैं, जो दूसरों के दिमाग पर अधिकार कर
उन्हें कठपुतली बना लेते हैं। शब्द कहीं अवरुद्ध हैं, तो
कहीं प्रचण्ड, कहीं वास्तविकता, तो कहीं मायाजाल। शब्द, कहीं
शकुनि की चाल हैं, तो कहीं कृष्ण का उपदेश भी हैं। शब्दों की
दुनिया अन्नत है।
हमारे
शब्द हथौड़ों की तरह हैं। हम बेतहाशा उन्हें चारों ओर स्विंग और सामान को तोड़
सकते हैं। या हम उन्हें ध्यान से सामान का निर्माण उपयोग कर सकते हैं। अपने शब्दों
को देखने के लिए असली तरीका अपने दिल की घड़ी है क्योंकि वे इतनी बारीकी से जुड़े
हुए हैं। वहाँ जीभ को दिल से एक सीधी रेखा है।
शब्द
एक दर्पण की तरह है जो हमारे अंदर को उजागर करता है। जीभ भी एक छोटा सा अंग है और
वह बड़ी-बड़ी डींगे मारती है। जिस तरह से थोड़ी-सी आग से कितने बड़े वन में आग लग
जाती है। जीभ भी शब्द रूपी आग से सारी देह पर कलंक लगाती है। जीवन-गति में आग लगा
देती है। जिस प्रकार एक छोटी-सी चिंगारी एक पेड़ को आग लगा देती है, और
अंत में पूरे पहाड़ को जला देती है। उसी तरह,
एक शब्द बड़े पापों को जन्म दे सकता
है। वह आसपास के लोगों के विश्वास को भी नीचे गिराकर बुरे परिणाम ला सकता है। हमें
हमेशा अपने शब्दों के बारे में सावधान रहना चाहिए।
शब्दों का हमारे जीवन में बहुत अधिक महत्व होता है। कुछ शब्दों को बोलने पर
लोग ताली बजाते हैं तो दूसरी तरफ कुछ शब्दों को बोलने पर लोग आपत्ति जताते हैं।
कभी-कभी नौबत तो मार पीट तक की भी आ जाती है। इसलिए हमें अपने शब्दों को बहुत ही
तौलकर बोलना चाहिए। हमारे शब्द किसी को ठेस भी पहुंचा सकते हैं। एक कहावत है, “एक
शब्द के द्वारा ऋण रद्द किया जाता है।” इसका मतलब है कि शब्द का प्रभाव बहुत महान है।
किसी ने ठीक ही कहा है "शब्द शब्द सब कोई कहे, शब्द के हाथ न पांव, एक
शब्द औषधि करें और एक शब्द करें सौ घाव।
हमारे आसपास ऐसे कई लोग होते हैं जो
शब्दों के बालों से हमारे दिल को छलनी कर देते हैं। वह होते तो हमारे प्रिय हैं
लेकिन कभी-कभी इनका व्यवहार बहुत अजीब हो जाते हैं। ऐसे लोग ऑफिस में भी होते हैं और घर में भी। जब
यह हम पर आरोप लगाते हैं। ताने मारते हैं तो हम समझ नहीं पाते कि क्या किया जाए।
नौकरी छोड़े या रिश्ता तोड़े। यदि इंसान
इंसान के साथ रहना हमारी मजबूरी है तो हमारे पास तीन विकल्प होते हैं। इसी इस
परिस्थिति को संभालने के लिए एक उनकी बातों को सुख अवशोषित लेना। दो सामने वाले पर
उसी रूप में प्रतिक्रिया देना और तीन सामने वाले द्वारा भेजी गई नकारात्मक ऊर्जा
को सकारात्मक रूप में बदल देना। सोचने वाली बात यह है कि जब कोई बच्चा अपनी मां पर
कोई चीज भेजता है तो क्या मां वह चीज उल्टा उस पर फेंक दी है। नहीं वह बच्चे को
समझाती है। उसके दिमाग को समझती है और बदले में प्यार देती है। जब हम बच्चे के साथ
यह कर सकते हैं तो सभी इंसानों के साथ क्यों नहीं। जब हम लोगों के साथ बिल्कुल वैसा ही व्यवहार
करते हैं जैसे उन्होंने हमारे साथ किया तो हमारे में और उनमें अंतर क्या रह जाएगा।
इस तरह तो हम भी उसी इंसान जैसे बन जाते हैं जिसे हम गलत समझते हैं। इसके विपरीत अगर आप उनकी बातों का जवाब नहीं
देती ताने बस सुनते रहते हैं तो यह चीज हमारे अंदर नफरत गुस्सा भर्ती जाती है जो
बाद में बड़ी बीमारी का रूप ले लेती है। क्योंकि इस तरह का नकारात्मक ऊर्जा को सुख
रहे होते हैं। हमें यह समझना होगा कि सामने वाला दर्द में है उसे भावनात्मक चोट
लगी है। तभी वह ऐसा व्यवहार कर रहा है। उसे चिकित्सा प्यार वह मदद की जरूरत है।
यदि आपको लगता है कि सामने वाला ऐसा ही रहेगा बदलेगा नहीं तब अंतिम उपाय है खुद को
बचाना। आप यह मान ले कि सामने वाला हाथ में एक धार वाला हथियार यानी कि कठोर शब्द
लिए पैदा हुआ है अब हमारे पास तीन विकल्प है या तो हम बार-बार उस इस्तेमाल को उस
हथियार से हमें चोट पहुंचाने दिया हम भी वैसा ही हथियार उठा ले और दोनों एक दूसरे
को जख्मी कर दे या अपने आसपास एक दाल बना ले ताकि वह जब भी हथियार चलाने हमें चोट
न पहुंचे।
यदि आपके बॉस की आदत है बार-बार चिल्लाने की तो
उन्हें एक भावनात्मक रूप से बीमार व्यक्ति समझ कर माफ कर दे शांत रहें खुद को इतना
मजबूत बनाएं कि सामने वाले के चिल्लाने ताना मारने का आप पर असर ही ना हो आप बस
अपने चेहरे पर मुस्कुराहट बनाए रखें।
शब्द हमारे जीवन के हर पहलू का एक बड़ा हिस्सा
हैं। शब्दों के बिना एक दुनिया की कल्पना करना मुश्किल है। अपने शब्दों के लिए आप
बरी कर दिया जाएगा, और अपने शब्दों से आपकी निंदा की
जाएगी। हमारे शब्दों द्वारा न्याय किया जा सकता है क्योंकि वे क्या हमारे दिल में
हो रहा है, की एक सटीक प्रतिबिंब हैं। भगवान सारी सृष्टि
पर छिपे हुए कैमरा है। हमारे शब्द गवाह के रूप में खड़े होंगे। हमारे खिलाफ गवाही
या साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है।