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विश्व पुस्तक दिवस

8 दिसम्बर 2024

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  उच्च उद्देशीय अंतरराष्ट्रीय सहयोग तथा विकास
की भावना से प्रेरित 193 सदस्य देश तथा 6 सहयोगी सदस्यों की संस्था यूनेस्को
द्वारा विश्व पुस्तक तथा स्वामित्व (कॉपीराइट) दिवस का औपचारिक शुभारंभ 23
अप्रैल 1995 को हुआ था। इसकी नींव तो 1923
में स्पेन में पुस्तक विक्रेताओं द्वारा प्रसिद्ध लेखक मीगुयेल डी सरवेन्टीस को
सम्मानित करने हेतु आयोजन के समय ही रख दी गई थी। उनका देहांत भी 23
अप्रैल को ही हुआ था। 

 मध्यकाल में 23 अप्रैल के दिन प्रेमी अपनी प्रेमिका
को गुलाब का फूल भेंट करता था तो प्रेमिका उत्तर में अपने प्रेमी को एक पुस्तक
देती थी। ऐसी एक फूल के बदले पुस्तक देने की परंपरा भी उस समय प्रचलित थी। 23
अप्रैल का दिन साहित्यिक क्षेत्र में अत्यधिक महत्वपूर्ण है चूँकि यह तिथि साहित्य
के क्षेत्र से जुड़ी अनेक विभूतियों का जन्म या निधन का दिन है। उदाहरणार्थ
1616 में 23 अप्रैल को सरवेन्टीस, शेक्सपीयर
तथा गारसिलआसो डी लाव्हेगा, मारिसे ड्रयन, के. लक्तनेस, ब्लेडीमीर
नोबोकोव्ह, जोसेफ प्ला तथा मैन्युएल सेजीया के जन्म/ निधन
के दिन के रूप में जाना जाता है। विलियम शेक्सपीयर के तो जन्म तथा निधन की तिथि भी
23
अप्रैल थी। अतः विश्व पुस्तक तथा कॉपीराइट दिवस का आयोजन करने हेतु 23
अप्रैल का चयन एक निश्चित विचारधारा के अंतर्गत किया गया। 

 वर्तमान में यह आयोजन विश्व के 100
देशों में इंग्लैंड तथा आयरलैंड को अपवादस्वरूप छोड़कर किया जाता है। स्थानीय
कारणों से इंग्लैंड तथा आयरलैंड में यह आयोजन 3 मार्च को होता है। विश्व पुस्तक तथा कॉपीराइट दिवस ‘इन्हेन्स
बुक रीडिंग हैबिट्स’ के एकमात्र महत्वपूर्ण उद्देश्य से प्रेरित है।
इसके माध्यम से इस प्रवृत्ति को विशेषकर बच्चों में प्रोत्साहित करना है। वर्तमान
में 100 देशों में लाखों नागरिक, सैकड़ों
स्वयंसेवी संगठन, शैक्षणिक,
सार्वजनिक संस्थाएँ, व्यावसायिक
समूह तथा निजी व्यवसाय से जुड़े व्यक्ति ‘विश्व पुस्तक तथा कॉपीराइट दिवस’ मनाते
हैं। इस पृष्ठभूमि तथा वर्तमान सामाजिक एवं शैक्षणिक वातावरण के परिणामस्वरूप
विश्व पुस्तक तथा कॉपीराइट दिवस का ऐतिहासिक महत्व हो गया है। 

 पुस्तकें ज्ञान तथा नैतिकता की संदेशवाहक, अखंड
सम्पत्ति, भिन्न-भिन्न प्रकार की संस्कृति हेतु एक खिड़की
तथा चर्चा हेतु एक औजार का काम करती हैं तथा भौतिक वैभव के रूप में देखी जाती हैं।
इसके कारण रचनात्मक कलाकारों के स्वामित्व की रक्षा भी होती है। इस अवसर हेतु
आयोजित जनजागरण कार्यक्रम का सकारात्मक प्रभाव समाज पर पड़ता है। 

कुछ लोग किताबों की तरह, जिन्हें
हम पढ़ना चाहते हैं, जिन्हें हम महसूस करना चाहते हैं। अक्षर अक्षर
हमारे जेहन में एक तस्वीर बनाता है, नहीं होना चाहते हम उन पुस्तकों से दूर जिनकी
खुशबू में हम जीते हैं। जिनके शब्दों के भंडार हमें स्वभाविक बनाते हैं। किताबों
में क्या होता है, ऐसा जिसे हम पाना चाहते हैं, जिसके
पाने से सारी ख्वाहिशें पूरी हो जाती हैं। क्या वह अभिव्यक्ति जिसने हमें जीवन की
राह बताएं या फिर वह सपना जो बंद और खुली दोनों आंखों से देखा गया है। साकार होते
जीवन और शिकार करती परिस्थितियां हमें सिखाती हैं, जीवन में मार्ग तलाशना वह सिखाते हैं, हमें
एक भविष्यवक्ता बनाना जिनमें नहीं होता कोई छल नहीं होता कपट वह दिखाती हैं।  

हमें वह भविष्य आज होती जा रही हैं, किताबें
और उनकी दुनिया पुस्तकालयों की जगह ई लाइब्रेरी ने ले ली उसमें भी यदि आपके पास
मीडिया रूपी संदर्भ नहीं है, तो आप पुस्तके नहीं पढ़ सकते। और हमें होती है
पीड़ा कि क्या लिखे गए थे हमारे ग्रंथ इसीलिए क्या हमारी आदि और अनादि तक की जीवन
भर की उपलब्धियां ऐसे ही खो जाएंगी। समय रहते आवश्यकता नहीं कि हम कुछ सीखें क्या
यह आवश्यकता नहीं कि हम अपने जीवन में पुस्तक रूपी भंडार को अपनाएं। क्या खो गई है
वह ख्वाहिशें? वह सपने जिनके लिए सदैव हमारे मां-बाप प्रेरित
करते आए हैं, कि पढ़ो यह तुम्हारे जीवन में आवश्यक है।  

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रचनाएँ
किताब से संवाद
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किताबों की दुनिया अनन्त है। वे कभी आपको निराश नहीं करती। हर पुस्तक आपसे संवाद स्थापित करती है। बातें करती हैं, बीते जमाने की, दुनिया की, इंसानों की, आज की, कल की, एक-एक पल की। वे किसी न किसी रूप में आपके ज़हन का हिस्सा बन जाती है और आपके व्यक्तित्व को प्रभावित करती है। मन में स्थाई भाव पैदा करती है, जो कभी खत्म नहीं होता। किताबें मित्रों में सबसे शांत, बुद्धिमान और शिक्षकों में सबसे धैर्यवान है। पुस्तकें प्रत्येक छात्र के जीवन में कल्पना की दुनिया से परिचित कराने, बाहरी दुनिया का ज्ञान प्रदान करने, उनके पढ़ने, लिखने और बोलने के कौशल में सुधार करने के साथ-साथ स्मृति और बुद्धिमत्ता को बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। किताबें तमाम शंकाओं का तथ्यात्मक समाधान करती हैं लेकिन गूगल के दौर में किताबों के प्रति हमारा लगाव, हमारी रुचि कम होती जा रही है। बच्चों के लिए पढ़ाई जरूरी भी है और मजबूरी भी, लेकिन उनके साथ-साथ हर उम्र के लोगों के लिए पढ़ना आवश्यक है। वर्तमान इंटरनेट युग में पुस्तकों का उपयोग कम हुआ है लेकिन महत्व अभी भी उतनाही है। स्कूल की पढाई से लेकर कॉलेज तक किताबों से हमारा मित्रता का रिश्ता होता है। क, ख, ग से लेकर अल्फा बीटा तक कि पढ़ाई हम पुस्तकों के माध्यम से करते है। पुस्तक से हमारे मन का अंधकार दूर होता है। स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान के बारे में जानकारी पुस्तक के जरिये ही दी जाती है। पुस्तक बच्चों से लेकर बड़ो तक सब के लिये महत्त्वपूर्ण होते हैं। बच्चे अपनी प्रारंभिक शिक्षा पुस्तकों के माध्यम से लेते हैं, तो वही बुजुर्ग उसे अपने मनोरंजन के साधन के रूप में या धार्मिक कार्यों की पूर्ति हेतु करते हैं। अर्थात वे हर क्षेत्र और उम्र में जरूरी होते हैं। ऑनलाइन पुस्तकों कही भी ले जाना बड़ा आसान होता है और फटने और कीड़े लगने से सुरक्षित भी रखा जा सकता है। कई लोग इसे पढ़ना पसंद करते हैं तो कुछ ऑनलाइन पुस्तकों को जमाना चाहे जो भी हो, पुस्तकें सदैव जरुरी रहे हैं और रहेंगे। यह आपको सदैव कुछ नया ही सिखाती है। इन्हें आसानी से अपने फ़ोन में भी सुरक्षित रखा जा सकता है। इन्हें आप अपने साथ कही भी ले जा सकते हैं और इनका आनंद उठा सकते हैं।
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किताबों की दुनिया अनन्त है

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 किताबों की दुनिया अनन्त है  किताबों की दुनिया अनन्त है। वे कभी आपको निराश नहीं करती। हर पुस्तक आपसे संवाद स्थापित करती है। बातें करती हैं, बीते जमाने की, दुनिया की, इंसानों की, आज की, कल की, एक

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किताबें बहुमूल्य होती है

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  किताबें बहुमूल्य होती है। ज्ञान का भंडार होती हैं। किताबें तमाम शंकाओं का तथ्यात्मक समाधान करती हैं लेकिन गूगल के दौर में किताबों के प्रति हमारा लगाव, हमारी रुचि कम होती जा रही है। बच्चों के लिए

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किताबें पढ़ने से हमेशा फायदे मिलते हैं

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   पुस्तकें व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। एक व्यक्ति जो नियमित रूप से किताबें पढ़ता है, उसके पास एक अच्छा व्यक्तित्व होता है और यह उन लोगों की तुलना में अधिक आश्वस्त होता है

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किताबें आत्मविश्वास बढ़ाता है

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हमारे इतिहास में कई महापुरुष रहे हैं और उनके वक्तव्य और ज्ञान भरी बातों को हम आसानी से पुस्तकों में पढ़ सकते हैं। जैसा कि गांधीजी, जो भले आज हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनकी विचारधारा अभी भी जिन्दा

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किताबों की महिमा अपार है

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किताबों की महिमा अपार है। कहा जाता है कि जब एक लाइब्रेरी खुलता है तो एक जेल बंद हो जाता है। यानी कि किताबें आपको अपराधिक गतिविधियों की ओर जाने से रोकती हैं। जरूरत पड़ने पर गवाही देती है। इतनाही ही

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आपका शब्द एक अनुबंध है

8 दिसम्बर 2024
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 आपका शब्द एक अनुबंध है     हम बोलते समय शब्द के रूप में सार्थक ध्वनियों का उच्चारण करते हैं। छन भर में हमारे मुंह से निकला हुआ शब्द पूरी दुनिया की सैर कर आता है। विज्ञान इसे सर्वत्र सुलभ कर देता

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