किताबों की महिमा अपार है। कहा जाता है कि जब
एक लाइब्रेरी खुलता है तो एक जेल बंद हो जाता है। यानी कि किताबें आपको अपराधिक
गतिविधियों की ओर जाने से रोकती हैं। जरूरत पड़ने पर गवाही देती है। इतनाही ही
नहीं आपको सच बोलने के लिए मजबूर करती है। किताबों पर समाज की अटूट विश्वास है
वरना गीता / कुरान पर हाथ रखकर कसम खाने से लोग नहीं घबराते। इंटरनेट युग के कारण
किताबों की महत्व कम नहीं हुआ है। यह सर्व सुलभ हो गया है। जब आप गूगल में विषय
ढूंढते हैं तो पीडीएफ के रूप में वहां भी किताबें ही मिलती हैं। आज महंगाई के दौर
में कपड़े, जूते, पीजे महंगे हुए हैं। किताबें तो आज भी चाय
समोसे के मूल्य पर मिल जाएंगे।
जब
आप घर बनवाते हैं तो शौचालय, रसोई, पूजा घर निश्चित रूप से बनवाते हैं तो एक कमरा
पुस्तकालय का भी बनवाई है। बच्चों को पाठ्य पुस्तकों के अलावे मनोरंजक, प्रदायक
कहानी की किताबें भी खरीद कर दीजिए। इससे बच्चों के अंदर किताब से लगाव बढ़ेगा।
अपने सपनों को साकार करेगा।
लोग जन्म लेते और मरते हैं, मगर
किताबों की कभी मौत नहीं होती। आप कितनी ही तरतीब से किताबों को खत्म करने की
कोशिश करें किंतु इसकी हमेशा गुंजाइश रहती है कि एक प्रति जिंदा बच जाए और किसी
दूरदराज की लाइब्रेरी के सेल्फ में सुरक्षित पड़ी रहे।