आत्महत्या आखिर क्यो ? एक गांव में एक परिवार था मध्यम परिवार के थे व्यापार करते थे ! गांव में उनका नाम था अनेक पैसा व्यापार के लिए उधार लेते थे ! व्यापार भी अच्छा चलता था सगे सम्बधी उनसे अच्छा नाता रखते थे ! परिवार में हर तरफ खुशी रहती थी ! लेकिन एक दिन जैसे ख़ुशी को नजर लग गयी ! व्यापार में घाटा होने लगा लेकिन परिवार को कुछ नहीं बताया ! लोग उधार पैसा लेंने आने लगे लेकिन अकेले में बेठकर उसको आत्महत्या की सुझी ! लेकिन परिवार को देखकर फिर कदम पीछे हटे ! लेकिन चारो तरफ इतना परेशानियों घिर चुका था ! आखिर वो फैसला लिया जो उसको नहीं लेना था ! तब केवल वही व्यक्ति परेशान था लेकिन उसके जाने के बाद पूरा परिवार में जैसे एक पहाड़ आ गिरा हो ! सगे सम्बधी दूर रहने लगे गांव में भी अब उनका नाम नहीं था ! अगर वह व्यक्ति चाहता तो उसे परेशानियों से मुक्ति मिल जाती ! संसार में ऐसी कोई भी कार्य नहीं जो नहीं हो सकता लेकिन जरूरत हे तो सिर्फ एक सोच की अगर वह परिवार या सगे संबधि या गांव के लोगो से भी राय लेता तो ऐसा नहीं होता! आत्महत्या का मन जब भी हो तब यही सोचना चाहिए ईश्वर हमारी परीक्षा ले रहा हे ! अगर आत्महत्या भी करनी हे तो उस सोच की करो जो अपने मन में आता हे ! उस व्यक्ति ने खुद आत्महत्या नहीं की बल्कि जीते जी उस परिवार को भी उसी आग में जला दिया ! आत्महत्या से बचो !