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आत्महत्या पर विजय

Prashant Rajpoot

7 अध्याय
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14 पाठक
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**जीवन: शतरंज की बिसात पर ईश्वर की चाल** जीवन वास्तव में शतरंज के खेल जैसा ही है। हम हर चाल को अपनी योजना के अनुसार चलने की कोशिश करते हैं, यह सोचते हुए कि जीत हमारी मुट्ठी में है। हमें ऐसा लगता है कि हमारी मेहनत, हमारी समझ और हमारे निर्णय ही सब कुछ तय करेंगे। लेकिन तभी, अचानक, ईश्वर अपनी अगली चाल चल देते हैं। और हमें लगता है कि सब कुछ हाथ से फिसल गया, मानो हमारी सारी कोशिशें व्यर्थ हो गईं। परन्तु, यह सही नहीं है कि हमारी हार से ईश्वर प्रसन्न होते हैं। दरअसल, हमारी हार एक नई दृष्टि देती है, एक नई उम्मीद जगाती है। ईश्वर हमें न पूरी तरह हारने देते हैं, न ही तुरंत जीतने। यह दोनों ही स्थितियाँ हमें जीवन के संघर्षों के लिए तैयार करती हैं। हर जीत और हर हार के बीच जो संघर्ष है, वही हमें मज़बूत बनाता है, हमें अपने वास्तविक उद्देश्य और अपनी सीमाओं से परिचित कराता है। जीवन का यह खेल हमें धैर्य सिखाता है। हारने पर हमें लगता है कि सब कुछ खत्म हो गया है, लेकिन यदि हम ईश्वर पर आस्था बनाए रखें और सही समय की प्रतीक्षा करें, तो वह हमें ऐसा रास्ता दिखाते हैं जो हमने सोचा भी नहीं होता। जीवन की यह यात्रा हमें बताती है कि केवल हमारे प्रयास ही नहीं, बल्कि ईश्वर का समय और उनकी योजना भी महत्वपूर्ण हैं। जीवन की आपाधापी में कभी कल्पनाओं के सागर में डूबने का मौका नहीं मिला। हमेशा असलियत की ठोस ज़मीन पर कदम रखने पड़े। एक घटना ने ऐसा झकझोरा कि मन को शब्दों में ढालने के लिए मजबूर कर दिया। असल में, दुनिया वास्तविक घटनाओं से भरी पड़ी है, जहां हर किसी की अपनी कहानी है, अपने अनुभव हैं। मैं कोई लेखक नहीं हूँ, परन्तु अनुभव बाँटने की एक सच्ची चाहत है। जो भी लिखा है, वह केवल शब्दों का खेल नहीं, बल्कि जीते हुए जीवन के अनुभवों का निचोड़ है। जीवन में कई बार ऐसा होता है जब हमें लगने लगता है कि हम हार गए हैं, कि अब कुछ भी ठीक नहीं हो सकता। लेकिन जब हम हार को स्वीकार करते हैं और ईश्वर पर भरोसा रखते हैं, तब हमें यह एहसास होता है कि हर हार एक नयी शुरुआत का हिस्सा होती है। ईश्वर की योजना हमेशा हमारे भले के लिए होती है, भले ही वह हमें पहले दिखाई न दे। 

aatmahatya par vijay

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That's true

पुस्तक के भाग

1

**"टूटती उम्मीदें और संघर्ष की डोर"**

11 अक्टूबर 2024
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😞😞😞Injustice😞😞😞 आज मेरी बोर्ड परीक्षा में ड्यूटी थी। कक्षा 10 की वार्षिक परीक्षाएं प्रारंभ हो चुकी थीं। मैं प्रातः शीघ्र ही तैयार होकर केंद्र पर पहुंचा। बच्चे अपने अनुक्रमांक देखकर परीक्षा कक्ष

2

मेरा जीवन , मेरा संघर्ष

11 अक्टूबर 2024
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🙏 जीवन में आने वाली विषम परिस्थितियाँ कभी-कभी व्यक्ति को निराशा की गहराईयों में धकेल देती हैं, जहाँ उसे लगता है कि अब आगे बढ़ने का कोई रास्ता नहीं बचा है। ऐसी स्थिति में, मन में आत्महत्या जैसे घातक

3

संयुक्त परिवार का महत्व और जीवन के निर्णय

11 अक्टूबर 2024
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संयुक्त परिवार का महत्व हमारे घर पर एक पुराना लैंडलाइन फोन था। एक दिन अचानक उसकी घंटी बजी। मैंने फोन उठाया तो दूसरी तरफ एक महिला की आवाज आई। उसने मेरा परिचय पूछा, और जब मैंने अपना नाम बताया, तो उसने

4

संघर्ष का सामना

11 अक्टूबर 2024
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मेरे घर का निर्माण कार्य चल रहा था, लेकिन तभी मेरी नानी की तबियत खराब हो गई। उन्हें  कैंसर की शिकायत थी और उनका इलाज चल रहा था। मैंने सोचा था कि मेरे घर का निर्माण होने से पहले नानी की तबियत ठीक हो जा

5

घृणा की विजय

11 अक्टूबर 2024
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🙏🙏 न्याय प्रणाली की अविश्वसनियता का समाज पर क्या प्रभाव पड़ता है । इसके लिए यहा दो घटनाओ का जिक्र करना चाहूंगा ।  प्रथम घटना मध्यप्रदेश के एक गाँव की है ।  एक परिवार की छोटी बहु ने जहरीला पदार्थ

6

"अन्याय और आस्था की परीक्षा""

11 अक्टूबर 2024
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जेल का दूसरा दिन   सुबह की पहली किरण के साथ ही मेरे मन में सबसे पहले माँ, मानसी और अथर्व की चिंता कौंधी। यह सोचकर दिल भारी हो गया कि मेरा परिवार इस अन्याय को कैसे सहन कर रहा होगा। मानसी न बोल सकती ह

7

"अपराध और समाज का सच"

11 अक्टूबर 2024
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बैरिक का लॉकअप होते ही जैसे समय थम सा गया। कल तक मुझे केवल अपनी ही परेशानियाँ दिखाई दे रही थीं, लेकिन अब ऐसा महसूस हो रहा है कि समाज के आईने पर जमी धूल धीरे-धीरे साफ होने लगी है। समाज में छिपे स्वार्थ

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