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नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि......!

29 अगस्त 2022

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योगेन्द्र सिंह की अन्य किताबें

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रचनाएँ
उम्र अभी बाकी है
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प्रिय पाठक, ईश्वर आप सभी को सदैव प्रसन्न रखे! शब्द.इन प्रकाशन द्वारा मेरी अपनी रचनाओं के साकार रूप इस पुस्तक के प्रकाशन पर अन्तर्मन् में अतिशय आनन्द का अनुभव कर रहा हूं। कालेज के समय से ही कविता पढ़ने, सुनने एवं लिखने का बहुत शौक था जो परिस्थितियोंवश अब जाकर पूरा हुआ है। पिछले कुछ वर्षों में खासकर कोविड के समय में जब जन जीवन केवल स्वयं तक ही सीमित होकर रह गया था तब बहुत समय मिला अपनी लेखन की विधा को और अधिक समृद्ध एवं जागृत करने का। इस पुस्तक में समाहित मेरी अधिकतर रचनाएं इस धरा पर जीवन के अस्तित्व, सामान्य जन की प्रकृति स्वपनों, अपेक्षाओं और उनके रोजमर्रा के संघर्ष और उससे सम्बन्धित अनुभवों पर आधारित हैं। अपने आस पास के परिवेश और घटनाओं के प्रभाव की कुलबुलाहट जब जबअन्त:करण में भावनाओं की अभिव्यक्ति बनकर उभरती है तब तबएक नई कविता का जन्म होता है। इस पुस्तक के प्रकाशन के लिए मैं शब्द.इन प्रकाशन और इसकी पूरी टीम के सहयोग, समर्थन एवं मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद एवं हार्दिक आभार प्रकट करता हूं। बिना इन सभी के सहयोग के यह संभव नहीं हो सकता था। अन्तत: मेरी यह भावनात्मक प्रस्तुति आपके अन्तर्मन में कितनी गहराई तक विचलन पैदा करती है, कितना स्वयं से जोड़ती है, वही मेरी इन सभी रचनाओं की सफलता का मानक बनेगा। इस पुस्तक में समाहित रचनाओं के विषय में आप सभी की सलाह एवं प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी। इति, आपका शुभाकांक्षी, योगेन्द्र सिंह
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जीवन-तत्व

11 फरवरी 2022
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<div><span style="font-size: 16px;">जीवन - तत्व</span></div><div><span style="font-size: 16px;"><br></span></div><div><span style="font-size: 16px;">जिन्दगी के इस सफर में,</span></div><div><span style

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काश रोज "रोटी डे" होता...

13 फरवरी 2022
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काश रोज "रोटी डे" होता...होते सब समर्थ, सम सारे,होते दिल कुछ बड़े हमारे।सबको स्वास्थ्य,सहारा होता, कोई न कहीं बेचारा होता।।कुछ टुकड़ों के इन्तजार में,कभी न कोई भूखा सोता।काश रोज "रोटी

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आज-कल

16 फरवरी 2022
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फिर से मौसम बदलने लगे आजकल।रात-दिन फिर मचलने लगे आजकल।।...अब तलक नींद में ही जो चलते रहे।ख्वाब आंखों में जलने लगे आजकल।।...रात की चांदनी ने न मौका दिया।चोर दिन में

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एक अकेला चांद...

4 मार्च 2022
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एक अकेला चांद कहां तक, तम से मुक्ति दिलाएगा।तारों की टिम टिम संग, कैसे राह गगन में पाएगा।।...सूरज की किरणों सा जिसमें,तेज नहीं,आलोक नहीं।कैसे वह भू को, अम्बर को, आलोकित क

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जुगनुओं के शहर में...

15 मार्च 2022
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जुगनुओं के शहर में, तारों की है पहचान अपनी,टिमटिमाने की विधा से, दोस्ताना हो गया है।ना मिलन की लालसा है, ना कोई संभावना है,अपनी हद से पार जो निकला, गगन

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मौसम का मिज़ाज

16 मार्च 2022
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आज कुछ धूमिल गगन है,शीर्ष पर दिनकर मगन है।व्याधियों के चक्र में अटका,अगोचर, आद्र मन है।।मेह की संभावना को, मेघ निष्फल ढो रहा है।आज फिर मौसम पर ही,कुछ लि

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होली के हुड़दंग में...

17 मार्च 2022
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होली के हुड़दंग में, गली गली मे जंग।मर्यादाएं ताक पर, सच्चरित्रता भंग।।...नेह, मिलन के इस उत्सव को,करते हैं बदनाम।कीचड़, ग्रीस थोबड़ों पर है, मस्ती का है नाम।।...पावन इस त्योहार की,खूबी स्नेह, दुलार।ख

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सात रंगों के सफर में...

21 मार्च 2022
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होलिका के दहन के संग, जल गए विषबीज सारे,आस के, अनुरक्ति के, अंकुर नजर आने लगे हैं।बालियां गौधूम की, होतीं सुगन्धित और तपकर,अधजले गन्ने सुधासम, मन को महकाने लगे हैं।।...सात रंगों के सफर में, हो गए तन म

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जंग जो हम लड़ रहे हैं...

23 मार्च 2022
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टैंक, तोपों, मिशाइल के तो युद्ध नित देखे, सुने हैं,नित नये अत्याधुनिक हथियार घातक बढ़ रहे हैं।खुद को दुनियां की महाशक्ति दिखाने की ललक में,शान्ति को देकर तिलांजलि,सरहदों पर चढ़ रहे हैं।।...अन्त के आगा

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क्या खोया क्या पाया हमने...

26 मार्च 2022
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जाने क्या क्या छूट गया है, कौन कहां पर रूठ गया है,नहीं देखना है अब संभव, ऐसे कितने, काश ! बहुत हैं।जैसे भी, चलते जाना है, जो संकल्प लिया, पाना है,नहीं लौटना है अब संभव, मंजिल के भी पास बहुत हैं।।...टा

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गांव-शहर, आजकल!

28 मार्च 2022
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रात, दिन, दोपहर, गांव हो या शहर,एक जैसा ही मंजर हुआ आजकल।चल रहे हैं कदम से कदम जोड़कर,

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जिन्दगानी का कोई भरोसा नहीं...

29 मार्च 2022
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पेज कितने खुलें, और कितने बचेंइस कहानी का कोई भरोसा नहीं।आखरी पेज तक, जाएंगे तो मगर,जिन्दगानी का कोई भरोसा&nbs

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किताबें जो सिखातीं हैं...

30 मार्च 2022
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किताबें जो सिखातीं हैं, कहां हम सीख पाते हैं।कि उनके फाड़कर पन्ने, खिलौने हम बनाते हैं।।बचे जो, बेच देते हैं, उन्हें रद्दी में हम जाकर,पढ़ा जो था कभी उनसे, वो अक्सर भूल जाते है

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लालसा

31 मार्च 2022
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अब तलक सीखा जो हमने, कुछ किताबों ने सिखाया।कुछ जमाने ने हमारी, सीख का बीड़ा उठाया।।कुछ परिस्थितियों ने दे दी, जानकार

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जय माता की !!

3 अप्रैल 2022
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माता के दरबार में, जयकारों का घोष!जो बोले, उसके मिटें,दुःख,दारुण और दोष!!...जग माता, जग भाग्य विधाता, "जय माता की"!स्वास्थ्य,शान्ति,सु

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निराधार

11 अप्रैल 2022
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आता नहीं तूफान हर, नुकसान करने के लिए।आते हैं कुछ तो राह को, आसान करने के लिए।।हर हादसे में, पक्ष दोनों काम करते हैं सदा।हर बार कोई हानि, आवश्यक नहीं है

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कर्म फल

3 जून 2022
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कौन है जिसको मिल गया सब कुछ,ख्वाब सबके यहां अधूरे हैं।जो है सन्तुष्ट, वो सुखी हर दिन,उसके अरमान सभी पूरे हैं।।...सिर्फ किस्मत के भरोसे रहकर,कोई कैसे अलख जगाएगा।जो भी कर लेगा कर्म दुनियां मे,वो ही मनचा

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अपनी अपनी मंजिलें...

4 जून 2022
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अपनी अपनी मंजिलें हैं, अपने अपने रास्ते।हौसला ही गर पिछड़ जाए तो कोई क्या करे।।...बोझ की चिन्ता नहीं है, ना ही दूरी का सबब।वक्त ही जब हाथ ना आए तो कोई क्या करे।।...कर गुजरने की तमन्ना, ठान ली जिनके लि

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पर्यावरण के दोषी...

5 जून 2022
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अंग भंग करके पृथ्वी का, किया आवरण पर आघात,दोहन, शोषण चले अनवरत, जंगल बंजर हुए बलात।एक दिवस रोने गाने से, पर्यावरण नहीं बचता है,जब तक मर्दन नहीं रुकेगा,

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खामोशी के पीछे का सच...

19 जून 2022
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खामोशी के पीछे क्या है...?खामोशी यदि नित प्रतिपल है,अविश्वास का भाव प्रबल है।कोई दर्द, सोच "हावी" है, टूट गया कोई संबल है।।साथी कोई रूठ गया

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ये कैसी दोस्ती...?

20 जून 2022
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ये कैसी दोस्ती, भावनाओं का कुछ अनुदान नहीं,अहंकार में डूबे मन को, अहसासों का भान नहीं।हित,सहयोग,कामना की,कीमत ही नहीं जहां दिल मे,हर्ष,शोक,दुःख,दर्द,फर्ज,चाहत का भी अनुमान नहीं।।...ऐसा दोस्त वक्त पड़न

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कतरा-कतरा ज़िन्दगी !

24 जून 2022
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मैं वो नहीं, शीशे मे हर कोई उतार ले।खुशियां तो मुझसे जितनी जी चाहे उधार ले।।...जिद से, न खामोशी से, जब हो कामना पूरी।तो एक बार प

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पौधा एक लगाया मैने...

27 जून 2022
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पौधा एक लगाया मैने!गमला खूब सजाया मैने!!जगह बनाकर खास रख लिया।उसको अपने पास रख लिया।।नए नए कोपल निकलेंगे।रंग बिरंगे फूल खिलेंगे।।फूलों से कमरा महकेगा।रंगीनियां लिए चहकेगा।।सरप्राइज़ सबको तब दूंगा।इसे

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अन्तिम प्रहर का सच...

1 जुलाई 2022
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जीवन की दौड़ में,डटे रहे जो तीनों पहर,तन-मन की राहत को नई ऊर्जा समाहिए।बाकी जो रही आस, उसी का करें प्रयास,एक नई ज़िन्दगी की, चाहत जगाइए।...अनुभव के कोष में जो

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ख्वाबों की हकीकत

4 जुलाई 2022
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इस हकीकत के जहां सा, और भी है इक जहां,हम खयालों मे, जहां की सैर करते हैं।स्वप्न में या सोच में, साकार होती कामनाएं,हकीकत में जिनको, हम जीने से डरते हैं।।...जिन्दगी में, नित्य के संघर्ष को जीना,मन तो क

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नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि......!

29 अगस्त 2022
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खो गए हैं वो नजारे, जो नजर के नूर थे।खो गए हैं वो सहारे, जो बहुत मशहूर थे।।...खो गए वो यूं अचानक, भंवर में मझधार में।छोड़कर ज्यों हाथ कोई, खो गया संसार में।।...खो गया उद्गम मेरा, आधार मेरा खो गया।जो क

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कौन है...?

30 सितम्बर 2022
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कौन है आकाश में रवि, चांद,तारों का नियन्त्रक,जो इन्हें निर्बाध,निश-दिन, निरन्तर गति दे रहा है।ना कोई आधार, ना ही नजर आती राह कोई,फिर भी अखिल ब्रह्माण्ड ये विस्तार नितप्रति ले रहा है।।...कौन है पाताल म

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उम्र का बन्धन

2 अक्टूबर 2022
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उम्र एक संख्या है केवल,जीवन का कद बतलाती है।बचपन,यौवन और बुढ़ापे के हिस्सों में बंट जाती है।।किसी कार्य की कोई, निश्चित उम्र नहीं होती जीवन में।इच्छा और अनिच्छा में ही, भटकी हुई नजर आती है।।कुछ भी कभी

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हमसफर

2 अक्टूबर 2022
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जो मेरे साथ हमेशा, मेरा सहारा है।सदा समीप ही पाया, कि जब पुकारा है।।...मिल के गुजरे हैं साथ जिसके ये चालीस बरस।सिर्फ हमसाया नहीं, हमसफर हमारा है।।

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कृपा करना महारानी !!

2 अक्टूबर 2022
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मैया तेरे नव-रूपों में, मां का रूप समाया।इसीलिए तेरे दर्शन को, तेरे दर पर आया।।मिले आशीष भवानी!कृपा करना महारानी!!...जगह जगह है अनाचार, खल ने मर्यादा खोई।अधमों के चंगुल में अबला, निस्सहाय सम रोई।।हरो

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कितने रावण...?

4 अक्टूबर 2022
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कितने रावण मारे हमने, कितने हर वर्ष जलाए।फिर भी छुपे मुखौटों में, रावण पहचान न पाए।।...उस रावण ने तो फिर भी, मर्यादा कभी न तोड़ी।कलयुग के रावण ऐसे, दुधमुंही तलक ना छोड़ी।।...ये चरित्र के हीन,मानसिक रो

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नज़्म बाकी है...!

7 अक्टूबर 2022
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हर्फ चुन-चुन के, सजाने की रस्म बाकी है।लिखी गई ना अभी तक, वो नज़्म बाकी है।।...सफे सियाह हुए, हसरतें भुनाने में।नजर से दूर है जो, अहले - चमन

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यादों का सफर

9 अक्टूबर 2022
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ले के उम्मीदों की गठरी, चल रहा सारा जहां है,कुछ के हिस्से में जमीं है, कुछ के हिस्से आसमां है।दरमियां हैं इनके, कुछ अपने अहम,अपने सलीके,सोचते हैं जो, असल में, वो कभी&nbsp

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करवा चौथ पर विशेष (1989 की रचना)

12 अक्टूबर 2022
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पढ़ीं किताबें कितनी हमने, पढ़े पत्र,अखबार,सब के सब निर्जीव,न पाया कुछ जीवन का सार।तुम पुस्तक हो ऐसी, जिसमें है जीवन संचार,तुम्हें पढ़ा तो पाया, बाकी सब कुछ था बेकार।।...मेरे सा

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एक दिन की बादशाहत

13 अक्टूबर 2022
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एक दिन की बादशाहत, आज करवा चौथ है।शान्ति,सुख,पद,हक,इनायत,आज करवा चौथ है।।...रोजमर्रा का अहम,जिद,लालसा,रुख,शान तज।आज ओढ़ी है शराफत,आज करवा चौ

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तेरा साथ है तो...

13 अक्टूबर 2022
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तेरा साथ है तो, है हर मोड़ मंजिल,ये राहों के कंकड़ सताते नहीं हैं।जो है हाथ में हाथ तेरा सफर में तो, कभी दुःख के बादल भी छाते नहीं हैं।।न मैं दे सका तुझको जीवन सुनहरा,न तू

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आत्म-चिंतन

16 अक्टूबर 2022
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मैं ज़मीन से जुड़ा, अकिंचन, अविरत हूं, अनुप्रास नहीं हूं,जैसा हूं अक्षरशः वैसा, अनुपूरक सम्भाष नहीं हूं।।कर्मण्येवाधिकारस्ते, में&nbsp

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भाव-शून्य

17 अक्टूबर 2022
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किसको दें हम दोष, न कोई यहां समझने वाला है,जीवन की आपाधापी में, हर कोई मतवाला है।अपना स्वार्थ सिद्ध हो,चाहे फिर कुछ भी हो,क्या लेना,इसी सोच ने मानवता का चीरहरण कर डाला है।।...वक्त भले हो वक्र, समय का

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रफ़्तार...!

18 अक्टूबर 2022
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एक घटना वायरल है, मीडिया, अखबार में,जान से ही हाथ धो बैठे, कई रफ्तार में।चार साथी थे, सभी शिक्षित, सभी फनकार थे,पूर्वांचल एक्सप्रेसवे पर, बी एम डब्ल्यू में सवार थे।।...सिर्फ दो सौ तीस की रफ्तार से वो

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जीवन का अधिकार - शाकाहार

21 अक्टूबर 2022
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जो भी हैं रोग साध्य जग में, संभव उनका उपचार मगर,जो हैं असाध्य, उनके विषाणु से बचना बहुत जरूरी है।समुचित है शाकाहार,सब्जियां,अन्न, दाल, फल, कन्द मूल,हैं जहां नहीं उपलब्ध, मांस खाना उनकी मजबूरी है।।...य

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जो समझते हैं...!

22 अक्टूबर 2022
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जो समझते हैं कि मैं झुक जाऊंगा, रहमो-करम से,है गलतफहमी उन्हें, मैं नीम की डाली नहीं हूं।हूं नरम दिल से मगर, हूं दृढ़ हमेशा उसूलों पर,खोखले उन्माद में, बज जाय वो ताली नहीं हूं।।...जो समझते हैं कि मैं र

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सूनी आंखों में...

22 अक्टूबर 2022
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सूनी आंखों में, सपनों का द्वार नहीं होता है।हर दुख का, आंसू से उपसंहार नहीं होता है।।...चेहरा तो झूठा है, ये सच कहां बयां

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'दिया' कहां तक भरे उजाले?

23 अक्टूबर 2022
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कहीं अंधेरा, कहीं कुहासा।रीता मन, चहुं ओर निराशा।।किस्मत के भी खेल निराले।'दिया' कहां तक भरे उजाले।।...सीमित तेल, लरजती बाती।अन्तर का भूचाल दिखाती।।इस विचलन को कौन संभाले।'दिया' कहां तक भरे उजाले।।...

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आईना

23 अक्टूबर 2022
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आईना प्रतिबिम्ब है, मेरे निजी अहसास का।चेहरे के अस्तित्व का, कुछ दूर का, कुछ पास का।।...आईने बिन कैसे कोई, स्वयं को पहचानता।और सबको देख लेता, खुद को ही

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इस दीवाली...

25 अक्टूबर 2022
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इस दीवाली शोक, निराशा, बरबादी थी झोली में।हाथों से रज,आंखों से आंसू बरसे रंगोली में।।...बेटी का संसार लुट गया, दीपों का त्योहार लुट गया।बेबस थे सब, कर न सके क

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ज़िन्दगी का फलसफा

28 अक्टूबर 2022
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जब तक श्वास चले तब तक ही, नाम ओर पहचान यहां।श्वास बंद होते ही, "मिट्टी" कहलाता इन्सान यहां।।...जान, परिचय, रिश्ते, नाते, जिन्दगी तक ही संभलत

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एक दिन...!

31 अक्टूबर 2022
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चार दिन की ज़िन्दगी में, तीन दिन अब ख्वाब हैं,ख्वाब में बीते दिनों की, यादों के असबाब हैं।यादों की बस्ती मे कुछ गलियां हैं दिन, कुछ रात सी,दिन कुहासे से

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जीवन के दिन रात

4 नवम्बर 2022
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जीवन के दिन रात, धूप बरसात,सहेंगे साथ साथ हम।दुःख सुख दोनों हाथ, लिए सौगात,रहेंगे साथ साथ हम।।चालिस वर्ष विवाहित जीवन के इस तरह गुजारे।लगे दर्द, दुःख, बाधा, विपदा, बौने और बिचारे।।सं

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कुछ ना कुछ तो होना ही है!

4 नवम्बर 2022
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जो हो गया..... नहीं होना था।कुछ पाना, ना कुछ खोना था।।पहले से... कुछ भान नहीं था।रत्ती भर .....अनुमान नहीं था।।पर अन्ततः..... यही होना था,यह विश्वास .....संजोना ही है।कुछ ना कुछ तो.. होना ही है।।...मन

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गलती की गलती...

5 नवम्बर 2022
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गलती है स्वभाव मानव का, इसमें कोई भेद नहीं है।पर है गलती की गलती, गर उसमें कोई खेद नहीं है।।...अपने हक में तो हर इंसां, सच्चा और सही होता है।लेकिन किसी दूसरे के प्रति, ऐसा भाव नहीं होता है।।...गलत शब्

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इन्द्रियों के गुलाम

5 नवम्बर 2022
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रूप, रंग, आकार, डिजाइन, स्वाद, स्पर्श,गन्ध, वाणी।ये सब मनपसन्द, मनमाफिक, हो तो सुखी रहे प्राणी।।...हुए इन्द्रियों के गुलाम हम, इन पर कोई जोर नहीं।जो ना खरे उतरते इन पर, करते उन पर गौर नहीं।।...रूप, रं

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इच्छाओं का अंत नहीं है!

8 नवम्बर 2022
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एकमात्र प्रस्तुत जीवन में, इतने स्वप्न भरे हैं मन में,एक सरे, दूसरा समाए, चंचल मन, अरिहंत नहीं है।इच्छाओं का अंत नहीं है।।मनोकामनाओं का, जीवन में भंडार लगा रहता हे‌।उगती नित्य कल्पनाओं से, मानव सदा ठग

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दुख की परिभाषा

9 नवम्बर 2022
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पीड़ा, कष्ट, वेदना, संकट, व्यधा, क्लेश, निराशा क्या है।शोक,खेद, संताप,पीर, आखिर दुःख की परिभाषा क्या है।।जिस तन लागे, वो ही जाने, दर्द, यन्त्रणा क्या होती है।चेहरे पर गाम

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जमाना याद करेगा !

12 नवम्बर 2022
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एक हार से हार मानकर, रुकना है बेमानी।हिम्मत और लगन से, लिख सकते हैं नई कहानी।।नतीजा नाद करेगा।जमाना याद करेगा।।बाधा, विघ्न, मुसीबत, अड़चन, इम्तहान जीवन के।स्व

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फिर न कहना...

13 नवम्बर 2022
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दूर होते चरण, खोखले आचरण, बोल- वाणी से गायब सदाचार है।लाभ-हानि की गणना से है वास्ता,हित-अहित से जुड़ा मान-सत्कार है।।संस्कारों की शिक्षा है निष्फल यहां,आधुनिकता में तर्कों की भरमार है।सीख का, सभ्

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आज काम की बात करेंगे!

14 नवम्बर 2022
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वेद, उपनिषद से पुराण तक,मन, क्रम, वचन, शरीर, प्राण तक।रामायण, गीता प्रमाण तक,गंगाधर से शक्तिमान तक।।जन-गण में विश्वास भरेंगे।आज काम की बात करेंगे।।पंचतंत्र की नीति कथाएं,हितोपदेश हमें समझाएं।पशु - पक्

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मौसम से सीखा है...

15 नवम्बर 2022
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मौसम से सीखा है मैने, सही तरीका जीने का।गर्मी में ग्लूकोज और सर्दी में काफी पीने का।।जैसा भी हो मौसम, वैसा बदले रूप जमाने का।नहीं बदलते जो,उनको मिलता कारण पछताने का।।मौसम के वि

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...दोष क्या देना!

15 नवम्बर 2022
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नजर न हो सही तो,नजारों को दोष क्या देना।दुखी हो मन तो, बहारों को दोष क्या देना।।चलेंगे वक्र तो टकराएंगे, कभी न कभी।राह के खम्भों, दीवारों को दोष क्या देना।।ग्रहण पड

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समाधान

16 नवम्बर 2022
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कहीं मिले न मिले, दिल में उतरकर देखो,वहां मिलेगा समाधान, परेशानी का।भटकने से कहीं भी कुछ कभी मिलेगा नही,यहीं मिलेगा सूत्र, गुम हुई कहा

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कुछ खोया, कुछ पाया हमने...

16 नवम्बर 2022
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कुछ खोया कुछ पाया हमने, आपस के व्यवहार में।नफा और नुकसान बराबर, जीवन के व्यापार में।।लेन-देन की इस दुनिया़ में, नहीं देखते कम-ज्यादा।ना ही खाते झूठी कसमें, ना कोई झ

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कड़वा सच

17 नवम्बर 2022
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कोई अमर नहीं इस जग में, इन शब्दों पर गौर रहे।वो भी चले गए दुनियां से, जो सबके सिरमौर रहे।।राजा, विज्ञ , धनी, भट, योगी, भी आए और चले गये।जो सर्वज्ञ रहे इस जग में, वे भी विधि से

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उम्र अभी बाकी है .....!

18 नवम्बर 2022
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उम्र अभी बाकी है.....!भूलकर दुस्वप्न सभी, स्वप्न नव सजाने को,आखरी पहर में, आस-दीप फिर जलाने को,गिले-शिकवे आपस के, मिल कर मिटाने को,अपनो में अपनी एक, छवि नई बनाने को,उम्र

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आस - विश्वास

18 नवम्बर 2022
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स्वप्न सभी साकार हो रहे, एक-एक कर जीवन में।खुलती जाती एक-एक कर, जो भी गांठ रही मन में।।सपना जो साकार हुआ,उस सपने का आकार बढ़ा।इच्छाओं की तृप्ति हुई तो, इच्छाओं का भार बढ़ा।।शनै: शनै:

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अ - सफलता

19 नवम्बर 2022
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असफल होने पर होती है, बहुत निराशा जीवन में।और भरोसा टूटे तो, टूटे हर आशा जीवन में।।पर निरुपाय निराशा से, निष्कर्ष निकलता नहीं कभी।होकर हताश,

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अनुशासन का महत्व

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शिष्टाचार और अनुशासन, नींव सभ्यता की होती है।अनाचार से शापित पीढ़ी,निज अस्तित्व स्वयं खोती है।।बचपन से ही जिन बच्चों को संस्कार अच्छे मिलते हैं।वो ही जीवन की बगिया में, सूर्यमुखी बनकर खिलते हैं।।अनुशा

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कितना और गरल पीना है...?

21 नवम्बर 2022
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प्रकृति,प्रजापति हो गर नाखुश।अपनी चलती नहीं वहां कुछ।।फिर तो जो हो, जैसा भी हो,उसी व्यवस्था में जीना है।कितना और गरल पीना है।?मौसम, जब पलटा खाता है।कुछ भी समझ नहीं आता है।।किस्मत के प्रतिकूल पक्ष ने,म

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अभी नहीं तो कभी नहीं!

21 नवम्बर 2022
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जो भी काम आज करना है, उसको कल पर कभी न डालें।आज- कल के हेर- फेर में, यूं ही समय न व्यर्थ निकालें।।'अभी नहीं तो कभी नहीं' का, सूत्र सफलता की कुंजी है।समय निकलने पर, की जाने वाली हर को

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काम न कोई छोटा होता...

21 नवम्बर 2022
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काम न कोई छोटा होता, ना ही कोई बड़ा होता है।अपने पैरों पर उठकर, जिससे इंसान खड़ा होता है।।छोटी-बड़ी सोच होती है, या फिर कद या पद होता है।इनके सिवा बड़ा छोटा तो, केवल मन का मद होता है।।स्वाभिमान पर चोट

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अधिकारों की बात

21 नवम्बर 2022
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अधिकारों की बात करें सब, कर्तव्यों का भान नहीं।कदम उठाने से पहले, मिलता है कोई मुकाम नहीं।।हकदारी के हक से पहले, कुछ फर्ज निभाने पड़ते हैं।अनभिज्ञ यहां जिम्मेदारी से, कुछ अनजाने पड़ते हैं।।अपने मतलब क

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ज़िन्दगी

22 नवम्बर 2022
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जीवन का अहसास जिन्दगी,अपनो का विश्वास जिन्दगी।हर शै से है खास ज़िन्दगी,होने का आभास ज़िन्दगी।।संघर्षों का नाम ज़िन्दगी,मेहनत का है काम ज़िन्दगी।अगर करे आराम जिन्दगी,हो जाती नाकाम ज़िन्दगी।।सांसों का अ

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आजादी सबको प्यारी है

22 नवम्बर 2022
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जीव- जन्तु जो भी हैं जग में।भूतल पर या जल में, नभ में।।जन-मानस के साथ प्रकृति की,इनके सबके संग यारी है।आजादी सबको प्यारी है।।नहीं चाहता बन्धन कोई।सीमा में बंध, क्रन्दन कोई।।दुनियां का&nbsp

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अभी बहुत लिखना बाकी है!

22 नवम्बर 2022
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बचपन से ही शौक बहुत था,पढ़ने का काॅमिक्स, कहानी।उम्र बढ़ी तो गीत, गजल और,कविताओं में रुचि पहचानी।।कविताओं का विविध रूप,मन,अन्तर्भावों की झांकी है।अभी बहुत लिखना बाकी है।।शुरु किया तो अन्तर्मन के

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लाॅक डाउन की यादें

17 दिसम्बर 2022
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लॉक डाउन ने किया है लॉक मेरा तन बदन, मन का पंछी आज भी पंखों सहित आजाद है।सोच झूलों सी विकल पैगें बढ़ाती रात दिन,और यादों से जुड़ी मस्तिष्क की परवाज़ है।।रोजमर्रा जिंदगी के पूर्व निर्धारित चरण,आज

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चीनी जीवास्त्र

17 दिसम्बर 2022
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एक चीन ने दुनियां भर में,कैसा ये बवाल कर डाला।एक वाइरस ऐसा छोड़ा,लटका भूमंडल पर ताला।।समझ न पाया कोई जग में, दुष्ट निशाचर का मंसूबा।खुद को तो बर्बाद किया ही,सारी दुनियां को लेे डूबा।।महाशक्ति होक

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कोरोना का रोना

17 दिसम्बर 2022
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एक महामारी ने कैसे,मानव को उद्विग्न कर दिया।सारी गतिविधियों को रोका,हर दिल में आतंक भर दिया।।हाथ मिलाने से डरते हैं, जो कल गले मिला करते थे।नहीं बुलाते, अब, जो, घरना आने पर रोज गिला करते थे।।शादी

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कोरोना में प्रकृति सुधार

17 दिसम्बर 2022
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प्रतिबंधों से लाभ मिला ये,धरती अम्बर शुद्ध हो गए।जंतु विचरते मुक्त, प्रदूषण मार्ग सभी अवरुद्ध हो गए।।रात चांदनी होती है अब,अम्बर में तारे दिखते हैं।नदियां, झीलें, ताल, सरोवर,स्वच्छ स्रोत सारे दिख

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कोरोना के प्रभाव

17 दिसम्बर 2022
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प्रतिबंधों के साथ, रात दिनमें भी क्या अंतर होता है।सारी रात जागता प्राणी,सारे दिन निष्क्रिय सोता है।कुछ प्रभार, दायित्व मुक्त है,कुछ मोबाइल के मारे है।आभासी दुनियां में खोए,ये भविष्य के हरकारे हैं।।अप

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प्रकृति संहार

17 दिसम्बर 2022
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लिया जन्म जिस धरती पर,उस धरती पर ही भार हैं।जिन तत्वों से ये तन पाया,वे ही बने शिकार हैं।।पावक,पवन,भूमि,जल,अम्बर,आज सभी व्यापार हैं।शोषण इतना हुआ प्रकृति का,चहुं दिश हाहाकार है।।जो धरती से मिला हमे,हम

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प्रकृति प्रकोप

17 दिसम्बर 2022
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पूरा वातावरण प्रदूषित,भोजन, हवा, नाद या पानी।कोई क्षेत्र नहीं छोड़ा,जिस जगह न की हमने मनमानी।।अब भूकंप अगर आए तो,हम कुदरत को कोस रहे हैं।और बाढ़ आए तो पावन नदियों को दे दोष रहे हैं।।इतना किया अनर

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प्रकृति संदर्भ

17 दिसम्बर 2022
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धर्म ग्रंथ कहते हैं, ऋषि मुनि, वर्ष हजारों तक जीते थे।कंदमूल फल खाते थे और,नदियों का पानी पीते थे।योग तपोबल से देवों के ,दर्शन वो पाया करते थे।उनके लिए अवतरित हो,भगवान स्वयं आया करते थे।।रामायण औ

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