राजकुमार [ कहानी दूसरी क़िस्त ]
अब तक
[ मेघनाथ को समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे । इस बीच वहां से 10/12 गाड़ियां गुज़रीं पर किसी गाड़ी वाले ने रुककर उन्हें मदद पहुंचाने की ज़हमत नहीं उठाया ]
मेघनाथ लगातार सारे गाड़ीवालों से लगातार गुहार करता रहा कि हे माई बाप कृपिया मेरे बच्चे को यहां से 3किमी दूर गुप्ता नर्सिंग होम पहुंचा कर अपने रस्ते चले जाइये । मुझ पर आपका बहुत एहसान होगा । आपके इस पुण्यकर्म से मेरे बच्चे की जान बच जाएगी और आपको हमारी दुआएं मिलेंगी । लेकिन किसी गाड़ीवाले ने अपनी गाड़ी रोकी नहीं । लोग या तो किसी झंझट में नहीं पड़ना चाहते थे या फिर उनके अंदर की संवेदना मर चुकी थी ।
इस तरह एक घंटा गुज़र गया मेघनाथ अपने बेटे मृत्युन्जय के सिर को अपनी गोद पर लिए बैठे रहा । धीरे धीरे मृत्युन्जय की सांसे थमते गई और कुछ देर के बाद उसका शरीर निष्प्राण हो गया । बूढा बाप यूं ही सदमें में बेटे के निर्जीव शरीर को लिए बैठे रहा । उसे समझ नहीं आ रहा था कि ये क्या हो गया और अब मैं क्या करूं? मेघनाथ के परिवार में केवल दो ही सदस्य थे । एक मेघनाथ और दूसरा मृत्युन्जय । वे दोनों एक दूजे के सहारे थे । लेकिन अब बेटा मृत्युन्जय इस दुनिया को छोड़ कर कहीं दूर चला गया था । अब दुनिया में मेघनाथ अकेला रह गया था ।
अगले दिन रायपुर शहर के अधिकांश अखबारों में बहुत छोटा सा समाचार छपा कि शहर के रिंग रोड नंबर 2 में एक रिक्शा वाले को किसी गाड़ी ने ज़ोरदार टक्कर मार दी । जिससे रिक्शा चालक मृत्युन्जय बुरी तरह घायल हो गया और बाद में उसकी मृत्यु हो गई । दोपहर 1 बजे जब राजकुमार सोकर उठा तो उसकी नज़र भी अखबार के उसी समाचार पर पड़ी । उसके चेहरे पर कुछ पलों के लिए दुख और ग्लानि के भाव परिलक्षित हुए । कुछ देर बाद वह अखबार को किनारे फ़ेंक कर फिर से सो गया।
शाम को 6बजे वह उठा तो वह मानो सब कुछ भूल चुका था और वह फिर अपने ही रंग में दिखने लगा । अगले दिन उसने रिक्शेवाले का घर पता लगवा कर मृत्युन्जय के पिता को अपने नौकर के हाथों 2 लाख रुपिए भिजवाए पर मेघनाथ ने यह कहकर पैसा लेने से मना कर दिया कि अब मैं इन पैसों का क्या करूंगा । मुझे तो अब सिर्फ़ 2 वक़्त की रोटी कि दरकार है । उपर वाला इतना इतना दयालू है कि दुनिया में आए किसी भी प्राणी को भूखा सोने नहीं देता । जब राजकुमार को पता चला कि मेघनाथ ने पैसे लेने से मना कर दिया है तो उसे अश्चर्य के साथ दुख भी हुआ और गुस्सा भी आया कि कैसे एक अदना सा रिक्शा के भरोसे गुज़र बसर करने वाला व्यक्ति उसके पैसों को ठुकरा सकता है । वह एक तरह से खुद को अपमानित महसूस कर रहा था । वह घंटों सोचते र्हा कि कैसे और क्यूं एक गरीब बूढा पैसों को लेने से इन्कार कर रहा है पर उसे इसका जवाब मिल नहीं पाया । बात आई और गई । 2 महीने बीत गए। राजकुमार रिक्शा से हुई दुर्घटना के बारे में सारी बातें भूल गया ।
नवंबर की ठंडी रात थी । आज राजकुमार रात्रि 2बजे फिर नशे में क्लब से घर लौट रहा था । तभी उसकी कार एक मोड़ पर लहराई और किनारे लगे पेड़ से टकरा गई । राजकुमार के सीने पर गहरी चोट आई थी । उसका मोबाइल भी चूर चूर हो गया था । उसके दाएं पैर से खून का तेज़ी से रिसाव हो रहा था । वह थोड़ी देर तक कार से बाहर निकलने की असफ़ल कोशिश करता रहा । फिर वह बेहोश हो गया ।
[ क्रमश; ]