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राजकुमार ( अंतिम क़िश्त )

16 फरवरी 2022

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[ कहानी राजकुमार -- अंतिम क़िश्त ]

[ अब तक---राजकुमार खुद अपनी गाड़ी को एक पेड़ से भिड़ाकर घायल हो गया था और कुछ देर बाद वह बेहोश हो गया ---- इससे आगे । ]

सुबह 8 बजे उसकी आंखें खुलीं तो वह खुद को एक अस्पताल के बिस्तर पर पाया । पास ही एक नर्स खड़ी फ़ाइल पर कुछ लिख रही थी । राजकुमार के दोनों हाथों पर इन्ट्राविनस सप्लाई का कनेक्शन लगा था और दाएं पैर पर प्लास्टर लगा था  । इतने में एक डाक्टर ने उसके कमरे में प्रवेश किया । उस डाक्टर ने राजकुमार को दिलासा देते हुए कहा कि अब तुम खतरे से बाहर हो । जब तुम्हें यहां लाया गया था तब तुम्हारी पल्स भी कमज़ोर थी और ब्लड प्रेशर बहुत ही कम था । उस समय बहुत ही क्रिटिकल स्थिति में थे तुम । हम उस समय कह नहीं सकते थे कि तुम्हें बचा पाएंगे । अब सब ठीक है तुम अब खतरे से बाहर हो । जैसे ही डाक्टर कक्ष से बाहर जाने को हुए राजकुमार ने पूछा कि वैसे मुझे यहां लाया किसने ? कौन है मेरा मददगार ? मैं उनसे मिलकर उन्हें धन्यवाद देना चाहता हूं । जवाब में डाक्टर ने कहा है एक महापुरूष जिन्होंने आपको यहां सही समय पर ले आए वरना आपका बचना भी मुश्क़िल था । मैं उन्हें महापुरूष इसलिए कह रहा हूं क्यूंकि उन्होंने पिछले 6 महीने में लगभग 40/50 सड़क दुर्घटना में घायल लोगों को अकेले अपने दम पे हमारे हास्पिटल लेकर आए हैं । वे यह काम पूरी तरह से निश्वार्थ कर रहे हैं । वे रोज़ बिना नागा रात 11 बजे से सुबह होते तक शहर के रिंग रोड पर अपना रिक्शा लेकर गस्त करते हैं । उनका एक ही उद्देश्य रहता है कि कोई व्यक्ति अगर दुर्घटना ग्रस्त होकर अकेला सड़क पर पड़ा हो तो उसकी मदद करना । उन्हें जल्द से जल्द पास के अस्पताल पहुंचाना । यह काम वे एक मिशन की तरह करते हैं और वह भी नि;शुल्क ।
 वह एक गरीब बूढा रिक्शा वाला है । आप उनसे मिलना चाहें तो मैं उन्हें बुलवाता हूं । तब राजकुमार ने कहा कि मैं अपने रक्षक को देखना चाहूंगा । उस धर्मात्मा को देखना चाहूंगा जो लोगों की मदद निशुल्क और निश्वार्थ भाव से करते हैं व उनकी जान बचाने हेतु एक माद्ध्यम बनते हैं । 

डाक्टर साहब  बाहर जाकर बेंच पर शान्त बैठे उस बूढे बाबा को कक्ष के अंदर लेकर आए । वह बूढा अंदर आया तो उसे देखकर राजकुमार की आंखों से आंसू बहने लगे । राजकुमार ने उस  व्यक्ति को पहचान लिया था कि वह रिक्शा वाला वही बूढा था , जिसके रिक्शे को खुद राजकुमार ने कुछ महीनों पूर्व अपनी कार से डैश कर दिया था । अगले दिनअखबार में  समाचार पढकर राजकुमार ने जाना था कि उस एक्सीडेन्ट के कारण इस बूढे के पुत्र की मौत हो गई थी जिसका नाम मृत्युन्जय था और उस बूढे बाबा का नाम मेघनाथ था। राजकुमार को मेघनाथ का चेहरा अच्छे से याद था । इसलिए उन्हें देखते ही वह पहचान गया । सारा माजरा समझकर राजकुमार के मन में ग्लानि व संकोच के भाव उमड़ने लगे । राजकुमार के मुंह से बड़ी मुश्क़िल से  धन्यवाद के शब्द निकले फिर राजकुमार की आंखें बंद हो गईं और वह कब नींद की आगोश में समा गया उसे पता भी नहीं चला । 

राजकुमार को अस्पताल से 15 दिनों में छुट्टी मिल गई । धीरे धीरे वह पूरी तरह से ठीक हो गया ।

 इस घटना को गुज़रे 6 महीने बीत गए। अब रायपुर में रात के समय कई एम्बुलेन्स अलग अलग मार्गों में चलने लगे हैं । जिनका एक ही काम है कि अगर कोई शख़्स सड़क पर दुर्घटना ग्रस्त होकर असहाय पड़ा हो तो उसे लिफ़्ट करना और नज़दीक के किसी हास्पिटल में पहुंचाना । एम्बुलेन्स सर्विसेस पूरी तरह नि:शुल्क है । एम्बुलेन्स के पीछे तरफ़ कुछ मोबाइल नंबर अंकित हैं । इसके साथ ही एम्बुलेन्स के कुछ स्थानों पर बड़े बड़े अक्षरों में लिखा है “ मेघनाथ आपात सेवा “ इस सेवा के काम का सारा खर्च राजकुमार उठाता है । राजकुमार अब पूरी तरह से बदल चुका है । शराब पीना वह त्याग चुका है । पिता के व्यापार में भी अब वह हाथ बंटाने लगा है । साथ ही तेज़ कार चलाने का उसका शगल उससे कब दूर हो चुका है , उसे याद भी नहीं । अब रायपुर शहर में सड़क पर दुर्घटना ग्रस्त लोगों को बिना मदद के ही रोड पर ही पड़े रहने वालों की संख्या और रोड पर ही मारे जाने वालों की संख्या में बेहद कमी आ चुकी है । आज इस शहर के हर शख़्स को रायपुर के एक सेवा कार्य का नाम ज़रुर याद है । उस सेवा कार्य का नाम है “ मेघनाथ आपात सेवा “ । सबको इस आपात सेवा संबंधित मोबाइल नंबर भी कंठस्थ है । 

मेघनाथ अब कमज़ोर हो चुके हैं । अब वे एम्बुलेन्स सेवा को सुपरवाइस करने का काम करते हैं । पर कभी कभी उनका मन होता है तो वे अपने पुराने रिक्शे को लेकर हाइवेपर निकल पड़ते हैं । ऐसे समय राजकुमार जी भी अक्सर मेघनाथ जी के साथ रहते हैं ।

इस वर्ष भारत सरकार ने फ़्री एम्बुलेन्स सर्विसेस जैसे पुनीत कार्य हेतु रायपुर के राजकुमार को मानव सेवा के दायरे में दिए जाने वाले सबसे बड़े पुरस्कार “ मदर टेरेसा” पुरस्कार से नवाज़ने की घोषणा की है पर राजकुमार भारत सरकार के अधिकारियों से मिलकर उन्हें यह समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि इस पुरस्कार का सही हकदार तो “ मेघनाथ जी “ हैं। मैं तो उन्हें सिर्फ़ थोड़ा आर्थिक सहयोग करता हूं । राजकुमार की बातें सुनकर अधिकारियों को समझ नहीं आ रहा है कि ऐसी स्थिति में क्या करें ? उधर रायपुर के निवासियों को इस बात की खुशी है कि एक राष्ट्रीय स्तर का प्रेस्टिजियश अवार्ड इस वर्ष रायपुर के ही बाशिन्दे को मिल रहा है । जिसके कारण राष्ट्रीय स्तर में रायपुर शहर का मान सम्मान बढा है । उन्हें भी सरकार के इस निर्णय का इंतज़ार है कि यह सम्मान राजकुमार को मिलने जा  रहा है या गरीब रिक्शेबाले मेघनाथ जी को । सरकार का यह निर्णय भविष्य के गर्भ में है । रायपुर के बहुत सारे लोग चाहते हैं कि यह सम्मान मेघनाथ जी और राजकुमार जी दोनों को संयुक्त रुप से मिलना चहिए ।

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राजकुमार कहानी प्रथम क़िश्त
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राजकुमार एक बिगडैल रईस जादा है। रैश ड्राइविंग उसका शगल है। जिसके कारण वह कई लोगों को घायल कर चुका है। पर वह अपने पैसों के बल पर कानूनी कार्यवाही से बचा हुआ है। एक रात जब वह क्लब से नस्जे की हालात पर घर आ रहा था की उसकी कार से एक रिक्शा वाले को चोट लग जाती है जिससे उसकी मृत्यु हो जाती है। पर राजकुमार बिना डरे अपने घर आकर सो जाता है, मानो उससे कोई गलती नहीं हुई है।
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कहानी राजकुमार ( प्रथम क़िश्त )

14 फरवरी 2022
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-----राजकुमार-----[ कहानी ___ प्रथम क़िश्त ]राजकुमार गुप्ता की प्रवृति पूर्णत: नाम के अनुरूप थी । उसके खान पान , बात चीत , पहनावा , चलने का ढंग और हेयर स्टाइल में भी खूब रईसी झलकती थी । वह घर के

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राजकुमार दूसरी क़िश्त

15 फरवरी 2022
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राजकुमार [ कहानी दूसरी क़िस्त ]अब तक[ मेघनाथ को समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे । इस बीच वहां से 10/12 गाड़ियां गुज़रीं पर किसी गाड़ी वाले ने रुककर उन्हें मदद पहुंचाने की ज़हमत नहीं उठाया ]मेघनाथ लगाता

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राजकुमार ( अंतिम क़िश्त )

16 फरवरी 2022
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[ कहानी राजकुमार -- अंतिम क़िश्त ][ अब तक---राजकुमार खुद अपनी गाड़ी को एक पेड़ से भिड़ाकर घायल हो गया था और कुछ देर बाद वह बेहोश हो गया ---- इससे आगे । ]सुबह 8 बजे उसकी आंखें खुलीं तो वह खुद को एक अस्पताल

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