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अनचाहा बंधन भाग-3

21 अक्टूबर 2021

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अनचाहा बंधन -3

मेरे रिसोर्ट में पूल साइड और गार्डन एरिया में कुछ वन रुम सेट के कोटेज बने थे.... जो अपने आस पास हरियाली पंसद करते हैं वो वही कोटेज के रुम बुक करते थे.... मैंने भी गार्डन में ही एक काॅटेज में रहता था...! 

मैं अगले दिन अपने कमरे में से तैयार होकर अपने केबिन में जाने के लिए रिसोर्ट के डोर से एन्ट्री कर रहा था मेरी नज़र रिस्पेशन एरिया पर चली गई वहाँ पर खाली एक एम्प्लाई नज़र आ रहा था ..... चाहत मुझे रिस्पेशन एरिया में नजर नहीं आयी, मुझे लगा कल तबियत इतनी खराब थी शायद सुबह भी और खराब हो गयी होगी इसलिए आज नहीं आयी है..... तभी पीछे से गुड मॉर्निंग सर कहने की आवाज आती हैं मैंने पीछे मुड़ कर देखा तो वो अभी ही अपने घर से आयीं हैं क्योंकि उसने अभी तक अपने घर की ड्रेस ही पहन रखी थी...... वही अपने हल्के रंग वाले काॅटन के सूट..... कपडों का रंग इतना हल्का होता था कि उसके चेहरे का दूधिया रंग उस पर माथे में लगा सिंदूर.... और अभी हो रही बारिश की कुछ बुंदे उसके माथे पर ठेहरी थी....जो उसके रुप को और निखार रही थी...... उसने मेरा कल दिया हुआ मंगलसूत्र आज भी पहन रखा था..... मेरे कुछ न बोलने पर उसने मुझे फिर से गुड मॉर्निंग कहा मैंने बस उसे गुस्से से घूर कर वहाँ से चला गया..... 
अपने केबिन में आकर चेयर पर बैठते हुए एक फाइल खोल कर बैठ गया.... खुद से बड़बड़ाते हुए.... जब तबियत इतनी खराब है तो आज आने की जरूरत क्या थी इसे.... वो अभी बारिश में भीगते हुए , एक दिन घर में नहीं रुक सकतीं थी..... मैं क्यों उसकी इतनी फिक्र कर रहा हूँ..... दिमाग खराब हो गया है मेरा.... अपने काम पर ध्यान देने की जगह इस लड़की पर ध्यान दे रहा हूँ.... फोकस मिहिर.... फोकस योर वर्क....! 

मैं कई बार सुबह से शाम में रिसोर्ट में कई बार काम से आया गया उसने कई बार ग्रिट कि पर हर बार मैं इग्नोर कर के वहाँ से निकल जा रहा था...! शायद उसे अपनी कल के लिए नराजगी दिखा रहा था.... और उसे समझ भी आ रहा था मेरे जाने के बाद कई देर तक उदास चेहरा बना ले रहीं थी! 
रात में वो अपनी सिफ्ट खत्म कर के जा रहीं थी मैं गार्डन में बैठ कर अपनी वाईय का ग्लास लेकर बैठे पी रहा था.... वो मुझे देख कर आगे बढ़ गयी.... मुझे लगा वो चली गई! 
फिर पता नहीं कब मेरे सामने खड़े होकर.... धीरे से साॅरी कहतीं है.... मैं आँखे बंद किये ग्लास को सिर से लगाये बेंच पर बैठा था..... उसके साॅरी कहने पर मैंने अपनी आँखे खोल कर देखा वो मेरे सामने खडी़ थी.... फिर मैंने आँखों के इशारे से पुछ साॅरी किस लिए कहा.... फिर वो कहतीं है.... साॅरी आप ने मेरी कल इतनी मदद की थी और मै बिना शुक्रिया किये ही चलीं गई..... थैक्यु कल के लिए..... और एक बात कहनी थी बुरा ना मानियेगा..... पर शराब सेहत के लिए अच्छी नहीं होती हैं.... उसके कहते ही मैंने बहुत गुस्से से उसे घूरते हुए खड़ा हो जाता हूँ..... वो मेरे खड़े होते ही डरते हुए पीछे कदम बढा़ये जा रहीं थी.... और मैं उसकी ओर बढ़ रहा था.... मेरे बढ़ते हुए कदमों से वो इतना डर गयी और तुंरत पलट कर जल्दी से चलते हुए वहाँ से भागने लगीं और मैं अपने काॅटेज कि ओर बढ़ गया जो ठीक उसके पीछे था... उसे लग रहा था मैं उसकी ओर बढ़ रहा हूँ.... पर मैं अपने रुम में जाने के लिए अपने कदम बढा़ रहा था..... अभी कुछ कदम ही चला था कि उसकी आवाज मेरे कानों में पड़ती है.... साॅरी सर मुझसे गलती हो.. गयी मुझे आपसे कहना ही नहीं चाहिए था... आपकी लाइफ है आप शराब पीये.... गुटका खाये मुझे क्या.... प्लीज मुझे जाने दे मैं आइंदा से कभी आपको ऐसा कुछ नहीं कहूंगी... मैंने मुड़ कर देखा उसका दुपट्टा एक पौधे की झाड में फंसा था और उसे लग रहा है मैंने उसका दुपट्टा पकड़ रखा है.... इसलिए वो डरके बिना मुड़े ही बोले जा रही थी|

बेवकूफ लड़की... कहते हुए मैंने उसे तेज आवाज में कहा पीछे मुड़ कर देखो... वो डरते हुए मुड़ती है उसने अपने दोनों हाथों से दुप्पटे का आखिरी छोर को कंधे पर के पास से पकड़ रखा था.... मुड़ती है तो देखती है उसका दुपट्टा झाड में फंसा है और मैं उसे काफी दूर खड़ा हूँ... वो झेंपते हुए सो.... स.. साॅरी सर कहकर अपना दुपट्टा निकालने लगतीं है.... डर के मारे उसके हाथों में जोर ही खत्म हो गया था उसे देख कर ऐसा ही लग रहा था...
. मैं उसकी ओर बढ़ गया हटो मैं निकाल देता हूँ.... वो डरते हुए पीछे हट जातीं है.... मैं दुप्पटे को खींच कर निकालने वाला था... कि आराम से पौधा न टूट जाये....उसकी धीमी सी आवाज आती है,
मेरे खींचने से पौधा बहुत हिल जा रहा था.... मैं उसकी ओर नजर उठा कर देखा वो दोनों हाथों का क्राॅस बना कर अपने सीने पर रखें खडी़ थी मेरे देखते ही अपनी नजरें नीची कर लेतीं है.... मैं जेब से फोन निकालकर उसमें टाॅर्च जलाकर दुप्पटा निकाल कर उसकी ओर बढा़ देता हूँ.... वो दुपट्टा डरते हुए पकड़ कर गले में लगाकर थैक्यु कहते हुए जल्दी से भाग जातीं है! 
बेवकूफ लड़की अपने दुप्पटे की फटने से ज्यादा चिंता पौधे की हो रही है....! उसके बाद अपने कमरे में चला गया! 

सुबह... 

मिटिग रुम में.... सो आप लोग रेड्डी है आज शाम को पार्टी होनी है, जिसके बारे में मैंने आपको पहले ही बताया था.... हमें ज्यादा स्टाफ की जरूरत है पार्टी दो हाॅल में होनी है...एक बच्चों की और दूसरा उनके पैरेंट्स की,इसलिए स्टाफ ज्यादा लगेगा.....इसलिए सारे गेस्ट के आ जाने के बाद रिस्पेशन पर एक ही सदस्य रहेगा.... आप लोगो को माॅनिटर करना होगा कि सभी गेस्ट का अच्छे से ख्याल रखा जा रहा है या नहीं आप लोग उनसे जाकर पुछते रहना होगा... उन्हें किसी चीज की जरूरत तो नहीं है.... सारे डिपार्टमेंट के हेड आप लोग अभी से काम पर लग जायिए.... ... 

शाम को पार्टी शुरू हो गई है दो सौ गेस्ट आये है... बच्चों की पार्टी अलग हो रही है... बड़े लोगों की पार्टी अलग हो रही है... मैं दोनों जगह बार बार जाकर चेंके कर रहा था कोई परेशानी तो नहीं हुई है.... बच्चों के हाॅल में सब ठीक चल रहा था सभी बच्चे आराम से खा रहे थे या खेल रहे थे... वहाँ से निकल कर मैं दूसरी हाॅल में गया वहाँ भी सब ठीक लग रहा था.... मेरी नज़र चाहत पर पड़ती है.... वो जहाँ - जहाँ जा रहीं थी एक गेस्ट बार - बार उसके आस पास आ रहा था.... चाहत बहुत घबराई हुई सी लग रही थी.... वो उस आदमी से बचकर निकल रही होती हैं कि वो उसके सामने आ कर अपने दोनों हाथ फैला कर उसका रास्ता रोक के खडा़ हो गया था.... और अब उसके दो चार दोस्त भी आकर वहा खड़े हो रहें थे सब के सब नशे में धूत नजर आ रहें थे....... 
अरे कहाँ जा रहीं हैं मैडम हम लोगो यहाँ के गेस्ट हैं आप हमारी सेवा किये बिना कहाँ जा रहीं हैं.... और कहते हुए उसने अपने हाथ चाहत के कंधे को छूने के लिए बढा़ दिये.... मैं वहाँ पहुँच कर चाहत का हाथ पकड़ कर उसे पीछे करते हुए तुंरत उसकी जगह खड़ा हो गया, उस आदमी का हाथ में कंधे पर पड़ा..... मैंने उसके हाथ को अपने कंधे से हटाकर अपने हाथ में पकड़ते हुए.... क्या हुआ सर कोई परेशानी है तो मुझे बताये मैं अभी दूर कर देता हूँ कहते हुए अपने हाथों के बीच रखें उसके हाथ में कस के दबा देता हूँ.... वो अपना हाथ मेरे हाथ से छुड़ाते हुए कोई परेशानी नहीं है..... बस इन मैडम से कह रहा था वहाँ हमारी टेबल पर ड्रिंक सर्व कर दे..... अरे सर इतनी सी बात के लिए आप यहाँ खुद चल कर क्यों आ गयें..... देखिए वहाँ हमारे कितने सारे वेटर खड़े होकर कर सबको ड्रिंक सर्व कर रहे हैं..... फिर भी मैं वेटर से कह देता हूँ..... आप अपनी जगह जाये...... वैसे सर यहाँ कैमरे लगे हैं..,... आपकी पार्टी खत्म हो जाने के बाद मिडिया यहाँ जरूर आयेगी कोई न कोई मसाला लेने और अगर आप ऐसी ही हरकते करते रहेंगे.... मेरा मतलब है ड्रिंक के लिए खुद चलकर आयेंगे तो क्या इज्जत रह जायेगी..... वेटर यहाँ आओ..... इन सर को जरा अच्छे से ड्रिंक सर्व करो..... कहते हुए मैंने चाहत पर नज़र डाली और उसे मेरे पीछे आने का इशारा किया और खुद हाॅल से बाहर निकल कर एक खाली कोरिडोर में आकर खड़ा हो गया.. .. . . उसके आतें ही मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपनी ओर खींचे हुए गुस्से से कहने लगा..... क्या कर रही थी ये..... उसे डर क्यों रही थी.... जब वो तुम्हें परेशान किये जा रहा था तो,उसे पहले हिदायत देना चाहिए था अगर उसे समझ नहीं आ रहा था तो उसी समय उसे एक जोर का थप्पड़ मारना चाहिए था ना..... 
मैंने उसे कहा था मुझे दूर रहें पर वो बार - बार आकर मुझे परेशान कर रहा था.... वो सिसकते हुए बोली.....

 उसे परेशान करना नहीं छेड़ना कहते हैं और ऐसे लोग जब एक बार में बातों से नहीं समझते हैं तो इनके कान के नीचे एक जोर का थप्पड़ लगाते हैं..... तुम्हें उसे थप्पड़ उसी समय मारा चाहिए था जो होता मैं देख लेता.......

 मैं डर गयी थी.... मै नहीं चाहतीं थी मेरी वजह से कोई तमाशा हो, जिसे इस रिसोर्ट का नाम खराब हो....

. तुम बेवकूफ हो.... इंसान को पहले अपने बारे में सोचना चाहिए, उसके बाद दूसरे के बारे में..... रोना बंद करो अब.....

 वो अपने एक हाथ से आंसू पोछती है....

. अब वहाँ नहीं जाओगी.... बच्चों की पार्टी हाॅल में जाओ वही रहना अब, वहाँ से किसी और मेल स्टाफ को कह देना उधर जाने के लिए....... अब जाओ...... खडी़ क्यों हो.......

 वो हाथ..... छोडिए...... मैने उसका हाथ पकड़ रखा था मुझे ध्यान ही नहीं था इसका, उसके कहने पर मेरा हाथ पर ध्यान गया उसका हाथ छोड़ते हुए.... हू जाओ अब! 

अब मैं ज्यादा टाइम तक खड़े होकर देखा रहा था वो आदमी मेरे किसी को फिमेल स्टाफ को परेशान तो नहीं कर रहा है..... वो अपने शराबी दोस्तों के साथ बैठ कर काफी देर तक शराब पीता रहा फिर आपस में कुछ बात करके पार्टी से चले गए...... 
उसके बाद मैंने सोचा एक बार दूसरे हाॅल में देख लेता हूँ वहाँ सब ठीक है कि नहीं..... वहाँ जाता हूँ तो बच्चे दो टीम बना कर खेल रहे हैं..... चाहत भी बच्चों की एक टीम में खेल रहीं हैं.... उसे हंसते हुए मैंने आज पहली बार देखा है बच्चों के साथ खेलते हुए वो उन लोगों की बात पर बहुत खुलकर हंस रही होती है..... उसके हंसने पर किनारे पर एक दाँत की गेप जितनी खाली जगह थी देखने से ऐसा लग रहा था जैसे वहाँ एक दाँत है ही नहीं उसकी ऐसी बत्तीसी देखकर मुझे हंसी आ गयी..... लगता है इसीलिए सबके सामने नहीं हंसती हैं.... कहीं दाँत के किनारे की गेप सबको न दिख जाये..... उसपर हंसने की सजा कहो या.... इतेफ़ाक उसने दूसरे टीम को टिश्यू पेपर की बनायी बाॅल उसने उनकी ओर फेकी थी पर थोड़ा जोर से फेंकने की वजह से आकर सीधे मेरी नाक पर लग गयी..... कहने के लिए टिश्यू पेपर से बनायी बाॅल थी, पर आकर लगने से नाक एकदम से हिल गयी एक हाथ से कान को मलते हुए मैंने बाॅल उठाई.... और कहा किसने फेंकी है..... 
मुझे बाॅल लगते ही चाहत बच्चों के पीछे जाकर छुप गयीं.... और बच्चों के साथ खुशुरफुशुर करते हुए..... कोई चले जाओ और सर से कह दो बाॅल तुम मे से किसी ने फेंकी है.... तो वो तुम लोगो को छोड़ देगे..... अगर उन्हें पता लग गया है मैंने फेंकी है तो मेरी खेर नही होगी.... प्लीज मुझे बचा लो कोई...... 

एक बच्चा कहता है... सर आपके बहुत गुस्से वाले है क्या दीदी......

 चाहत बेचारा सा मुंह बना कर.... हां बहुत ज्यादा गुस्से वाले है..... दिन भर गुस्से में ही रहते हैं..... बात बात पर कस के हाथ पकड़ कर डांटते रहते हैं...... ये देखो मेरा हाथ..... अभी भी लाल है यहाँ आने से पहले मुझे बहुत डांटे है...... 

ये तो बहुत खडूस है.... एक बच्चा कहता है.... 

चाहत बेचारा सा मुंह बना कर.... हां बहुत खडूस है....

. मैं उनके पास जा कर थोड़ा गुस्से से,,क्या हो रही है खुशुरफुशुर.... मैंने पुछा किसने फेंकी ये बाॅल... जल्दी बताओ..... मेरे ऐसा कहने से और चाहत कि बातें सुनें के बच्चे डर जातें हैं..... और पीछे छुपी चाहत के सामने से हट जाते हैं और कहते हैं बाॅल चाहत दीदी ने फेंकी है पर हमारे होते आप उनको नहीं डांट सकते हैं..... समझे आप और सारे अपने दोनों हाथ कमर पर रख कर गुस्से से मेरी ओर बढ़ने लगतें...... तुम लोग मुझे डरा क्यों रहें हो..... चाहत तुम ने बच्चों को क्या पटी पढायी है सब मुझे क्यों घूर रहे हैं..... गलती तुम्हारी है बाॅल तुम ने मुझे मारी है गुस्सा मुझे होना चाहिए था...... दीदी की कोई गलती नही है आप बीच में आये है..... सारे बच्चे मुझ पर ही चढ़े जा रहे थे.... चाहत की ओर बढने कि कोशिश करते हुए.... पर बच्चे उसे घेर कर खड़े थे..... चाहत ये क्या बतमीजी है.... तुम बच्चों को मुझे डराने के लिए कैसे कह सकती हो....

. मै... वो....चाहत हकलाती है

 दीदी को कुछ नहीं बोलिये उन्होंने नहीं कहा है आपको डराने के लिए..... वो तो बहुत अच्छी है...... आप ही उन्हें डराते रहते हैं और बात बात कर डांटते रहते हैं.....

 मैंने चाहत की ओर देखकर कहा मैं तुम्हें डराता हूँ.... और बात बात पर डांटता हूँ.... वो कभी हां मैं सर ही हिला रहीं थी मेरे घूरते ही ना मैं सिर हिला रहीं थी..... 

देखो दोस्तों ये फिर से दीदी को डरा रहे हैं..... इनको बताना पडेगा लड़कियों को डराना बेडमेनरश् होता है....

 बहुत हो गया तुम बच्चों का.... और उनको हटाकर चाहत के पास जाकर, तुम को यहाँ भेजा था देखने के लिए कि बच्चे अच्छे से इंजोय कर रहे हैं या नहीं, पर तुम तो मुझ पर अटैक करने के लिए टीम बना रहीं थी...... चलो बच्चों को बताओ मेरे बारे में झूठ बोल रही थी...... मैंने कब तुम को डराया....... 

आप अभी डरा ही रहे हैं.... चाहत धीरे से कहतीं है ......

 हटो दीदी के पास से कहते हुए बच्चे मुझे मेरी पेट पकड़ कर खींच रहे थे...... मेरा अचानक से खींचने की वजह से बैंलेस बिगड़ गया मैंने गिरने से खुद को बचाने के लिए चाहत को कंधे से पकडा़ था पर संभल नही पाया और दोनों ही जमीन पर गिर गये..... चाहत का आधा शरीर मेरे ऊपर था और गिरने से उसके बालों का जूडा़ खुलकर आधे बाल में चेहरे पर आधे गर्दन के पास थे..... उसका एक हाथ मेरे शरीर के नीचे दबा था और दूसरा हाथ सीने पर होते हुए कंधे को पकडी़ थी..... और मेरा एक हाथ उसकी कमर को पकडे़ हुए और दूसरा हाथ उसकी पीठ पर था...... दोनों की नजरें मिल गयी थी..... चाहत की धड़कने बहुत तेज़ चल रही थी..... वो उठने को हुई पर एक हाथ नीचे दबा था इसलिए उठकर फिर से मेरे सीने पर आ गिरी...... मैंने आँखों के इशारे से रुको मैं मदद करता हूँ..... उसे लेकर एक पलट लेते हुए अपने दोनों हाथ हटाते हुए जमीन पर लेटाकर उसे कुछ दूर खसकते हुए उठाकर बैठ गया और वो उठकर भागते हुए वहाँ से निकल गयी..... मैं भी उठकर वहाँ से चला गया! 
वो गार्डन में आकर खड़े हो कर अपनी तेज चलती सांसों को स्थिर करते हुए..... अपने बालों को समेटते हुए....... उधर से मैं अपने रुम में जा रहा था.... उसकी मेरे पर नजर पड़ते ही उसके हाथ में से सारे बाल छूट जाते हैं..... मैं वहाँ से जल्दी अपने कमरे में चला गया! 

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अनचाहा बंधन
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हम इंसान है इसलिए हमारे पास रिश्ते हैं, पर हर रिश्ता खुशी, सकून देने वाला हो ये जरूरी तो नहीं कुछ सिर्फ बंधन बनकर रह जाते हैं उलझनों वाला, दर्द तकलीफ वाला एक अनचाहा बंधन ,, मिहिर और चाहत ऐसे ही अनचाहे बंधन की उलझनों, दर्द तकलीफों से निकलने के लिए दोनों अनचाहा बंधन में बन जाते हैं, कैसे ये अनचाहा बंधन उनकी चाहतों का बंधन बनता है यही कहानी में दर्शाया गया है|

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