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अनचाहा बंधन भाग-1

21 अक्टूबर 2021

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अनचाहा बंधन..... 1
कहते हैं दूध का जला छाछ भी फूक -फूककर पीता है.... पर मुझसे बड़ा बेवकूफ़ कोई नहीं होगा.... आज ही दूध का जला ठीक हुआ और आज ही फिर से गर्म दूध पी लिया.... अभी पता नहीं वो दूध थी या छाछ.... उसकी बातों से तो लगा कि शायद वो मेरे लिए छाछ ही साबित हो सकती है.... पर उसे बिना जाने पहचाने में कैसे मान लूं कि आगे चलकर वो मेरे लिए परेशानी साबित नहीं होगी.... जिसे जानता था वो तो ऐसे घांव दे गयी जो अब कभी नहीं भरेगे.... खैर ये छोड़ते हैं और अपने बारे में पहले बता देता हूँ.... आखिर आपको भी तो जानना होगा ये दुखी आत्मा कौन है तो..... 
चलिए मैं अपने बारे में बताता हूँ.... मेरा नाम मिहिर ठाकुर है.... माँ बाप की इकलौती औलाद.... उनके ही दिये बिजनेस को आगे बढ़ाने का काम किया, कई सारे होटल और रिसोर्ट थे मुम्बई और लोनवला में पर कुछ बेवकूफी और कुछ परेशानियों की वजह से सब चला गया,अब मेरे पास एक लोनवला का रिसोर्ट ही बचा है....उसी रिसोर्ट के एक कमरें में रहता हूँ......यहाँ के पहाड़ों से आती हवाओं और यहाँ की हरयाली में अपने मन कि ब्यथा को भूलने की कोशिश कर रहा हूँ....उम्र 30 साल... पर परेशानियों ने इस कदर घेर लिया है कि चेहरे से अब ज्यादा उम्र का दिखने लगा हूँ.... 
कल रात लोनावला कि सुनसान सड़क पर अपने परेशानी के जाल से निकलने कि खुशी मना रहा था या उनके परेशानियों से मिले दर्द को शराब पीकर कम कर रहा है.... ये तो मैं भी ठीक से नहीं समझ पाया.... और उसी शराब पीने के चक्कर में मैंने ऐसी गलती कर ली कि अब क्या बताऊँ..... 
शादी के इतने बुरे वाक्या के बाद कभी ना शादी करनी की कसम खा ली थी.... पर रात में उसे शादी कर ली जिसका नाम तक नहीं जानता हूँ..... सुबह जब आँख खुली तो रात का सारा वाक्या आँखों के सामने घूम गया और वो सामने से चली आ रही थी.... सिम्पल सा काॅटन का सूट पहनें हुए थी...उसके माथे पर मेरा लगाया सिंदूर दूर से ही दमक रहा था......जो उसकी सुंदरता में चार चांद लगा रहा था.......पर इस समय वो मुझे सुंदर लगने की जगह....एक परेशानी लग रहीं थी........उसको अपनी ओर आता देखकर मैं ये सोचने लगा ये मेरे लिए एक मुसिबत से ज्यादा कुछ नहीं है मुझे इसे सब साफ साफ कहना ही होगा कि जो हुआ बस नशे की हालत में हुआ... उसे सच ना समझे और ना मेरे पीछे पड़ने की कोशिश करे.... फिर क्या मैं,उसके मेरे पास आते ही मैं बोल पडा़....... देखों मैं ये शादी वादी नहीं मानता हूँ.... रात में होश में नहीं था.... बस तुम्हे मरने से बचाने के लिए बोल गया कि मैं तुम से शादी कर लुगा.... पर मैं उस समय शराब के नशे में था.... मुझे कुछ होश नहीं था कि मैं क्या करने जा रहा हूँ.... तो तुम जबर्दस्ती मुझे कोई रिश्ता जोड़ने की कोशिश भी मत करना.... ये शादी कोर्ट में मान्य भी नहीं होगी , तो तुम मुझे कोर्ट जाने की धमकी भी मत देना... 

नहीं, आप मुझे गलत समझ रहे हैं.... मुझे बस एक शादी का सटिफिकेट चाहिए था.... आप ने मेरी मदद कि.... मेरी जान बचाने के लिए मुझ पर इतना बड़ा एहसान किया उसके लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया सर..... आप बिलकुल भी चिंता ना करे ये अनचाहा बंधन आपके रास्ते में नहीं आयेगा.... आप चाहे तो मुझसे तलाक ले सकते हैं... पर वो भी मैं आपको छ: महिने बाद ही दे सकती हूँ...! 

उसके ये कहते ही मुझे अचरज ही भी हुआ साथ ही खुशी की ये मेरे पीछे नहीं पडेगी..... दूसरे पल ही मैं सोचने लगा कि शायद इसे नहीं पता कि मैं एक आमीर आदमी हूँ शायद इसलिए ऐसा कह रही है.... अगर पता चलने के बाद इसकी नियत में खोट हो गया तो.... फिर मैं उसी मुसिबत में फंस जाऊंगा जिसे कुछ घंटों पहले छूटा था.... फिर मैंने उसे कहा मैं तुम्हारी बात का विश्वास कैसे करूँ.... कि तुम कभी किसी रोज मुझसे शादी का हक माँगने नहीं आओगी..... ! 

सर ये शादी का सटिफिकेट है इसे आप आपने पास रख लिजीए..... मेरे लिए इसकी जरूरत अब खत्म हो गयी है.... मेरे पास हमारी शादी का ये ही सबूत है.... जो मैं आपको दे रही हूँ..... जब मेरे पास सबूत नहीं रहेगा तो मैं ये कैसे साबित कर सकती हूँ कि हमारी कभी शादी हुई है....

 मैंने तुरंत उसके हाथों से वो शादी का सटिफिकेट ले लिया या यूँ कहे झपट लिया उसके हाथों से.... और ठीक है कह कर वहाँ से निकल गया|

अब गाड़ी चलाते हुए मेरा दिमाग़ ये सोचते हुए फट रहा है ये लडकी कैसी है.... शादी बस एक सटिफिकेट के लिए कर लिया और उस सटिफिकेट को अपने पास भी नहीं रखा... क्या अजीब लड़की है.... एक लड़की के बारे में सोचते हुए और दूसरा शराब का हेंगओवर से सिर में तेज दर्द हो रहा था... 
एक चाय के दुकान पर चाय बिस्कुट खाने के बाद मैंने एक सिर दर्द की दवा खाई.... उसके बाद वहाँ कुछ देर बैठने के बाद में अपने रिसोर्ट के लिए निकल गया... 
रिसोर्ट में अंदर दाखिल होतें हुए रिसेप्शनिस्ट ने गुड मॉर्निंग विश किया..... मैं हमेशा की तरह बस अपनी मुडी़ हिला कर आगे बढ़ गया..... पर अचानक से मुझे उसका चेहरा जाना पहचाना लगा, मैं मुड़कर उसके पास आया.... उसे देखते ही मैंने गुस्से से कहा..... तुम यहाँ क्या कर रहीं हो... सुबह ही मंदिर में मेरी तुम्हारी बात हो गयी थी ना कि तुम फिर यहाँ क्या कर रहीं हो.. उसकी बांह पकड़कर अपनी ओर खींच कर मैंने उसे कहा.... !
सर... सर... वो... अभी वो इतना ही बोल पायी थी कि मैंने उसे अपने रिसोर्ट की यूनिफॉर्म में देखते हुए कहा.... तुम्हें ये यूनिफॉर्म किसने दी.... 
मेरे उसकी बांह को जोर से पकड़ने कि वजह से शायद उसे दर्द हो रहा था वो मेरे हाथ से अपनी बांह छुड़ाने की कोशिश करते हुए.... कहतीं है.... सर शायद आपने मुझे पहचाना नहीं है.... मैं इसी रिसोर्ट में कई सालों से काम कर रहीं हूँ... 
क्या! फिर वो बोली नीला मैम के जाने के बाद मुझे प्रमोट करके छ:महिने पहले ही यह पोस्ट मिलीं है इसे पहले मैं हाउसकिपिंग डिपार्टमेंट में थी शायद आप ने ध्यान नही दिया.... कह देने के बाद वो चुप हो गयी और मैं उसे घूरते हुए सोच रहा था ये यही काम करतीं हैं, कहीं इसने मुझे फंसाने के लिए ही तो नहीं शादी की है.... पर उसके चेहरे की मासूमियत ने मेरे मन और दिमाग़ में जंग छेड़ रखीं थी.. दिमाग़ उसे शातिर कह रहा था.. मन को बेचारी लग रही थी.... चेहरा भी इस समय दर्द से भरा लग रहा था उसका आँखों में आंसू उतर आये थे.... मेरी तन्द्रा... उसके ये कहने पर टूटी..... सर हाथ छोड़ दीजिये बहुत दर्द हो रहा है.... मैंने उसका हाथ छोड़ दिया और उसे एक बार फिर से ऊपर से नीचे तक घूरते हुए वहाँ से अपने केबिन कि ओर बढ़ गया.... अपने केबिन कि ओर मुड़ते हुए मैंने एक बार उसे मुड़कर देखा तो वो अभी भी जड़वत कांपते हुए खडी़ थी ..! 
मैं केबिन मैं आतें ही अपने कम्प्यूटर पर उसकी डिटेल चेंक करने लगा.... उसका नाम मैंने उसे बात करते हुए उसके बैच पर पढ़ लिया था.... 
नाम चाहत विष्ट
उम्र 25
उसे यहाँ मेरे बहुत पुराने सेफ की सिफारिश पर हाउसकिपर
रखा गया था.... उसका सारा रिकॉर्ड बहुत अच्छा था.... पर जब एक बार आदमी किसी से धोखा खा लेता है तो हर किसी को अविश्वास कि ही नज़र से ही देखता है.... मेरे साथ भी ऐसा ही है.... जब वो पहली बार मिलीं थी तभी ही जानी पहचानी लगी.... पर मैं पहचान नहीं पाया....! 
इन छ: महिने में तो वैसे ही मै परेशानियों से घिरा था कभी गौर ही नहीं किया स्टाफ में कौन नया आया,कौन गया.. किसे प्रमोट किया गया... सारे काम मेनेजर ही कर रहा था मै बस उसके बताने पर फाइलों पर साइन कर देता था!
 
मैं भी कब से उसी के बारे में ही सोचें जा रहा हूँ.... उसे कोई रिश्ता नहीं है मेरा.... जो ये नाम का रिश्ता है उसे मैं आज ही खत्म कर देता हूँ.... उसे तलाक के पेपर देकर मैं छुट्टी पाऊँ इस रिश्ते से.... मुझे नहीं रूकना छ: महिने.... और मैने अपने वकील को कह कर तलाक के पेपर बनाने को कह दिया.... उसने शाम तक पेपर देने की बात कही.... अब मेरी परेशानी दूर हो जायेगी ये सोचकर एक राहत की सांस ली और अपने काम में लग गया! 

लांच ब्रेक में अपने केबिन से बाहर निकल कर रिसाेर्ट के हाॅल में गया वहाँ कुछ स्टाफ मिल कर मिठाई खा रहे थे... मैं वही से गुजर रहा था तो एक फिमेल स्टाफ मुझे रोककर कहतीं है.... सर मिठाई खा लिजीए.... मैंने एक मिठाई उठाते हुए पुछा किस खुशी में.... तो उनमें से एक, मेरी ओर पीठ किये हुए फिमेल स्टाफ को घूमा कर कहतीं है.... सर ये चाहत कि शादी की मिठाई है.... कल इसकी शादी हुई थी उसकी ही पार्टी दे रही है ये.... मैंने उसे देखा तो वो सिर झुकाये अपनी उंगलियों को आपस में फंसा अपने नाखून उंगली को चुभा रही होती है.... मैं वहाँ से बिना कुछ कहे बाहर निकल गया.... 
कैसे सर है चाहत को बधाई भी नहीं दिये... आपस में बात करते हुए कह रही थी... 
गार्डन में आते ही मैंने वो मिठाई गुस्से से फेंक दी... मुझे फेंकते हुए उसने ग्लास से बनी वाॅल से वो देख रही थी... मेरे उधर देखते ही उसे अपनी नज़रें जल्दी से घुमा ली... उसे यूँ पार्टी मनाते देखकर मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था.... ये लडकी कैसी है मुझे समझ ही नहीं आ रहा था... जिस शादी के होते ही उसे खत्म करने की बात पहले ही हो चुकी है ये उसकी लोगों को पार्टी दे रही हैं....

 इस समय चाहत मेरे लिए किसी पहली से कम नहीं लग रही थी और मुझे इस पहली में नहीं फंसना था.... मैंने वकील को फिर फोन किया कि मैं शाम तक नहीं रुक सकता हूँ विकास वो तलाक के पेपर अभी पहुंचा दे.... उसे बात करने के बाद में खुद ही चला गया पेपर उसे लेने...! 
पर तलाक के पेपर लाते हुए मुझे खुद ही शाम होगी... मैं उसके पास पहुंचा, वहाँ और भी स्टाफ और कस्टमर खड़े थे... और मुझे उसे सबके सामने कोई बात नहीं करनी थी
मैं नहीं चाहता था किसी को भी हम दोनों के रिश्ते के बारे में पता चले , इसलिए मैं अपनी केबिन मैं आ गया.... और वेट करने लगा कि कब वो फ्री हो.... वेट करते हुए काफी टाइम हो गया उसकी सिफ्ट खत्म हो गयी वो कपड़े चेंज कर, अपने वही बिलकुल सादे रंग के काॅटन का सूट डाल करके रिसाेर्ट से बाहर निकल रही थी कि मैंने गार्डन में ही पीछे से पकड़ कर एक पेड़ के ओट में खड़ा किया.... मेरे ऐसे अचानक उसे पकड़ने पर वो चिलाने वाली थी कि मैंने उसका मुंह बंद कर दिया मेरा चेहरा न देखने तक अपने हाथों से मेरा हाथ हटाने के लिए अपने नाखून मुझे चुभा रही थी.... मैंने गुस्से से उसके कान के पास अपना चेहरा ले जाकर कहा... नाखून मारना बंद करो और उसे अपनी ओर घुमा लिया.... मुझे देखने के बाद उसके हाथ रुक गये... उसके मुंह पर से हाथ हटाकर अपना उसकी कमर पर रखा हुआ हाथ हटाकर उसे छोड़ देता हूँ.... मेरे हाथ हटाते वो मुझे दूर भाग खडी हुई बहुत डरी लग रही थी... वो पेड़ के ओट से बाहर चली गई थी.... मैंने उसका हाथ पकड़ कर फिर से अपनी ओर खींचते हुए.... कहाँ जा रही हो यही खडी़ रहो मुझे तुम से बात करनी है.... वो खडी़ होकर इधर उधर देखने लगी.... उसे ऐसे देखते हुए कोई नहीं है ,इधर हम बात कर सकते हैं... और अपनी पेंट की पीछे की जेब से पेपर निकाल कर उसे देता हूँ... वो मुझे बस देखे जा रहीं थी.... मुझे ऐसे मत घूरो इस पेपर पर साइन करो.... कैसे पेपर है.... कहकर पेपर देखने लगतीं है... मैंने भी उसी समय कहा तलाक के पेपर है साइन करो और मुझे इस रिश्ते से फ्री करो.... सर मैंने कहा ना छ: महिने बाद में आपको खुद तलाक दे दूगी.... आपको लोगों पर विश्वास नहीं होगा.... पर मै मेरी मदद करने वाले या कोई भी हो उसे धोखा नहीं देतीं हूँ.... भले मेरे पास आपके जितना पैसा ना हो पर जुबान की पक्की हूँ अगर कहा है कि छ:महिने बाद खुद तलाक दे दूगी तो भरोसा रखें दे दूगी... कह कर वो वहाँ से चली जाती है... मैं बस उसे जाते हुए देख रहा हूँ! 


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अनचाहा बंधन
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हम इंसान है इसलिए हमारे पास रिश्ते हैं, पर हर रिश्ता खुशी, सकून देने वाला हो ये जरूरी तो नहीं कुछ सिर्फ बंधन बनकर रह जाते हैं उलझनों वाला, दर्द तकलीफ वाला एक अनचाहा बंधन ,, मिहिर और चाहत ऐसे ही अनचाहे बंधन की उलझनों, दर्द तकलीफों से निकलने के लिए दोनों अनचाहा बंधन में बन जाते हैं, कैसे ये अनचाहा बंधन उनकी चाहतों का बंधन बनता है यही कहानी में दर्शाया गया है|

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