नमस्कार ! प्रिय पाठको यह कहानी कोई कहानी नहीं है बल्कि एक सच्चाई की परछाई है ।
यह कहानी काल्पनिक नहीं है नाहीं इस कहानी के कोई पात्र काल्पनिक है इस कहानी का पात्र कोई भी हो सकता है आप भी या आपके आस-पास का कोई और भी बस जरुरत है आपको महसूस करने की आज के इस बदलते दौर मे जहां हर तरफ आगे निकलने कि होड़ लगी है वहीं हमसे आपसे और समाज के हर इंसान से रिश्ते और परिवार पीछे छूटता चला जा रहा है।
मिल भी कुछ नहीं रहा है और खत्म भी सब हो जा रहा है ।आज इस आधुनिक जमाने मे जहां हर चीज़ आपके पास आसानी से उपलब्ध है वही इंसान परेशान है अपनी अकेलेपन से अपने खालीपन से और अनिश्चितता से इस कहानी मे हम यही पढ़ेंगे ।
यह कहानी एक मध्यम वर्गीय परिवार की है... जी हाँ मध्यम वर्गीय परिवार वही जहां हर काम मुश्किल से और सबकी सहमति से होता है ।
यहाँ ना कोई सपना होता है ना कोई खवाइश यहाँ जो भी होता है वो मेहनत और संयोग मात्र होता है।
ऐसे ही मध्यम वर्गीय परिवार मे पैदा होता है अनु... अनु जब छोटा था हर चीज़ से अनजान अपनी बचपन मे मस्त जैसे सब बच्चे होते है ।
सब बच्चे शायद नहीं.....
हम जिस समाज मे रहते है यहाँ किस्मत से ज्यादा कर्म कि प्रधानता है और जो कुछ मिलता है उसमें कर्म की ही ज्यादा प्राथमिकता होती है ।
अगर ऐसा है तो कोई बताए उन छोटे-छोटे बच्चों को किस कर्म की प्राथमिकता पर गरीब या आमिर के घर मे जन्म होता है..?
दरअसल हम जिस समाज मे रह रहे है इसका एक बड़ा भाग जिस भी चीज़ का अनुसरण करता है लोग उसी को सच मन लेते है लोगो की सोच इतनी संकुचित हो गई है कि वो खुद से सही और गलत तक मे फर्क नहीं कर पा रहे है । और इसी का परिणाम है जो हमें हमारी जिन्दगी को एक
ऐसे अंधकार में ले जाति है जहां से वापस आना नामुमकिन सा है।
अनु अपनी दुनिया मे खुश है उसको बाकियो से कोई तुलना नहीं और कुछ पाने कि कोई ज़िद नहीं और ज़िद होती भी तो शायद उस मध्यम वर्गीय परिवार के लिए परेशानी खड़ा कर देता ।
अनु बड़ा हो रहा है और उसे समाज की असलियत और यहाँ जिन्दगी जीने की मुश्किल अब धीरे धीरे समझ मे आने लगती है
अनु की भी ख्वाइशें होती है जैसे हर इंसान कि होती है अनु का भी ऐसा ही कोई सपना है जिसे पाना उसका ज़िद बन जाता है और उसके लिए अनु हर चीज़ से दुरी बनता है ।अपने सपने के लिए हर कदम कोशिश करता है किस्मत से आगे जाता है कर्म से आगे जाता है लेकिन शायद वो ये भूल जाता है कि किस्मत के आगे जाना भी किस्मत ही है।
अनु की खवाइश अब उसकी दुश्मन बन चुकी थी उसकी ख्वाइश अब अनु और उसके परिवार के बीच मे आ गई और अनु से उसके परिवार कि दूरिया बढ़ा दी ।
अकेला अनु समझ नहीं पा रहा था कि उसे पाना क्या है अपना सपना जो अब उसकी जिन्दगी बन चुकी थी या वो परिवार जो चाह कर भी पहले जैसे नहीं हो सकती थी ।
फिर भी अनु एक सकारात्मक ऊर्जा के साथ सामना करता है अपने सपने के लिए समाज मे स्पर्धाओं से और परिवार के लिए खुद से लेकिन होना तो कुछ और ही था ।
अनु इस लड़ाई मे हार जाता है अपना सपना अपना परिवार और खुद को भी खो देता है इन्ही सब के बीच और निराशा से भरा अनु जिसे दिखता है तो बस चारों तरफ अँधेरा जिसे अब कोई प्रकाश,प्रकाशित नहीं कर पायेगा और होता भी वही है अनु अपना सपना खो देता है और अनु का वो मध्यम वर्गीय परिवार अनु को जिसे वो लोग बचा सकते थे
आज फिर एकबार अनिश्चितता ने निश्चितता को निगल ही गया ।।
ऐसी अनेको कहानियाँ रोज़ हमारे आस पास घटित हो रही है जरूरत है हमें और आपको आगे आने की अपने बेकार सी व्यस्तता और फोन मे झूठी दुनिया से बाहर आने की और तमाम ऐसे अनु के साथ देने की जिनसे समाज मे बदलाव निश्चित है।।