4 नवम्बर 2015
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देश हित सर्वोपरि ही मेरी विचारधारा है, भारत ही मेरी जात मेरा मज़हब और मेरी पहचान है | D
उम्दा बात कही है आपने तिवारी जी |
5 नवम्बर 2015
क्या खूब कहा है, सुधांशु जी!
आंखे कितनी भी छोटी क्यो ना हो !!ताकत तो उसमे सारा आसमान देखने की होती है !!
अपनी कीमत उतनी रखिए, जो अदा हो सके ! अगर अनमोल हो गए तो, तन्हा हो जायेगें..!
आज हर कोई अपनी बाइक ओर गाड़ी छाँव 🌳 में लगाना चाहता है......! लेकिन पेड़ कोई लगाना नही चाहता.....!!
"इतनी धूल और सीमेंट है शहरों की हवाओं में आजकल... कब दिल पत्थर का हो जाता है पता ही नहीं चलता…!!
" जितनी भीड़ , बढ़ रही ज़माने में..। लोग उतनें ही, अकेले होते जा रहे हैं...।
"टेढ़ी ऊंगली से घी ना निकले.तो घी गरमकर लेना चाहिऐ हर बार ऊंगली टेढ़ी करना ठीक नहीं "
खुद की Selfie निकालना सेक़ेन्डों का काम है.... लेक़िन खुद की Image बनानें में जिन्दगी गुजर जाती है।
पत्थरो से सर टकराने से क्या फायदा ! वो तो होते ही है सर फोड़न में माहिर !!
इस दुनिया के लोग भी कितने अजीब है ना सारे खिलौने छोड़ कर जज़बातों से खेलते हैं "...
कागज़ के नोटों से आखिरकिस किस को खरीदोगे,किस्मत परखने के लिए यहाँ आज भीसिक्का ही उछाला जाता है!
ये राहें ले ही जायेंगी मंजिल तक हौसला रख ।कभी सुना है कि अँधेरे ने सवेरा होने न दिया !!"
रिश्ते हमेशा "तितली" जैसे होते है ...जोर से पकड़ो तो "मर" जाते है छोड़ दो तो "उड़" जाते है....और प्यार से पकड़ो तो उँगलियों परअपना "रंग" छोड़ जाते है!
दो मशहूर शायरों के अपने-अपने अंदाज…पहले मिर्ज़ा गालिब...............उड़ने दे इन परिंदों को आज़ाद फिजां में ‘गालिब’जो तेरे अपने होंगे वो लौट आएँगे…..................शायर इकबाल का उत्तर.......ना रख उम्मीद-ए-वफ़ा किसी परिंदे सेजब पर निकल आते हैंतो अपने भी आशियाना भूल जाते हैं..............
दिल की बस्ती बिखर गई होती,रूह के ज़ख्म भर गए होते "माँ बाप" का हसींन साथ मिला वरना हम तो कब के बिखर गए होते...!!माँ बाप बुढे ही सही उन्हें घर में रहने दो दौलत नही तो क्या संस्कार तो देंगे....!!
"अहंकार" दिखाकर किसी रिश्ते को तोड़ने से कहीं अच्छा है कि....."क्षमा" मांग कर उस रिश्ते को निभाया जाये।"
मत सोचो जिन्दगी के बारे में इतना.........जिसने जिन्दगी दी हैं उसने भी कुछ तो सोचा होगा।।
हमारे मॉ बाप हमें बचपन में शहजादाें के तरह रखतें हैं .....इसलिये यह हमारा फर्ज है कि हम उनके बुढ़ापे मेंउन्हें बादशाहाें कि तरह रखें......
रोज स्टेटस बदलने से जिंन्दगी नहीं बदलती,जिंदगी को बदलनेके लिये एक स्टेटस काफी है..!!
बचपन में एक पत्थर तबियत से ऊपर उछाला था कभी…! आज हालात देखकर लगता है कहीं वो “ऊपर-वाले” को तो नहीं लग गया…!!
गाँव में नीम के पेड़ कम हो रहे है घरों में कड़वाहट बढती जा रही है !जुबान में मीठास कम हो रही है , शरीर मे शुगर बढती जा रही है !किसी महा पुरुष ने सच ही कहा था । जब किताबे सड़क किनारे रख कर बिकेगी और जूते काँच के शोरूम में तब समझ जानाके लोगों को ज्ञान की नहीं जूते की जरुरत है
नव-वर्ष की पावन बेला में है यही शुभ संदेशहर दिन आयेआपके जीवन मेंलेकर खुशियाँ विशेषइसी शुभकामनाओं के साथहिन्दू नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं