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"जिंदगी अनमोल है "

24 सितम्बर 2015

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जीवन का अंत जब जानबूझकर किया जाय तब वो आत्म हत्या बन जाती है लेकिन क्यों? और कैसे एईसी परिस्थिया जीवन में उत्पन्न हुआ करतीं है जो सबके(क्यूंकि हरेक इन्सान को अपना जीवन बेहद प्यारा होता है) प्यारे जीवन को समाप्त करने के लिए इन्सान को मजबूर करती है .. सामान्यतः दैनिक जीवन में हम देखते सुनते हैं की कोई पैसो की तंगी की वजह से आत्महत्या करते हैं, तो कोई सामाजिक अपमान के डर से आत्महत्या करते हैं, तो कोई जीवन के दुखों से तंग आकर आत्महत्या करते हैं विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार विश्व में हर 40 सैकेंड में एक व्यक्ति आत्महत्या कर लेता है. स्थिति की गंभीरता का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि संसार में जितने व्यक्ति खुदकुशी करने से मरते हैं उतने तो युद्धों, लड़ाई-झगड़ों, प्राकृतिक आपदाओं और सड़क दुर्घटनाओं को मिला कर भी नहीं मरते. संसार में हर वर्ष लगभग 15 लाख हिंसात्मक मौतें होती हैं जिनमें से 8 लाख तो अकेले खुदकुशी के कारण ही होती हैं. आत्महत्या के कारण मरने वालों की बात करें तो केन्द्रीय और पूर्वी यूरोप तथा एशिया में इनकी दर सबसे अधिक है. कुल आत्महत्याओं के लगभग 25% केस विकसित और धनवान देशों में देखने में आते हैं. किन्तु विद्यार्थियों की आत्महत्या का अकड़ा उन दिनों बढ़ जाता है जब वार्षिक परीक्षा के रिजल्ट , ( प्रमाणपत्र ) मिलते हैं .. हम इस बारे में यदि सोचे तो सिरफ़ विद्यार्थी इसके लिए दोषी नही होते उनके आत्महत्या करने के कारणों में से एक कारन माँ बाप के द्वारा या बड़े bhai बहनों के द्वारा दिया गया दबाव भी विद्यार्थी में एक डर बिठा देता है और दुसरे भी कई कारन है जिसकी चर्चा हम आगे करेंगे एक बाप और बेटा अकेले रहते थे. बेटा १७ साल का था १२ वि कक्षा का विद्यार्थी था वो . बेटे की माँ का देहांत हो चूका था ., और पापाजी रात दिन अपने व्यापार के लिए व्यस्त रहते थे ,.. बेटे के रिजल्ट आने के अगले दिन की रात थी बेटा पापा से मिलने आया तो देखता है की उसके पापा का कमरा अस्तव्यस्त पड़ा है और उसके पापा कई तरह के रंग से कुछ पोस्टर बना बना कर रख रहे हैं वो अपने पापा के पीछे खड़ा हो गया और सभी पोस्टर पे लिखे वाक्यों को पढ़ने लगा . एक पोस्टर पर कोयल और कौवे का चित्र था जिसके आधार पर छोटी सी कहानी समझाई गई थी की ,कोयल बीमार थी उसकी आवाज़ बैठ गई थी इसलिए कौआ उससे पूछ रहा था कोयल बहन अब क्या करोगे अब आपका तहुकना बंद हो गया है तब कोयल ने कहा तो क्या . मै अपनी हिम्मत से आगे बढ़ूंगी और फिर से अपनी मीठी आवाज़ से संसार के लोगो को खुश करुँगी . दूसरा चित्र था जिसमे एक चीटी दीवाल पर चड़ना चहती है किन्तु बार बार निचे गिरती है फिर अंत में वो दीवाल के सबसे उपरी हिस्से तक पहुचती है और वह लिखा था देखा मैंने हार नही मानी इसलिए मुझे मेरी मंजिल मिल गई तीसरे में एक राजा को युध्ध करते दर्शाया गया था और उस चित्र में वो राजा हार गया है एइसा बताया दुसरे चित्र में राजा शत्रु पर विजय प्राप्त करने के लिए जोरशोर से दुगनी मेहनत से युध्द की तेयारी करते बताया था और तीसरे चित्र में राजा को विजयी होकर फ़तेह हासिल करके उसका राज्य वापस मिलने की ख़ुशी को दर्शाया गया था एइसे और कई चित्र थे वहां जो उस लड़के के पापा ने बनाये थे लड़का जब वो सब पढ़ा चूका तब पापा ने उसकी और नजर की और पूछा बेटे इस वक़्त तुम यहाँ? तब बेटे ने कहा हाँ पापा मै आपसे अनुमति लेने आया हूँ , पापा ने कहा किसकी अनुमति ? बेटे ने कहा जब कल मेरा रिजल्ट आएगा तब आप कहे तो मै घर आने से पहले गावं के तालाब तक घूम के आऊंगा तो आपको कोई आप्पति तो नही न ? बाप ने कहा हाँ बेटा आप शौक से जाओ .. दुसरे दिन रिजल्ट आया जिसमे लड़का फ़ैल हुआ वो तालाब तक गया भी किन्तु कुछ सोच्रकर घर आया और खूब रोने लगा अपने पापा के गले से लगकर खूब रोने लगा तब पापा ने पूछा बेटा क्या हुआ बेटे ने कहा पापा मै फ़ैल हो गया और आपको अपना मुह बताने में मुझे शर्म आ रही थी इसलिए मै तालाब पर आत्महत्या करने ही गया भी और काल रात आपसे अंतिम बार मिलने आया था किन्तु आपकी लिखी और कही बातें मुझे याद आई और मै घर वापस आ गया तब पापा ने कहा बेटे मैंने ये पोस्टर तुम जेइसे बच्चो के लिए ही बनाये थे जिसे मैंने सुबह पाठशालाओ में भेजा क्यूंकि इस दिन कई विध्द्यार्थी जो अनुत्तीर्ण हो जाते है वो अपना आत्मविश्वास खो देते हैं और आत्महत्या जैसा गलत कदम उठा लेते हैं वो ये नही सोचते की जीवन का अंत ही हर समस्या का हल नही और ये भी नही सोचते की उनके जाने के बाद उनके माँ बाप भाई बहन जो हैं उनका क्या होगा अरे वो तो फिर न जी सकते हैं न मर सकते हैं . जीवन ही बेकार हो जाता है उनका जब बच्चे आत्महत्या करते हैं तब सिर्फ और सिर्फ अपनी हार को देखते हैं वो भूल जाते हैं की जीवन की एक हार जीवन का अंत नही , उस हार को वो बड़ी जीत में बदल सकते हैं और अधिक मेहनत से पढाई करके और अच्छा रिजल्ट आ सकता है . जीवन एकबार मिलता है जिसे हमे हरेक मुश्किलों के बाद और ख़ुशी से जीना है सच्चा इंसान वही है जो हार और दुःख के समय अपनी हिम्मत न हारे और आगे बढे .. और सबसे बड़ी बात की जिस जीवन को हम बना नही सकते उसे मिटने का हमारा कोई अधिकार नही.. प्राण और आत्मा हमे भगवन ने दिए हैं उसे भला हम कैसे मिटा संकते हैं? हर चीज़ के दो पहलु होते हैं हार है तो वहां जीत भी है ही .और दुःख है वह सुख भी है ही जरुरत है तो हमे समझने की बस.. और ... एक जरुरी बात ये कहना है मुझे उन माता पिता या अभिभावकों से की बच्चे जब पढाई करे तब उनपर किसी भी प्रकार का दबाव डालना ( पास होने के लिए) अच्छा नही है हर समय ये कहना की अछे नम्बरों से पास हो जाओ तो बहुत बड़े आदमी बनोगे आप ,. समाज में आपका नाम होगा . या ब्रेनी कहलाओगे आप इसलिए बहुत पढो पढो और पढो एइसा कहने वाले माँ बाप अपने बच्चो को होशियार बनाने की बजाय उन्हें और निचे गिराते हैं और हर इन्सान को एक तराजू में नही तौला ज सकता न ? सबकी अपनी अपनी योग्यता होती है.. और आत्महत्या कायरता है न की महानता..आज कई उदहारण है हमरे जीवन में बड़े बड़े महानुभावो ने जीवन में कई बार असफलताओं का सामना किया था और आज समाज में पूरी दुनिया में उनका कितना नाम है और जीवन के उच्च शिखरों पर वें विराजमान है .. सबसे बड़ा उदहारण हैं हमारे देश के प्रधानमंत्री जी जो बचपन में चाय बेचते थे किन्तु आज संघर्षो के बिच से हजारो निराशाओं से निकलकर वें इतने बड़े ओहदे को संभाले हुए हैं और आज देश के उच्च स्थान पर बिराजमान है ... इसलिए कहा गया है मन के हारे हार है मन के जीते जीत अपनी हिम्मत को कभी कम न होने दे एक असफलता दूसरी हजारो सफलताओं की जननी बन सकती है बशर्ते की आप हार न मानें .

पुष्पा पी. परजिया की अन्य किताबें

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ईर्ष्या (जलन )

1 मई 2015
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ये एक एइसा शब्द है जो मानव के खुद के जीवन को तो तहस नहस करता है औरों के जीवन में भी खलबली मचाता है . यदि आप किसी को सुख या ख़ुशी नहीं दे सकते तो कम से कम दूसरो के सुख और ख़ुशी देखकर जलिए मत यदि आपको खुश नहीं होना है न सही मत होइए खुश, किन्तु किसी की खुशियों को आपनी इर्ष्या के कारण बर्

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एक पंछी जो उड़ गया ..

21 मई 2015
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FREINDS , इस कविता को जिस दिन लिखा मैंने तब मन बहुत उदास था क्यूंकि एईसी कुछ घटना घटी थी और इस कविता के शब्द आते गए और मै लिखते गई क्यूंकि इस कविता में लिखे शब्दों को मैंने महसूस किया था शायद आपभी इसे महसूस करेंगे एक पंछी उड़ गया छोड़ा घर उसने धरती का आसमा पर घर बसा लिया

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"माँ"

11 मई 2015
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माँ तेरी ममता मयी अँखियाँ याद आती हैं आते ही तेरी याद ,असुंवन जल वर्षा वर्षाती है तेरी स्नेह सरिता ने समझाया जीवन राग मुझे दुनिया की हर जंग को जितना सिखाया तूने मुझे जब जब हारी हिम्मत तुझको बस याद किया मैंने लगा मानो सहलाया मुझे तूने और आगे बढ़ा दिया तूने

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पूर्वी अफ्रीका का एक प्यारा सा देश तंजानिया (tanzania)

21 मई 2015
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आपने फिलमी अवार्ड शो में कई बार दक्षिणी अफ्रीका को देखा होगा ,कई बार क्रिकेट खेलते खिलाडियों के साथ आपने केन्या के मैदान देखे होंगे , ईदी अमिन के जुल्मो की कहानिया आपने यूगांडा के इतिहास में पढ़ी होंगी किन्तु इन देशो के बीच एक पूर्वी अफ्रीकन देश के बारे में शायद बहुत सारे लोगो को

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राधा के कृष्ण

15 मई 2015
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आकांक्षाओं के आकाश में सपनो के सितारे चमकने दो इठलाती बलखाती नदिया की तरंगो को बहने दो कदम्ब की छहियां तले शीतल पवन पुरवैया दो अगुवाई कर सावन की अँखियों से नयन नीर बहने दो मन के अरमानो को ऊँचे आसमां तक सजने दो उड़ जाऊं बन पंछी गगन में अब पंख फैलाये उड़ने दो

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उसे सिर्फ अबला न समझो .

23 मई 2015
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उलाहना न दो उसे हर पल उसे भी दर्द होता है वो भी है सवेंदनशील मन लिए उसे भी दर्द होता है चाहती है जी जान से वो अपने अपनों को,करो प्रयास उसे समझने का प्रेम के लिए न्योछावर करती अपने सारे सुख और आराम जीती है वो तुम्हारे लिए फिर ये हरपल की उलाहना उसे ही क्यों ? होगा

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लाडो रानी ..............हैप्पी बर्थ डे ...........

28 मई 2015
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वो कोमल सी प्यारी माँनो थी पंखुड़ी गुलाब की थी मासूम निर्दोष हँसमुखी सी सदा ही आई जीवन में मेरे ,तब मेरी जीवन बगिया महका दी लाडो रानी , प्यारी पर थी बड़ी सयानी भी तू थी बेखबर इस दुनिया के झुटे जंजालों से तू खुश रहती बस अपने पास वालो से

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तेरे रंग ..

2 जून 2015
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ओ ईश्वर मुझे भी जरा बता किन रंगों से बनाई ये रंगीन , तरह तरह के रंगों वाली दुनिया तुमने किसी में भरा तुमने भोलेपन का रंग तो कही भरा तुमने कपट का काला रंग कहीं पर मुखपर दिखाए हंसी के सुनहरे रंग तो कहीं भर दिए आंसुओं के रंग कही मुश्किलों की चादर में लिपटे स

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कहूँ क्या

14 जून 2015
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सुनु क्या सुनाऊं क्या कहूँ क्या बताऊँ क्या देख दुनिया के इस मेले को रंजिशे मन की बताऊँ क्या कही है सिसकती सांसे तो कहीं हैं हंसी के मंजर कहीं अट्टहास करती है जिंदगी कही सांसों को तरस रही जिंदगी कहीं है तरसते दो वक़्त की रोटी को लोग तो कहीं धनवर्षा का आह्लाद है कही

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सच्चाई और सादगी

25 जून 2015
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ना दिया है न बाती है फिर भी आग सी जल जल जाती है अगन है एईसी मन में जो न बुझाये बुझे किसी जल से खुद की सादगी से नसीबों वो खुद को टालजाती है हुए जा रहे है मन के बवंडरों में गम और घरौंदों में साँस सुलग सी जाती है,. .. आशा का दिया जलाये रखा पर किवाड़ बिड मदहोशियों

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हे कृष्ण

25 जून 2015
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शांत सुबह में लाली सूरज की जिसमे रम रम जाऊं मैं नीरव शांति के आँगन में कान्हा तुझ दर्शन को आवु मैं एक अगाध सागर मन का पास तुम्हारे लाऊं मैं नीरवता के उस मंडप में पूजा पुष्प चढाऊं मैं तुझ सम बतियावू मन की बातें हिर्दय शोर तुझे सुनावु मैं , म

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30 जून को इसलिए थम जाएगा 'समय'

29 जून 2015
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अंतर्जाल के माध्यम से ..... आने वाला 30 जून का दिन आधिकारिक रूप से एक सेकंड लंबा रहने वाला है, क्योंकि मंगलवार को हमारा समय एक सेकंड के लिए रुक जाएगा। आमतौर जहां एक मिनट में 60 सेकंड के होते हैं, वहीं 30 जून को दिन का आखि‍री मिनट 61 सेकंड का होगा। अमेरिकी अंतरिक्ष विज्ञान एजेंसी नासा ने इसकी

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: ऐसे 32 अपराध, जो नहीं करने चाहिए तीर्थ यात्रा...

4 जुलाई 2015
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हमारे जीवन में तीर्थ यात्रा का विशेष महत्व है। सभी लोग दूर-दूर की तीर्थ यात्रा पर जाते हैं। तीर्थयात्रा का धार्मिक महत्व अनेक वेद और पुराणों में वर्णित हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि किसी भी धार्मिक यात्रा पर जाते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना आवश्यक होता है। आइए जानते हैं.... .1 सवारी पर चढ

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ये कैसी भक्ति है ?

11 जुलाई 2015
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सच कहूँ तो हम इंसान हमेशा भगवान से दया की भीख मांगते रहते हैं उनका आशीर्वाद चाहते हैं किन्तु सच तो ये है की हम इंसान ही कभी भगवान् की मूर्तियों पर जरा सी भी दया नहीं करते.. मैंने देखा कई बार मंदिरों में भगवव न की मूर्ति को कभी भी नहलाते हुए स्नान करते हुए वो स्नान इतना भयंकर होता है की लगता

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दर्दे दिल की दास्ताँ

16 सितम्बर 2015
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तकते रहे राहें हम उम्र के हर मोड़ पर उम्मीद का छोड़ा न दामन क़यामत की दस्तक होने तक मुस्कान सजाये होठों पर हम जीते गए अंतिम आह तक सोचा कभी मिल जाय शायद कहीं खुशियों का आशियाँ हमें भी पर थे नादान हम कि न समझ सके बेवफा ज़माने के सितम आज तक अंतिम मोड़ पर पता चला कोई नहीं अपना यहाँ हम तो इक मेहमान थे

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"जिंदगी अनमोल है "

24 सितम्बर 2015
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जीवन का अंत जब जानबूझकर किया जाय तब वो आत्म हत्या बन जाती है लेकिन क्यों? और कैसे एईसी परिस्थिया जीवन में उत्पन्न हुआ करतीं है जो सबके(क्यूंकि हरेक इन्सान को अपना जीवन बेहद प्यारा होता है) प्यारे जीवन को समाप्त करने के लिए इन्सान को मजबूर करती है .. सामान्यतः दैनिक जीवन में

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" फूलों से"

27 सितम्बर 2015
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कहीं तू सजता शादी के मंडप में कहीं तू रचता दुलहन की मेहंदी में कहीं सजता तू द्दुल्हे के सेहरे में कहीं बन जाता तू शुभकामनाओं का प्रतिक तो कहीं तुझे देख खिल उठती तक़दीर कहीं कोई इजहारे मुहब्बत करता ज़रिये से तेरे तो कहीं कोई खुश हो जाता मजारे चादर बनाकर कहीं तेरे रंग से रंग भर जाता मह

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इम्तिहान के समय अच्छी याददास्त बनाये रखने के लिए कुछ नुस्खे

2 अक्टूबर 2015
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(अंतर्जाल के मध्यम से  विद्यार्थियों के लिए कुछ   उपयोगी  नुस्खे )इम्तिहान  करीब आते ही दिमाग में बस पढ़ना और पढ़ना ही याद आता है। न दिन देखते हैं और न रात किताबों की दुनिया में खोए रहने का मन करता है। जो समझ में आया तो ठीक वर्ना  उसे रट लिया। दिक्कत यह है कि तैयारी में महिनों लगाने के बाद भी कई बार न

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साईं चालीसा

6 अक्टूबर 2015
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  अपने सभी पाठकों से   मेरी एक नम्र  विनती  है  की   किन्ही तकनिकी कारणों की वजह से  पहले  यहाँ जो मैंने  इन्टरनेट  के माध्यम से   साईं चालीसा शेयर  की थी वो नही  दिखाई दे रही थी इस वजह से   मैंने    पुनः   साईं चालीसा  यहाँ शेयर की है   जो की  इन्टरनेट  के माध्यम से ही ली है मैंन

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निस्तब्ध

25 अक्टूबर 2015
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निशब्द निशांत नीरव अंधकार की निशा में कुछ शब्द बनकर मन में आ जाए, जब हिरदय इस सृष्टि पर एक विहंगम दृष्टि कर जाये भीगी पलके लिए नैनो में रैना निकल जाये विचार पुष्प पल्लवित हो मन को मगन कर जाये दूर गगन छाई तारों की लड़ी जो रह रह कर मन को ललचाये ललक उठे ह

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