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कहूँ क्या

14 जून 2015

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सुनु क्या सुनाऊं क्या कहूँ क्या बताऊँ क्या देख दुनिया के इस मेले को रंजिशे मन की बताऊँ क्या कही है सिसकती सांसे तो कहीं हैं हंसी के मंजर कहीं अट्टहास करती है जिंदगी कही सांसों को तरस रही जिंदगी कहीं है तरसते दो वक़्त की रोटी को लोग तो कहीं धनवर्षा का आह्लाद है कही लोग डूबे हैं जाम की मस्ती में तो कहीं कोई गम की आगोश में निराश है कहीं तपिस है रिश्तों के प्रेम की तो कहीं रिश्ते टूटने को तेयार है बनती बिगडती उम्मीदें हैं हैं बनते बिगड़ते एहसास यहाँ असमंजस में हूँ दुनिया के इस मेले की विषमता से सब वक़्त के आगे बेजार यहाँ ​

पुष्पा पी. परजिया की अन्य किताबें

पुष्पा पी. परजिया

पुष्पा पी. परजिया

हार्दिक आभार के साथ धन्यवाद नरेंद्र भाई जी ...

3 जुलाई 2015

नरेंद्र जानी

नरेंद्र जानी

बहुत सुन्दर- बधाई.

1 जुलाई 2015

पुष्पा पी. परजिया

पुष्पा पी. परजिया

धन्यवाद .. रजत जी ..

21 जून 2015

Rajat Vynar

Rajat Vynar

अति सुन्दर

19 जून 2015

पुष्पा पी. परजिया

पुष्पा पी. परजिया

प्रसंशा के लिए और शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार मंजीत जी .. बहुत बहुत धन्यवाद ....

16 जून 2015

पुष्पा पी. परजिया

पुष्पा पी. परजिया

बहुत बहुत धन्यवाद .......... शब्द नगरी संगठन ....

16 जून 2015

मंजीत सिंह

मंजीत सिंह

आपके लेख पढ़ कर कोई भी कह सकता है की बहुत ही अनुभवी हाथों ने लिखी है ये कविता ... पुष्पों जैसा महकता रहे आपका जीवन ... शुभकामनाएं ...

16 जून 2015

शब्दनगरी संगठन

शब्दनगरी संगठन

पुष्पा जी, बहुत ही सुन्दर रचना....बधाई !

15 जून 2015

पुष्पा पी. परजिया

पुष्पा पी. परजिया

धन्यवाद, उषा यादव जी ...प्रसंशात्मक टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार ..

15 जून 2015

उषा यादव

उषा यादव

बनती बिगडती उम्मीदें हैं, बनते बिगड़ते एहसास यहाँ...बहुत ही खूबसूरत लिखा है....वाह !

15 जून 2015

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ईर्ष्या (जलन )

1 मई 2015
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ये एक एइसा शब्द है जो मानव के खुद के जीवन को तो तहस नहस करता है औरों के जीवन में भी खलबली मचाता है . यदि आप किसी को सुख या ख़ुशी नहीं दे सकते तो कम से कम दूसरो के सुख और ख़ुशी देखकर जलिए मत यदि आपको खुश नहीं होना है न सही मत होइए खुश, किन्तु किसी की खुशियों को आपनी इर्ष्या के कारण बर्

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एक पंछी जो उड़ गया ..

21 मई 2015
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FREINDS , इस कविता को जिस दिन लिखा मैंने तब मन बहुत उदास था क्यूंकि एईसी कुछ घटना घटी थी और इस कविता के शब्द आते गए और मै लिखते गई क्यूंकि इस कविता में लिखे शब्दों को मैंने महसूस किया था शायद आपभी इसे महसूस करेंगे एक पंछी उड़ गया छोड़ा घर उसने धरती का आसमा पर घर बसा लिया

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"माँ"

11 मई 2015
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माँ तेरी ममता मयी अँखियाँ याद आती हैं आते ही तेरी याद ,असुंवन जल वर्षा वर्षाती है तेरी स्नेह सरिता ने समझाया जीवन राग मुझे दुनिया की हर जंग को जितना सिखाया तूने मुझे जब जब हारी हिम्मत तुझको बस याद किया मैंने लगा मानो सहलाया मुझे तूने और आगे बढ़ा दिया तूने

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पूर्वी अफ्रीका का एक प्यारा सा देश तंजानिया (tanzania)

21 मई 2015
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आपने फिलमी अवार्ड शो में कई बार दक्षिणी अफ्रीका को देखा होगा ,कई बार क्रिकेट खेलते खिलाडियों के साथ आपने केन्या के मैदान देखे होंगे , ईदी अमिन के जुल्मो की कहानिया आपने यूगांडा के इतिहास में पढ़ी होंगी किन्तु इन देशो के बीच एक पूर्वी अफ्रीकन देश के बारे में शायद बहुत सारे लोगो को

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राधा के कृष्ण

15 मई 2015
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आकांक्षाओं के आकाश में सपनो के सितारे चमकने दो इठलाती बलखाती नदिया की तरंगो को बहने दो कदम्ब की छहियां तले शीतल पवन पुरवैया दो अगुवाई कर सावन की अँखियों से नयन नीर बहने दो मन के अरमानो को ऊँचे आसमां तक सजने दो उड़ जाऊं बन पंछी गगन में अब पंख फैलाये उड़ने दो

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उसे सिर्फ अबला न समझो .

23 मई 2015
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उलाहना न दो उसे हर पल उसे भी दर्द होता है वो भी है सवेंदनशील मन लिए उसे भी दर्द होता है चाहती है जी जान से वो अपने अपनों को,करो प्रयास उसे समझने का प्रेम के लिए न्योछावर करती अपने सारे सुख और आराम जीती है वो तुम्हारे लिए फिर ये हरपल की उलाहना उसे ही क्यों ? होगा

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लाडो रानी ..............हैप्पी बर्थ डे ...........

28 मई 2015
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वो कोमल सी प्यारी माँनो थी पंखुड़ी गुलाब की थी मासूम निर्दोष हँसमुखी सी सदा ही आई जीवन में मेरे ,तब मेरी जीवन बगिया महका दी लाडो रानी , प्यारी पर थी बड़ी सयानी भी तू थी बेखबर इस दुनिया के झुटे जंजालों से तू खुश रहती बस अपने पास वालो से

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तेरे रंग ..

2 जून 2015
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ओ ईश्वर मुझे भी जरा बता किन रंगों से बनाई ये रंगीन , तरह तरह के रंगों वाली दुनिया तुमने किसी में भरा तुमने भोलेपन का रंग तो कही भरा तुमने कपट का काला रंग कहीं पर मुखपर दिखाए हंसी के सुनहरे रंग तो कहीं भर दिए आंसुओं के रंग कही मुश्किलों की चादर में लिपटे स

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कहूँ क्या

14 जून 2015
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सुनु क्या सुनाऊं क्या कहूँ क्या बताऊँ क्या देख दुनिया के इस मेले को रंजिशे मन की बताऊँ क्या कही है सिसकती सांसे तो कहीं हैं हंसी के मंजर कहीं अट्टहास करती है जिंदगी कही सांसों को तरस रही जिंदगी कहीं है तरसते दो वक़्त की रोटी को लोग तो कहीं धनवर्षा का आह्लाद है कही

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सच्चाई और सादगी

25 जून 2015
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ना दिया है न बाती है फिर भी आग सी जल जल जाती है अगन है एईसी मन में जो न बुझाये बुझे किसी जल से खुद की सादगी से नसीबों वो खुद को टालजाती है हुए जा रहे है मन के बवंडरों में गम और घरौंदों में साँस सुलग सी जाती है,. .. आशा का दिया जलाये रखा पर किवाड़ बिड मदहोशियों

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हे कृष्ण

25 जून 2015
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शांत सुबह में लाली सूरज की जिसमे रम रम जाऊं मैं नीरव शांति के आँगन में कान्हा तुझ दर्शन को आवु मैं एक अगाध सागर मन का पास तुम्हारे लाऊं मैं नीरवता के उस मंडप में पूजा पुष्प चढाऊं मैं तुझ सम बतियावू मन की बातें हिर्दय शोर तुझे सुनावु मैं , म

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30 जून को इसलिए थम जाएगा 'समय'

29 जून 2015
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अंतर्जाल के माध्यम से ..... आने वाला 30 जून का दिन आधिकारिक रूप से एक सेकंड लंबा रहने वाला है, क्योंकि मंगलवार को हमारा समय एक सेकंड के लिए रुक जाएगा। आमतौर जहां एक मिनट में 60 सेकंड के होते हैं, वहीं 30 जून को दिन का आखि‍री मिनट 61 सेकंड का होगा। अमेरिकी अंतरिक्ष विज्ञान एजेंसी नासा ने इसकी

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: ऐसे 32 अपराध, जो नहीं करने चाहिए तीर्थ यात्रा...

4 जुलाई 2015
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हमारे जीवन में तीर्थ यात्रा का विशेष महत्व है। सभी लोग दूर-दूर की तीर्थ यात्रा पर जाते हैं। तीर्थयात्रा का धार्मिक महत्व अनेक वेद और पुराणों में वर्णित हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि किसी भी धार्मिक यात्रा पर जाते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना आवश्यक होता है। आइए जानते हैं.... .1 सवारी पर चढ

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ये कैसी भक्ति है ?

11 जुलाई 2015
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सच कहूँ तो हम इंसान हमेशा भगवान से दया की भीख मांगते रहते हैं उनका आशीर्वाद चाहते हैं किन्तु सच तो ये है की हम इंसान ही कभी भगवान् की मूर्तियों पर जरा सी भी दया नहीं करते.. मैंने देखा कई बार मंदिरों में भगवव न की मूर्ति को कभी भी नहलाते हुए स्नान करते हुए वो स्नान इतना भयंकर होता है की लगता

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दर्दे दिल की दास्ताँ

16 सितम्बर 2015
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तकते रहे राहें हम उम्र के हर मोड़ पर उम्मीद का छोड़ा न दामन क़यामत की दस्तक होने तक मुस्कान सजाये होठों पर हम जीते गए अंतिम आह तक सोचा कभी मिल जाय शायद कहीं खुशियों का आशियाँ हमें भी पर थे नादान हम कि न समझ सके बेवफा ज़माने के सितम आज तक अंतिम मोड़ पर पता चला कोई नहीं अपना यहाँ हम तो इक मेहमान थे

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"जिंदगी अनमोल है "

24 सितम्बर 2015
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जीवन का अंत जब जानबूझकर किया जाय तब वो आत्म हत्या बन जाती है लेकिन क्यों? और कैसे एईसी परिस्थिया जीवन में उत्पन्न हुआ करतीं है जो सबके(क्यूंकि हरेक इन्सान को अपना जीवन बेहद प्यारा होता है) प्यारे जीवन को समाप्त करने के लिए इन्सान को मजबूर करती है .. सामान्यतः दैनिक जीवन में

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" फूलों से"

27 सितम्बर 2015
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कहीं तू सजता शादी के मंडप में कहीं तू रचता दुलहन की मेहंदी में कहीं सजता तू द्दुल्हे के सेहरे में कहीं बन जाता तू शुभकामनाओं का प्रतिक तो कहीं तुझे देख खिल उठती तक़दीर कहीं कोई इजहारे मुहब्बत करता ज़रिये से तेरे तो कहीं कोई खुश हो जाता मजारे चादर बनाकर कहीं तेरे रंग से रंग भर जाता मह

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इम्तिहान के समय अच्छी याददास्त बनाये रखने के लिए कुछ नुस्खे

2 अक्टूबर 2015
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(अंतर्जाल के मध्यम से  विद्यार्थियों के लिए कुछ   उपयोगी  नुस्खे )इम्तिहान  करीब आते ही दिमाग में बस पढ़ना और पढ़ना ही याद आता है। न दिन देखते हैं और न रात किताबों की दुनिया में खोए रहने का मन करता है। जो समझ में आया तो ठीक वर्ना  उसे रट लिया। दिक्कत यह है कि तैयारी में महिनों लगाने के बाद भी कई बार न

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साईं चालीसा

6 अक्टूबर 2015
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  अपने सभी पाठकों से   मेरी एक नम्र  विनती  है  की   किन्ही तकनिकी कारणों की वजह से  पहले  यहाँ जो मैंने  इन्टरनेट  के माध्यम से   साईं चालीसा शेयर  की थी वो नही  दिखाई दे रही थी इस वजह से   मैंने    पुनः   साईं चालीसा  यहाँ शेयर की है   जो की  इन्टरनेट  के माध्यम से ही ली है मैंन

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निस्तब्ध

25 अक्टूबर 2015
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निशब्द निशांत नीरव अंधकार की निशा में कुछ शब्द बनकर मन में आ जाए, जब हिरदय इस सृष्टि पर एक विहंगम दृष्टि कर जाये भीगी पलके लिए नैनो में रैना निकल जाये विचार पुष्प पल्लवित हो मन को मगन कर जाये दूर गगन छाई तारों की लड़ी जो रह रह कर मन को ललचाये ललक उठे ह

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