FREINDS , इस कविता को जिस दिन लिखा मैंने तब मन बहुत उदास था क्यूंकि एईसी कुछ घटना घटी थी और इस कविता के शब्द आते गए और मै लिखते गई क्यूंकि इस कविता में लिखे शब्दों को मैंने महसूस किया था शायद आपभी इसे महसूस करेंगे
एक पंछी उड़ गया
छोड़ा घर उसने धरती का आसमा पर घर बसा लिया
जब वो पंछी बोला कराहकर .. जाना होगा अब मुझे इस धरती के जहाँ से ..
आज एक आश टूट गई.
आज एक आवाज़ छूट गई
आज तनहाइयों ने कर लिया बसेरा
आज वो हंसी की खनखनाती आवाज़ भूल गई
अब चली गई खुशियाँ उसके संग
अब न रहा कोई जीवन में उमंग
उसके जीवन की चहकती बगिया अचानक ही murza गई .
सूक्ष्म शारीर देख रहा था अपनों को पर
छू न सकता था किसी को वो
बीवी , माँ सब रोते हैं मन करता था उड़के जाऊ पोंछु आंसू उनके
आजू बाजु देखा तो सब बिलख रहे स्नेही साथी
पता न था मेरा जाना इतना सबको रुलाएगा मा का तो हाल न पूछो
बीवी की अंखियों से बहे गंगा जमुना , आँखे असुवन से उन्हें धोई थी
स्नेह सरिता के जल से मानो मेरी आत्मा संजोई थी
था मै छोटा पर सबका प्यारा इतना था न समझ सका
भरा पड़ा था मानव सैलाब सा घर के आंगन में मेरे
हर कोई मेरी अंतिम बिदाई के लिए था आन खड़ा
पर मै भी जीना चाहता था भगवन क्यु मुझको तूने जग से दूर किया ,
अभी तो शुरू हुआ था जीवन मेरा उगते फुल को क्यों कुचल दिया ? .
न देखि जाती है मुझसे ममतामई माँ की पथरीली आँखे
न सुन सकू मै,.. भगवन बीवी की आहें
बच्चा मेरा अबुध अभी है न समझे ये क्या हो रहा
पास पडोसी सगे सम्बन्धी सबके सब करते हैं अफ़सोस
कहते सुना मैंने किसीको क्यों बनाई शराब जैसी चीज़ तूने ,
जिसे पीकर गाड़ी चालक ने किया अंत मेरे जीवन का
मेरे स्वजन के जीवन के लम्हे दुखों में है डूब गए ,
बिखर गए सपने सारे और बस अब आंसू ही आंसू रह गए