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मेरा नाम अर्चना वर्मा है। मुझे कविता लिखने और पढ़ने में रूचि है। मुझे बहुत दिनों से एक माध्यम की खोज थी जहा मैं अपनी रचना साँझा कर सकूँ। मैंने अभी अभी एक ब्लॉग भी शुरू किया है। मेरे ब्लॉग का नाम अर्चना की रचना हैhttps://archanakirachna.com/

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ज़िन्दगी बहुत सारे रंगों से बना इक इन्द्रधनुष है। जो अपने अंदर बहुत सारॆ एहसास संजोए हुए है। उनहि सारे एहसासों को कभी कभी शब्दों

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<p><span style="color: rgb(13, 13, 13); font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">ज़िन्दगी बहुत सारे रंगों से बना इक इन्द्रधनुष है। जो अपने अंदर बहुत सारॆ एहसास संजोए हुए है। उनहि सारे एहसासों को कभी कभी शब्दों

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“ज़िन्दगी का कायदा ” हिंदी कविता

6 अक्टूबर 2022
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zindagi-ka-kayda-hindi-kavita  कुछ भी मामूली सा न मिले और ज़िन्दगी मुहाल हो जाये, हो दिल में सवाल गहरे , पूँछ लूँ , तो बवाल हो जाये |  हर रोज़ बे – सिर – पैर  सी नज़र आती है ज़िन्दगी, पता चले

बैरी चाँद

17 सितम्बर 2020
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मोरी अटरिया पे ठहरा ये “बैरी चाँद”देखो कैसे मोहे चिढायेदूर बैठा भी देख सके है मोरे पिया कोमोहे उनकी एक झलक भी न दिखाए .. कभी जो देखूं पूरा चाँद, याद आती है वो रातजब संग देख रहा था ये बैरी, हम दोनों को टकटकी लगाये … बिखरी थी चांदनी पुरे घर में, रति की किरण पड़ रही थी तन मन मेंऔर खोये थे हम दोनो, घर क

इंतज़ार

13 सितम्बर 2020
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लहरें होकर अपने सागर से आज़ादतेज़ दौड़ती हुई समुद्र तट को आती हैं ,नहीं देखती जब सागर को पीछे आतातो घबरा कर सागर को लौट जाती हैं ,कुछ ऐसा था मेरा प्यारखुद से ज्यादा था उसपे विश्वास,के मुझसे परे, जहाँ कही भी वो जायेगाफिर लौट कर मुझ तक ही आएगा ,इंतजार कैसा भी हो सिर्फसब्र और आस का दामन थामे ही कट पाता है

बंदिशें

6 सितम्बर 2020
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"इस तन पर सजती दो आँखेंबोलो किस से ज्यादा प्रेम करोगे,काटना चाहो अपना एक हाथतो बोलो किस हाथ को चुनोगे "कुछ ऐसा ही होता है बेटी का जीवनसब कहते उसे पराया धनबचपन से ही सीखा दिए जाते हैंबंदिश में रहने के सारे फ़नएक कोख एक कुटुंब में जन्मेंफिर भी क्यों ये बेगानापन ?कुछ ऐसी थी उसकी कहानीजो थी महलों की रानी

ताबीर

5 सितम्बर 2020
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शीर्षक :- ताबीरमहज़ ख़्वाब देखने से उसकी ताबीर नहीं होतीज़िन्दगी हादसों की मोहताज़ हुआ करती है ..बहुत कुछ दे कर, एक झटके में छीन लेती हैकभी कभी बड़ी बेरहम हुआ करती है …नहीं चलता है किसी का बस इस परये सिर्फ अपनी धुन में रहा करती है ..न इतराने देगी तुम्हें ये, अपनी शख्सियत

अरमान

1 सितम्बर 2020
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अरमान जो सो गए थे , वो फिर सेजाग उठे हैंजैसे अमावस की रात तो है , परतारे जगमगा उठे हैं…बहुत चाहा कि इनसे नज़रें फेर लूँपर उनका क्या करूँ,जो खुद- ब – खुद मेरे दामन में आ सजे हैं ….नामुमकिन तो नहीं पर अपनी किस्मत पेमुझे शुभा सा है,कही ऐसा तो नहीं , किसी और के ख़तमेरे पते पे आने लगे हैं …जी चाहता है फिर

हासिल

29 अगस्त 2020
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शीर्षक :- हासिलकभी – कभी बिन माँगें बहुत कुछ मिल जाता हैऔर कभी माँगा हुआ दरवाज़े पे दस्तक दे लौट जाता हैशायद इसी को ज़िन्दगी कहते हैंसब्र का दामन थाम कर यहाँ हर कोई यूं ही जिये जाता है …मिले न मिले ये मुकद्दर उसकाफिर भी कोशिश करना फ़र्ज़ है सबकाआगे उसकी रज़ा कि किसको क्या हासिल हो पाता है …कभी – कभी सब्र

Hindi poetry on childhood life - अजूबी  बचपन ; अर्चना की रचना

18 मई 2020
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बचपन की यादों आधारित हिंदी कविता अजूबी बचपन आज दिल फिर बच्चा होना चाहता है बचपन की अजूबी कहानियों में खोना चाहता है जीनी जो अलादिन की हर ख्वाहिश मिनटों में पूरी कर देता था,उसे फिर क्या हुक्म मेरे आका कहते देखना चाहता है आज दिल फिर बच्चा होना चाहता हैमोगली जो जंगल में बघ

Hindi Inspirational poetry on life - मृत  टहनियाँ ; अर्चना की रचना

15 मई 2020
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जीवन पर प्रेरक हिंदी कविता मृत टहनियाँवो टहनियाँ जो हरे भरे पेड़ोंसे लगे हो कर भीसूखी रह जाती है जिनपे न बौर आती है न पात आती है आज उन मृत टहनियों को उस पेड़ सेअलग कर दिया मैंने… हरे पेड़ से लिपटे हो कर भी वो सूखे जा रही थी और इसी कुंठा में उस पेड़ को ही कीट बन खाए जा रही

Hindi poetry on women empowerment - आज की नारी ; अर्चना की रचना

6 मई 2020
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महिला सशक्तिकरण पर हिंदी कविता आज की नारी मैं आज की नारी हूँ न अबला न बेचारी हूँ कोई विशिष्ठ स्थानन मिले चलता है फिर भी आत्म सम्मान बना रहा ये कामना दिल रखता है न ही खेला कभी women कार्ड मुश्किलें आयी हो चाहे हज़ार फिर भी कोई मेरी आवाज़ में आवाज़ मिलाये तो अच्छा लगता है

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