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बैरी चाँद

17 सितम्बर 2020

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मोरी अटरिया पे ठहरा ये “बैरी चाँद”

देखो कैसे मोहे चिढाये

दूर बैठा भी देख सके है मोरे पिया को

मोहे उनकी एक झलक भी न दिखाए ..

कभी जो देखूं पूरा चाँद, याद आती है वो रात

जब संग देख रहा था ये बैरी, हम दोनों को टकटकी लगाये …

बिखरी थी चांदनी पुरे घर में, रति की किरण पड़ रही थी तन मन में

और खोये थे हम दोनो, घर की सारी बत्तियां बुझाये …

अविस्मर्णीय हैं वो सारी रात , जिस का सिर्फ तू ही एक साक्ष्य

फिर क्यों बना तू ऐसा बैरी , जो मोहे उनकी कोई खबर न बतलाये…

तू भी तो विरह में जलता है, घटता और बढ़ता है

गुम हो जाता है अमावस को , सिर्फ पूनम की रात ही पूरा कहलाये ..

एक जैसी है हम दोनों की पीर, जी को भेदती है बन के तीर

बड़ा भाग्यशाली है तू फिर भी, जो अपनी चांदनी से एक दिन तो मिल पाये..

तू तो चमकता रहता है बिन मीत, चाहे हो चौथ या हो ईद

ऐसा क्या करता है तू बैरी , मोरा तो सारा रूप रंग मुरझाये …

तू अलौकिक है असाधारण भी, सुन्दरता का उदाहरण भी

अधुरा हो के भी मोहक लागे , सब देते हैं तेरी उपमायें..

मेरी इतनी सी है तोसे गुजरिया, मोहे ला दे उनकी कोई खबरिया

जो चाहे तू मैं वो कर दूँगी , ओढ़ लूंगी तेरी सारी बलायें….

मोरी अटरिया पे ठहरा ये बैरी चाँद …..

अर्चना की रचना “सिर्फ लफ्ज़ नहीं एहसास “

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रचनाएँ
archanakirachna
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ज़िन्दगी बहुत सारे रंगों से बना इक इन्द्रधनुष है। जो अपने अंदर बहुत सारॆ एहसास संजोए हुए है। उनहि सारे एहसासों को कभी कभी शब्दों में कहना मुशकिल हो जाता है। बस उनहि एहसासों को कागज़ पे उतार कर मै आपसे साॅझा कर रही हूं , "अर्चना की रचना" में।
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कई बार हुआ है प्यार मुझे

12 सितम्बर 2019
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हाँ ये सच है, कई बार हुआ है प्यार मुझेहर बार उसी शिद्दत से हर बार टूटा और सम्भ्ला उतनी ही दिक्कत से हर बार नया पन लिये आया सावन हर बार उमंगें नयी, उमीदें नयी पर मेरा समर्पण वहीं हर बार वही शिद्दत हर बार वही दिक्कत हाँ ये सच है, कई बार हुआ है प्यार मुझेहर बार सकारात्मक

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हिंदी हम तुझ से शर्मिंदा हैं

13 सितम्बर 2019
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आज कल ओझल हो गयी है हिंदी एसेमहिलाओं के माथे से बिंदी जैसेकभी जो थोड़ा बहुत कह सुन लेते थे लोगअब उनकी शान में दाग हो हिंदी जैसेलगा है चसका जब से लोगों अंगरेजियत अपनाने काअपने संस्कारों को दे दी हो तिलांजलि जैसेअब तो हाय बाय के पीछे हिंदी मुँह छिपाती हैमात्र भाषा हो

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तुम्हें माफ़ किया मैंने

16 सितम्बर 2019
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जाओ तुम्हें माफ़ किया मैंनेबस इतना सुकून हैजैसा तुमने कियावैसा नहीं किया मैंनेजाओ तुम्हें माफ़ किया मैंनेहाँ खुद से प्यार करती थीमैं ज़रूरपर जितना तुमसे कियाउस से ज़्यादा नहींतुम्हारी हर उलझनों कोअपना लिया था मैंनेजाओ तुम्हें माफ़ किया मैंनेतुम्हारी लाचारियाँ मज़बूरियाँसब स्वीकार थी मुझकोसिर्फ उस रिश्ते

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मेरा परिचय, मेरी कलम

17 सितम्बर 2019
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मेरी कलम , जिससे कुछ ऐसा लिखूँके शब्दों में छुपे एहसास कोकागज़ पे उतार पाऊँऔर मरने के बाद भी अपनीकविता से पहचाना जाऊँमुझे शौक नहीं मशहूर होने काबस इतनी कोशिश है केवो लिखूं जो अपने चाहने वालोंको बेख़ौफ़ सुना पाऊँये सच है के मेरे हालातोंने मुझे कविता करना सीखा दियारहा तन्हा

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मैं हारूँगा नहीं

18 सितम्बर 2019
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थक चूका हूँ , पर हारा नहीं हूँमैं निरंतर चलता रहूँगाआगे बढ़ता रहूँगाउदास हूँ ,मायूस हूँपर मुझे जितना भी आज़मा लो ,मैं टूटूँगा नहीं ,मैं निरंतर कोशिश करता रहूंगा,पर अपनी तक़दीर को, तक़दीर केहवाले सौंप , हाथ बाँधबैठूंगा नहीं ,मैं निरंतर कोशिश करता रहूंगा ,अपनी तक़दीर को कोसूंगा

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Archana Ki Rachna: Preview "इस बार की नवरात्री "

20 सितम्बर 2019
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इस बार घट स्थापना वो ही करेजिसने कोई बेटी रुलायी न होवरना बंद करो ये ढोंग नव दिन देवी पूजने का जब तुमको किसी बेटी की चिंता सतायी न हो सम्मान,प्रतिष्ठा और वंश के दिखावे में जब तुम बेटी की हत्या करते हो अपने गंदे हाथों से तुम ,उसकी चुनर खींच लेते होइस बार माँ पर चुनर तब

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Archana Ki Rachna: Preview "मैं हूँ नीर "

21 सितम्बर 2019
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मैं हूँ नीर, आज की समस्या गंभीरमैं सुनाने को अपनी मनोवेदनाहूँ बहुत अधीर , मैं हूँ नीरजब मैं निकली श्री शिव की जटाओं से ,मैं थी धवल, मैं थी निश्चलमुझे माना तुमने अति पवित्रमैं खलखल बहती जा रही थीतुम लोगों के पापों को धोती जा रही थीपर तुमने मेरा सम्मान न बनाये रक्खाऔर मुझे

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Archana Ki Rachna: Preview "मुझमे भी जीवन है"

23 सितम्बर 2019
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हाँ मैं तुम जैसा नहींतो क्या हुआ ?मुझमे भी जीवन हैमुझे क्यों आहत करते हो ?? हमें संज्ञा दे कर पशुओं कीखुद पशुओं से कृत्य करते होकल जब तुम ले जा रहे थेमेरी माँ कोमैं फूट फूट कर रोया थामैं छोटा सा एक बच्चा थामैंने अपनी माँ को खोया थामैं लाचार

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Archana Ki Rachna: Preview "देखो फिर आई दीपावली"

25 सितम्बर 2019
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देखो फिर आई दीपावली, देखो फिर आई दीपावलीअन्धकार पर प्रकाश पर्व की दीपावली नयी उमीदों नयी खुशियों की दीपावली हमारी संस्कृति और धरोहर की पहचान दीपावली जिसे बना दिया हमने "दिवाली"जो कभी थी दीपों की आवलीजब श्री राम पधारे अयोघ्या नगरीलंका पर विजय पाने के बादउनके मार्ग में अँ

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Archana Ki Rachna: Preview " मैं बदनाम "

26 सितम्बर 2019
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ऐसा क्या है जो तुम मुझसेकहने में डरते हो पर मेरे पीछे मेरी बातें करते हो मैं जो कह दूँ कुछ तुमसे तुम उसमें तीन से पांचगढ़ते होऔर उसे चटकारे ले करदूसरों से साँझा करते होमैं तो हूँ खुली किताबबेहद हिम्मती और बेबाक़रोज़ आईने में नज़रमिलाता हूँ अपने भीतर झाँक, फिरऐसा क्या है जो

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Archana Ki Rachna: Preview "आदत"

27 सितम्बर 2019
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आदतन मोहब्बत नहीं हुई थी मुझकोआदतन उसका यूँ टकरा जाना याद आता रहाआदतन बेखौफ बढ़ता रहा मैं उसकी ओरआदतन वो मिलने का दस्तूर निभाता रहाआदतन मैं रेत पर घर बनाता रहाआदतन वो मेरा सब्र परखता रहाआदतन मैं ख्वाब बुनता रहाआदतन वो उनसे नज़रें चुराता र

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Archana Ki Rachna: Preview " ज़िन्दगी का उपकार "

2 अक्टूबर 2019
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अपने कल की चिंता मेंमैं आज को जीना भूल गयाज़िन्दगी बहुत खूबसूरत हैमैं उसको जीना भूल गयाखूब गवाया मैंने चिंता करकेजो मुझे नहीं मिला उसका गम कर केअपने कल की चिंता मेंमैं अपनी चिंता भूल गयाज़िन्दगी बहुत खूबसूरत हैमैं उसको जीना भूल गयाजब तक मैं आज़ाद बच्चा थामुझे तेरी परवाह

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Archana Ki Rachna: Preview "रुक्मणि की व्यथा "

29 अक्टूबर 2019
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श्याम तेरी बन केमैं बड़ा पछताईन मीरा ही कहलाई न राधा सी तुझको भायी श्याम तेरी बन केमैं बड़ा पछताईन रहती कोई कसकमन मेंजो मैं सोचती सिर्फअपनी भलाईश्याम तेरी बन केमैं बड़ा पछताईसहने को और भीगम हैंपर कोई न लेना पीरपरायीश्याम तेरी बन केमैं बड़ा पछताईन कोई खबर न कोईठोर ठिकानाबहुत

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Archana Ki Rachna: Preview "किराये का मकान "

4 नवम्बर 2019
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बात उन दिनों की है जब बचपन में घरोंदा बनाते थे उसे खूब प्यार से सजाते थे कही ढेर न हो जायेआंधी और तूफानों में उसके आगे पक्की दीवारबनाते थेवख्त गुज़रा पर खेल वहीअब भी ज़ारी हैबचपन में बनाया घरोंदाआज भी ज़ेहन पे हावी हैघर से निकला हूँकुछ कमाने के लिएथोड़ा जमा कर कुछ ईंटेंउस बचप

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Archana Ki Rachna: Preview "तेरा तलबगार "

7 नवम्बर 2019
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जाओ अब तुम्हारा इंतज़ार नहीं करूंगीके अब खुद को मायूस बार बार नहीं करूंगीबहुत घुमाया तुमने हमें अपनी मतलबपरस्ती मेंके अब ऐसे खुदगर्ज़ से कोई सरोकार नहीं रखूंगीरोज़ जीते रहे तुम्हारे झूठे वादों कोके अब मर के भी तुम्हारा ऐतबार नहीं करूंगीतरसते रहे तुझसे एक लफ्ज़ " मोहब्बत "

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Archana Ki Rachna: Preview " वो पुराना इश्क़ "

9 नवम्बर 2019
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वो इश्क अब कहाँ मिलता है जो पहले हुआ करता था कोई मिले न मिलेउससे रूह का रिश्ताहुआ करता थाआज तो एक दँजाहीसी सी है,जब तक तू मेरी तब तक मैं तेराशर्तों पे चलने की रिवायतसी है ,मौसम भी करवट लेने से पहलेकुछ इशारा देता हैपर वो यूं बदला जैसे वो कभीहमारा न हुआ करता थामोहब्बत में

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Archana Ki Rachna: Preview "गाडी के दो पहिए"

10 नवम्बर 2019
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मैं स्त्री हूँ , और सबकासम्मान रखना जानती हूँ कहना तो नहीं चाहतीपर फिर भी कहना चाहती हूँ किसी को ठेस लगे इस कविता सेतो पहले ही माफ़ी चाहती हूँ सवाल पूछा है और आपसेजवाब चाहती हूँक्या कोई पुरुष, पुरुष होने का सहीअर्थ समझ पाया हैया वो शारीरिक क्षमता को हीअपनी पुरुषता समझ

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Archana Ki Rachna: Preview "उमीदों का खेल"

11 नवम्बर 2019
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क्या ज़्यादा बोझिल है जब कोई पास न हो या कोई पास हो के भीपास न हो ?कोई दिल को समझा लेता है क्योंकि,उसका कोई अपनाहै ही नहींपर कोई ये भुलाये कैसेजब उसका कोई अपनासाथ हो के भी साथ न होजहाँ चारो ओर चेहरोंकी भीड़ हो अपनापन ओढ़ेअपनी ज़रूरत पर सब दिखेपर गौर करना, जब तुमने पुकारातो

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Archana Ki Rachna: Preview "कुछ दिल की सुनी जाये "

13 नवम्बर 2019
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चलो रस्मों रिवाज़ों को लांघ करकुछ दिल की सुनी जाये कुछ मन की करी जाये एक लिस्ट बनाते हैं अधूरी कुछ आशाओं कीउस लिस्ट की हर ख्वाहिश एक एक कर पूरी की जाये कुछ दिल की सुनी जाये कुछ मन की करी जाये कोई क्या सोचेगा कोई क्या कहेगा इन बंदिशों से परे हो के थोड़ी सांसें आज़ाद हवा मे

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Archana Ki Rachna: Preview "पुनर्विचार"

18 नवम्बर 2019
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क्या कोई अपने जीवन सेकिसी और के कारणरूठ जाता है ? के उसका नियंत्रण खुद अपने जीवनसे झूट जाता है? हां जब रखते हो,तुम उम्मीद किसीऔर से,अपने सपने को साकार करने कीतो वो अक्सर टूट जाता हैजब भरोसा करते हो किसी पेउसे अपना जान कर,खसक जाती हैपैरों तले ज़मीन भीजब वो "अपना"अपनी मत

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Archana Ki Rachna: Preview "नियति का खेल "

19 नवम्बर 2019
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जब हम बुरे समय सेगुजरते हैं अपने ईश्वर को यादकरते हैं सब जल्दी ठीक हो जाये यही फरियाद करते हैं भूल कर उस ईश्वरका जीवन संघर्ष हम सिर्फ अपनी बातकरते हैंचलो आओ याद दिलातीहूँ एक रोचक बातजो तुम सब को भी है यादजब उस ईश्वर नेअवतार लिया धरती पेतो वो भी दर्द से अछूता न थाकहने को

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Archana Ki Rachna: Preview "तेरी याद "

20 नवम्बर 2019
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मैंने घर बदला औरवो गलियाँ भी फिर भी तेरी याद अपने संग इस नए घर में ले आया एक मौसम पार कर मैं फिर खड़ी हूँ, उसी मौसम की दस्तक पर, वही गुनगुनाती ठंड और हलकी धुंध,जिसमे कभी तू मुझे आधी रात मिलने आया वो एक पल में मेरा बेख़ौफ़ हो कुछ भी कह जाना ,और फिर तुझे अजनबी जान कसमसा जाना

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Archana Ki Rachna: Preview "कुछ कही छूट गया मेरा "

25 नवम्बर 2019
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तुम अपना घर ठीक सेढूंढना ,कुछ वहींछूट गया मेराढूंढ़ना उसे , अपने किचन मेंजहाँ हमने साथ चाय बनाई थीतुम चीनी कम लेते होये बात तुमने उसे पीने के बाद बताई थीउस गरम चाय की चुस्की लेकरजब तुमने रखा था दिल मेरातुम अपना किचन ठीक सेढूंढना , कुछ वही छूट गया मेराढूंढना उसे , उस परदे

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Archana Ki Rachna: Preview ""पिता ""

27 नवम्बर 2019
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लोग कहते हैं , मैं अपने पापा जैसे दिखती हूँ,एक बेटे सा भरोसा था उनको मुझपरमैं खुद को भाग्यशाली समझती हूँ।मैं रूठ जाती थी उनसे, जब वो मेरे गिरने पर उठाने नहीं आते थेपर आज समझती हूँ , वो ऐसा क्यों करते थेआज मैं अपने पैरों पे हूँ , उसी वजय सेदे कर सहारा वो मुझे हमेशा के लि

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"Archana Ki Rachna" A Hindi Poetry Blog based based on life. : Preview "धुंध "

28 नवम्बर 2019
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तुझ में उलझा हूँ इस कदर केअब कुछ भी सुलझता नहीं हर तरफ एक धुंध सी हैजो तेरे जातेकदमो से उठी है इसमें जीने की घुटनको मैं बयां कर सकता नहींहर जरिया बंद कर दियातुझ तक पहुंचने कापर एक तेरे ख्यालको कोई दरवाज़ारोक पाता नहींमैं जानता हूँ के तून आएगा अब कभीमेरा हाल भी पूछने क

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"Archana Ki Rachna" Best blog for Hindi poetry based on different shades of life. : Preview "ख्वाब और हक़ीक़त"

29 नवम्बर 2019
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जो चाहूँ वो पाऊँतो कैसा हो?ख्वाब और हक़ीक़त अगर एक सा हो?न कोई खौफ हो दिल में तुमसे बिछड़ने का तू हर लम्हा सिर्फ मेरा हो मैं हर शाम करूँ इंतज़ार तेरा बन संवर के मेरे सिवा तेरा कोई और पता न हो बैठ बगीचे में निहारा करे उन दो फूलों को जिन्हे हमने अपने प्यार से सींचा हो तेरी सिगर

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The Best Inspirational Hindi Poetry Blog - अर्चना की रचना : Preview "ज़िन्दगी एक शतरंज"

30 नवम्बर 2019
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ज़िन्दगी एक शतरंज की बिसात सी चलती रहीकिसी के शह पे किसी की मात होती रहीबिछा रखे थे एहसासों के मोहरेंएक राजा को बचाने के लिएऔर एक एक कर केउन मोहरों की ज़िन्दगी कुर्बान होती रहीये खेल बहुत अलग सा हैकोई न जानेकिस की चाल में क्या छिपा हैदिमाग वाले तो जीत गए औरदिलजलों की हार हो

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Inspirational Hindi Poetry Satire - इमारतें ; अर्चना की रचना

20 दिसम्बर 2019
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इन बड़ी इमारतों में जो लोगे रहते हैं बहुत कुछ देख कर भी खामोश रहते हैं अगले घर में क्या हुआ क्या नहीं उसकी फिक्र इनको सिर्फgossiping तक है वरना ये अपने काम से काम रखते हैं किसी ने पुकारा भी हो तो सिर्फ बंद दरवाज़ों के झरोखे से तमाशा देखते हैं और खुद को महफूस समझउस आवाज़ को i

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Hindi Motivational Poetry On Life - समझौता ; अर्चना की रचना

23 दिसम्बर 2019
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ज़िन्दगी जीने का एक ही मंत्र है जो मिला उसे गले लगाओ जो नहीं मिला उसे भूल जाओ यही ज़िन्दगी है जिये जाओ जिये जाओ चिंता ,आशा और निराशा की स्मृतियाँ अपने दिलो से मिटाओ चैन से सोना है तो समझौते का तकिया सरहाने लगाओ यही ज़िन्दगी है जिये जाओ जिये जाओ ये ज़िन्दगी एक समझौता एक्सप्रे

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Romantic Love Poetry In Hindi - सर्दी की धूप ; अर्चना की रचना

24 दिसम्बर 2019
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सर्दी की धूप प्रेम पर आधारित हिंदी कविताइश्क तेरा सर्दी की गुनगुनी धूप जैसा जो बमुश्किल निकलती है पर जब जब मुझ पर पड़ती है मुझे थोडा और तेरा कर देती है मैं बाहें पसारे इसकी गर्माहट को खुद में समा लेती हूँ इसकी रंगत न दिख जाये चेहरे में कही इसलिए खुद को तेरे सीने में छुपा

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Hindi poetry on love and missing someone - ये ज़मीन; अर्चना की रचना

6 जनवरी 2020
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प्रेम पर आधारित हिंदी कविता ये ज़मीन ये ज़मीन जो बंजर सी कहलाती है बूँद जो गिरी उस अम्बर से, रूखे मन पर तो उस ज़मीन की दरारें भर सी जाती हैजहाँ तक देखती है , ये अम्बर ही उसने पाया है पर न जाने, उस अम्बर के मन में क्या समाया है कभी तो बादलों सा उमड़ आया है और कभी एक बूँद को भी

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Hindi Inspirational Poetry on New Year - नया साल ; अर्चना की रचना

6 जनवरी 2020
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देखो फिर एक नया साल जुड़ गयाहर बात वही घात वहीफिर से उसे ठीक करने कानया ज़ज्बा जुड़ गयादेखो फिर एक नया साल जुड़ गयाबहुत कुछ देखा और सीखा बीते साल मेंबहुत कुछ मिला भी मुफलिसी के हाल मेंउस ऊपर वाले के करम से मैंमैं हर वार सह गयादेखो फिर एक नया साल जुड़ गयाकुछ मेरे अपने थे जो दूर

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Hindi poetry on love and expectations - ख़त ; अर्चना की रचना

7 जनवरी 2020
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प्रेम पर आधारित कविता हिंदी में ख़त मैंने उन्हें एक ख़त भिजवाया है एक लिफाफे में उसे रखवाया है देखने में कोरा न लगे,इसलिए उस लिफाफे को खूब सजाया है जो पहुचेगा वो उनके हाथों में रख देंगें वो उसे किताबें मेंसोचेंगे की क्या पढूं , जब ख़त के अन्दर का हाल लिफाफे की सजावट में उभर

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Hindi love poetry on rain and missing someone - बारिश > अर्चना की रचना

8 जनवरी 2020
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प्रेम और याद पर आधारित हिंदी कविता बारिशबारिश से कहो यूं न आया करे मुझे तेरा उनके बगैर आना अच्छा नहीं लगतातूने आने से पहले दस्तक तो दी थीसर्द मौसम में भिगोने की जुर्रत तो की थी जितना चाहे रिझा ले मुझको रूमानी हो केमुझे उनके बिना भीगना अच्छा

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Hindi poetry satire on love - इश्क का राज़ीनामा > अर्चना की रचना

9 जनवरी 2020
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काश इश्क करने से पहले भी एक राज़ीनामा ज़रूरी हो जाये जो कोई तोड़े तो हो ऐसा जुर्मानाजो सबकी जेबों पर भारी हो जाये फिर देखो बेवज़ह दिल न फिसला करेंगे इश्क की गलियों से बच- बच निकला करेंगेवो ही पड़ेगा इसके चक्करों में,जो सारी शर्तों को राज़ी हो जाये कोई मनचला किसी कॉलेज के बाहर

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Inspirational Hindi poetry on love and life - वख्त ; अर्चना की रचना

12 जनवरी 2020
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ज़िन्दगी और प्रेम पर आधारित प्रेरणात्मक हिंदी कविता वख्त वख्त जो नहीं दिया किसी ने उसे छीनना कैसा उसे मांगना कैसा छिनोगे तो सिर्फ २ दिन का ही सुख पाओगे और मांगोगे तो लाचार नज़र आओगे छोड़ दो इसे भी वख्त के हाल पर जो जान कर सो गया , उसे जगाना कैसावख्त जो किसी के साथ गुज़ार आये

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Life Inspiring Hindi poetry based on love - छल ; अर्चना की रचना

13 जनवरी 2020
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जीवन और प्रेम पर आधारित हिंदी कविता छल छल और प्यार में से क्या चुनूँजो बीत गया उसे साथ ले कर क्यों चलूँपतंग जो कट गई डोर से वो खुद ही कब तक उड़ पायेगी हालात के थपेडों से बचाने को उसको फिर नयी डोर का सहारा क्यों न दूंजो शाख कभी फूलों से महकी रहती थी वो पतझड़ में वीरान हो चली

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Hindi poetry on Friendship - दोस्ती हिंदी कविता ; अर्चना की रचना

14 जनवरी 2020
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चलो थोडा दिल हल्का करें कुछ गलतियां माफ़ कर आगे बढें बरसों लग गए यहाँ तक आने में इस रिश्ते को यूं ही न ज़ाया करें कुछ तुम भुला दो , कुछ हम भुला देंकड़ी धूप में रखा बर्तन ही मज़बूत बन पाता है उसके बिगड़ जाने का मिटटी को क्यों दोष दें कुछ तुम भुला दो , कुछ हम भुला देंयूं अगर दफ़न

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Hindi poetry on Mother and child love - आँखों का नूर ; अर्चना की रचना

15 जनवरी 2020
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कल उस बात को एक साल हो गया वख्त नाराज़ था मुझसे न जाने कैसे मेहरबान हो गया मेरी धड़कन में आ बसा तू ये कैसा कमाल हो गयाकल उस बात को एक साल हो गया रोज़ दुआ भी पढ़ी और आदतें भी बदलीसिर्फ तेरी सलामती की चाहत रखना मेरा एक एकलौता काम हो गया कल उस बात को एक साल हो गया सिर्फ तू ही मे

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Hindi inspirational poetry based on love - करम - अर्चना की रचना

17 जनवरी 2020
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प्रेम पर आधारित प्रेरक हिंदी कविता करम मेरे महबूब का करम मुझ पर जिसने मुझे, मुझसे मिलवाया है नहीं तो, भटकता रहता उम्र भर यूं ही मुझे उनके सिवा कुछ भी न नज़र आया है लोग इश्क में डूब कर फ़ना हो जाते हैं पर मैंने डूब करअपनी मंजिलोंको रु ब रु पाया है मेरे महबूब का करम मुझ पर जि

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Hindi poetry on woman - मेरे जैसी मैं ; अर्चना की रचना

18 जनवरी 2020
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नारी पर आधारित एक विचारणीय हिंदी कविता मेरे जैसी मैं मैं कहाँ मेरे जैसी रह गयी हूँ वख्त ने बदल दिया बहुत कुछमैं कोमलांगना से काठ जैसी हो गई हूँमैं कहाँ मेरे जैसी रह गयी हूँ समय के साथ बदलती विचारधारा ने मेरे कोमल स्वरुप कोएक किवाड़ के पीछे बंद तो कर दिया है पर मन से आज

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Hindi poetry on life of river and women - शिवांशी ; अर्चना की रचना

19 जनवरी 2020
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नदी और स्त्री जीवन को दर्शाती हिंदी कविता शिवांशी मैं शिवांशी , जल की धार बन शांत , निश्चल और धवल सी शिव जटाओं से बह चली हूँ अपने मार्ग खुद ढूँढती और बनातीआत्मबल से भरपूर खुद अपना ही साथ लिए बह चली हूँ कभी किसी कमंडल में पूजन को ठहर गई हूँ कभी नदिया बन किसी सागर में विलय

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Hindi love poetry based on sentiments- मेरा श्रृंगार तुमसे ;अर्चना की रचना

20 जनवरी 2020
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प्रेम में स्त्री की भावना को दर्शाती हिंदी कविता मेरा श्रृंगार तुमसे दर्पण के सामने खड़ी होकर, जब भी खुद को सँवारती हूँ उस दर्पण में तुमको साथ देख,अचरज में पड़ जाती हूँशरमाकर कजरारी नज़रें नीचे झुक जाती हैं पर कनखियों से तुमको ही देखा करती हैं यूं आँखों ही आँखों में पूछ लेती

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Motivational Hindi Poetry on life - वख्त की आज़मायिश ; अर्चना की रचना

1 फरवरी 2020
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जीवन पर आधारित हिंदी कविता वख्त की आज़मायिशये जो मेरा कल आज धुंधला सा है सिर्फ कुछ देर की बात है अभी ज़रा देर का कोहरा सा हैधुंध जब ये झट जाएगी एक उजली सुबह नज़र आएगी बिखरेगी सूरज की किरण फिर से ये ग्रहण सिर्फ कुछ देर का है अभी जो अँधेरा ढीठ बना फैला हुआ है तुम्हें नहीं पता,

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Hindi poetry based on relationships - कहाँ तक साथ चलोगे ; अर्चना की रचना

10 फरवरी 2020
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रिश्तों पर आधारित हिंदी कविता कहाँ तक साथ चलोगे सबसे जुदा हो कर पा तो लिए तुमको मैंने पर ये तो बोलो कहाँ तक साथ चलोगे ?न हो अगर कोई बंधन रस्मो और रिवाजों का क्या तब भी मेरा ही साथ चुनोगे बोलो कहाँ तक साथ चलोगे ?एक धागे में पिरोई माला तक सिमित रहेगा प्यार तुम्हारा या इस गठ

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Hindi poetry on friends of benefits - मतलब की धूल; अर्चना की रचना

11 फरवरी 2020
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मतलबी दोस्ती पर आधारित हिंदी कविता मतलब की धूलवख्त की तेज़ धूप ने सब ज़ाहिर कर दिया है खरे सोने पर ऐसी बिखरी की उसकी चमक को काफ़ूर कर दिया है जब तक दाना डालते रहे चिड़िया उन्हें चुगती रही हुए जब हाथ खाली तो उसकी चोंच ने ज़ख़्मी कर दिया हैजब तक मेज़बान थे घर में रौनक लगी रही शाम

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inspirational Hindi poetry on life - सच ; अर्चना की रचना

15 फरवरी 2020
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जीवन पर आधारित प्रेरणात्मक हिंदी कविता सच कितना सरल है, सच को स्वीकार कर जीवन में विलय कर लेनासंकोच ,कुंठा और अवसाद को खुद से दूर कर लेना जिनके लिए तुम अपने होवो हर हाल में तुम्हारे ही रहेंगे,कह दोगे जो हर बात दिल कीतो उनसे रिश्ते और गहरे ही जुड़ेंगे कितना सरल है , औरों की

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A hindi poetry on true love - दरख्वास्त ; अर्चना की रचना

17 फरवरी 2020
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प्रेम पर आधारित हिंदी कविता दरख्वास्तसुनो, मुझे अपना बना लो मन को तो लूभा चुके होअब मुझे खुद में छुपा लो हूँ बिखरी और बहुत झल्ली सी अपनी नज़रों में पगली सी पर तुम्हारी नज़रों से जब खुद को देखा लगने लगी भली भली सी सुनो, इन नज़रों में ता उम्र मुझको बसा लोसुनो, मुझे अपना बना लो

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A Hindi poetry about life -लाज़मी सा सब कुछ ; अर्चना की रचना

29 फरवरी 2020
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जीवन पर आधारित हिंदी कविता लाज़मी सा सब कुछ मुझे वो लाज़मी सा सब कुछ दिलवा दो जो यूं ही सबको मिल जाता है न जाने कौन बांटता है सबका हिस्सा जिसे मेरे हिस्सा नज़र नहीं आता है बहुत कुछ गैर लाज़मी तो मिला अच्छे नसीबो से पर लाज़मीसा सब कुछ मेरे दर से लौट जाता है न छु सकूँ जिसे , बस

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A Hindi poetry on International women day - क्यों ; अर्चना की रचना

1 मार्च 2020
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अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर हिंदी कविता क्यों क्यों एक बेटी की विदाई तक ही एक पिता उसका जवाबदार है ?क्यों किस्मत के सहारे छोड़ कर उसको कोई न ज़िम्मेदार है?क्यों घर बैठे एक निकम्मे लड़के पर वंश का दामोदर है ?क्यों भीड़ चीरती अपना आप खुद लिखती ए

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Hindi love poetry On Occasion of Holi - मैं तो तेरी होली ; अर्चना की रचना

6 मार्च 2020
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होली के अवसर पर एक प्रेम भरी हिंदी कविता मैं तो तेरी होली…ओ रे पिया मैं तो तेरी होली तन मन धन सब वारा तुझपे तेरे पीछे मैंने अपनी सुद्बुध खो ली ओ रे पिया मैं तो तेरी होली रूप श्रृंगार से रिझाया तुझको स्वाद से भी लुभाया तुझको पत्नी ,माँ,प्रेमिका और सेविका चारों रूप से समर्प

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Hindi poetry on life - मैं कुछ भूलता नहीं ; अर्चना की रचना

12 मार्च 2020
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जीवन पर आधारित हिंदी कविता मैं कुछ भूलता नहीं मैं कुछ भूलता नहीं ,मुझे सब याद रहता है अजी, अपनों से मिला गम, कहाँ भरता हैसुना है, वख्त हर ज़ख़्म का इलाज है पर कभी-२ कम्बख्त वख्त भी कहाँ गुज़रता है मैं अब बेख़ौफ़ गैरों पे भरोसा कर लेता हूँ जिसने सहा हो अपनों का वार सीने पे , वो

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Hindi love poetry on sentiments - इस बार ; अर्चना की रचना

19 मार्च 2020
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प्रेम में भावनाओं पर हिंदी कविता इस बार सोचती हूँ, क्या इस बार तुम्हारे आने परपहले सा आलिंगन कर पाऊँगी या तुम्हें इतने दिनों बाद देख ख़ुशी से झूम जाउंगी चेहरे पे मुस्कान तो होगी पर क्या वो सामान्य होगी तुम्हें चाय का प्याला दे क्या एक मेज़बान की तरह मिल पाऊँगी तुम सोफे पर

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Hindi poetry on Relationships - थोड़ी सी नमी ; अर्चना की रचना

20 मार्च 2020
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बनते बिगड़ते रिश्तों पर आधारित कविता थोड़ी सी नमी तूफानों को आने दो मज़बूत दरख्तों की औकात पता चल जाती है पेड़ जितना बड़ा और पुराना हो उसके गिरने की आवाज़ दूर तलक़ आती है सींचा हो जिन्हें प्यार से उन्हें यूं बेजान देख करएक आह सी निकलती हैपर उसे जिंदा रखने की ललक सब में कहा होती

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Motivational Hindi poetry on life - हाँ ; अर्चना की रचना

21 मार्च 2020
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जीवन पर आधारित विचारणीय कविता आज की कविता शायद कुछ लोगो को भावुक करेया कुछ लोगों को सोचने पर मजबूर करेमेरा काम है आप लोगों तक एक सोच पहुँचाना किसी ने अपनाई तो शुक्रिया वख्त ज़ाया किया तो माफ़ करे……शीर्षक – : हाँतुम उस दिन जो हाँ कर देते तो किसी को नया जीवन देते पर तुम्हारी

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Inspirational Hindi poetry on life - भरोसा  ; अर्चना की रचना

23 मार्च 2020
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आज की सच्ची घटना पर आधारित हिंदी कविता सारांश -: दोस्तों ये घटना आज सुबह की है , जो कि मेरी दैनिक दिनचर्या है कि मैं रोज़ सुबह उठते ही परिंदों को दाना डालती हूँ तब अपने दिन की शुरुआत करती हूँ , पर आज इस घटना ने मुझे एक कविता की सोच दी जो मैं आप लोगों से साँझा कर रही हू

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कोई मिल गया

30 मार्च 2020
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कोई मिल गया इस हसीन शाम में , उमर की ढलान में हाथ थामे चलने को कोई मिल गया है हाँ मुझे कोई मिल गया है कल क्या हो नहीं जानती , पर इस मंजिल तक आते आते जो थकान थी उस से थोडा आराम मिल गया है हाँ मुझे कोई मिल गया है दिल खोल के रख दिया उसके सामने मैं बस आज में जीती हूँ , वो छ

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Inspirational Hindi poetry on life - ख्वाहिशें - अर्चना की रचना

1 अप्रैल 2020
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जीवन पर आधारित प्रेरक हिंदी कविता ख्वाहिशें ख्वाहिशें सुख गई हैं ऐसे मौसम के बदलते मिजाज़ से फसलें जैसे क्या बोया और क्या पाया सपनों और हक़ीकत में कोई वास्ता न हो जैसे ख्वाहिशें सुख गई हैं ऐसे कल तक जो हरी भरीमुस्कुरा रही थी आज खुद अपनी नज़रलग गई हो जैसे ख्वाहिशें सुख गई है

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कोरोना वायरस - अर्चना की रचना

6 अप्रैल 2020
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धर्म-जाति से परे हिंदी कविता एक भयावह महामारी पर शीर्षक -: कोरोना वायरस लिखना नहीं चाहती थी पर लिखना पड़ा कहना नहीं चाहती थी पर कहना पढ़ा आज कल जो माहौल है उसे देख ये ख़ामोशीतोडना पड़ा जब हम जैसे पढ़े लिखे ही चुप हो जायेंगे तो इस देश को कैसे बचा पाएंगे जो फंसे हुए हैं हिन्दू -मुस्लिम के आपसी मुद्दों म

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हाय रे चीन (कोरोना और चाइना )

13 अप्रैल 2020
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हिंदी कविता व्यंग्यशीर्षक-: हाय रे चीन (कोरोना और चाइना )हाय रे चीनचैन लिया तूनेसबका छीनकुछ भी न बचातुझसे ऐसाजो न खायातूने बीन बीनहाय तू कैसा शौक़ीनसारी दुनिया कोदे के Covid 19कर दिया तूनेशक्तिहीनजब वो रो रहीबिलख रहीतब तू बन ने चलामहा महीमहाय रे चीनतुझ पर Biological Weaponबनाने का आरोप लगाफिर भी तू ह

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बहुत देर

14 अप्रैल 2020
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बहुत देर कर दी ज़िन्दगी तूनेमेरे दर पे आने मेंहम तो कब से लगे थेतुझे मनाने मेंअब तो न वो प्यास हैन वो तलाश है ,मानोंखुद को पा लिए हमनेकिसी के रूठ जाने मेंबहुत देर कर दी ज़िन्दगी तूनेमेरे दर पे आने मेंतेज़ हवा में जलाया चिरागक्यों बार बार बुझ जाता हैजब की कोई कसर नहीं छोड़

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आख़िरी इच्छा

15 अप्रैल 2020
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कभी कभी सोचती हूँअगर इस पल मेरी साँसें थम जायेऔर इश्वर मुझसे ये कहने आयेमांगो जो माँगना होकोई एक अधूरी इच्छा जोअभी इस पल पूरी हो जायेमैं सोच में पड़ जाती हूँके ऐसा अगर सच हुआ तोतो क्या माँगू जोइसी पल मुझे तृप्त कर जायेबहुत कुछ पीछे छूट गयाक्या वहाँ जा के कोई गलतीसुधार ली जायेया कोई खुशनुमा लम्हाफिर स

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मेरे शिव

16 अप्रैल 2020
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ओ मेरे शिव, मैं सच में तुमसे प्यार कर बैठीसबने कहा , क्या मिलेगा मुझेउस योगी के संगजिसका कोई आवास नहींवो फिरता रहता हैबंजारों साजिसका कोई एक स्थान नहींसब अनसुना अनदेखा कर दिया मैंनेअपने मन मंदिर में तुमको स्थापित कर बैठीओ मेरे शिव, मैं सच में तुमसे प्यार कर बैठीसबने समझाया , उसका साथ है भूतो और पिशा

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प्रेम

18 अप्रैल 2020
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प्रेम, जिसमें मैं ही मैं होहम न होडूब गए हो इतने केउबरने का साहस न होवो प्रेम नहीं एक आदत हैउसकीजो एक दिन छूट जाएगीफिर से जीने की कोई वजहतो मिल जाएगीजब तू उस घेरे के बाहरनिहारेगातब ही तेरा आत्म सम्मानतुझे फिर से पुकारेगातू झलांग लगा पकड़ लेनाउसकी कलाई कोउसकी आदत के चलतेतूने नहीं सोचा खुद कीभलाई कोतब

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ताज महल

20 अप्रैल 2020
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नाकाम मोहब्बत की निशानीताज महल ज़रूरी हैजो लोगो को ये बतलाये केमोहब्बत का कीमती होना नहींबल्कि दिलों का वाबस्ता होना ज़रूरी हैदे कर संगमरमर की कब्रगाहकोई दुनिया को ये जतला गयाके मरने के बाद भीमोहब्बत का सांस लेते रहना ज़रूरी हैवो लोग और थे शायद, जोतैरना न आता हो तो भीदरि

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रुख़्सत

24 अप्रैल 2020
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ये जो लोग मेरी मौत पर आजचर्चा फरमा रहे हैंऊपर से अफ़सोस जदा हैंपर अन्दर से सिर्फ एक रस्मनिभा रहे हैंमैं क्यों मरा कैसे मराक्या रहा कारन मरने कापूछ पूछ के बेवजह की फिक्रजता रहे हैंमैं अभी जिंदा हो जाऊँतो कितने मेरे साथ बैठेंगेवो जो मेरे र

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Hindi poetry on holy festival Ramadan - एक ऐसी ईद ; अर्चना की रचना

25 अप्रैल 2020
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रमज़ान के मौके पर हिंदी कविता एक ऐसी ईद ( कोरोना में त्यौहार )एक ऐसी ईद भी आई एक ऐसी नवरात गई जब न मंदिरों में घंटे बजे न मस्जिदों में चहल कदमी हुईबाँध रखा था हमने जिनको अपने सोच की चार दीवारों में अब समझा तो जाना हर तरफ उसके ही नूर से दुनिय

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Inspirational Hindi Poetry on life - मेरे दर्द > अर्चना की रचना

27 अप्रैल 2020
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प्रेरक हिंदी कविता मेरे दर्द मेरे दर्द सिर्फ मेरे हैं इन्हें अपनी आँखों का पता क्यों दूँतरसे और बरसेइन्हें अपने दर्दों से वो लगाव क्यों दूँमेरा अंधापन मेरी आँखों को चुभता है पर अपने लिए फैसलों पर इसे रोने क्यों दूँमेरे दर्द सिर्फ मेरे हैं इन्हें अपनी आँखों का पता क्यों द

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Hindi poetry on love and betrayal - मलाल ; अर्चना की रचना

29 अप्रैल 2020
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प्रेम और विश्वासघात पर हिंदी कविता मलाल मुझे ताउम्र ये मलाल रहेगा तुम क्यों आये थे मेरी ज़िन्दगी में ये सवाल रहेगा जो सबक सिखा गए तुम वो बहुत गहरा है चलो प्यार गहरा न सही पर उसका हासिल सुनहरा है गैरों की नज़र से नहींखुद अपनी नज़र से परखा था तुम्हें मुझे लगा तेरे मेरा संग कमा

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Hindi poetry on love - तुमको लिखा करूंगी ; अर्चना की रचना

3 मई 2020
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Hindi poetry on love - तुमको लिखा करूंगी > अर्चना की रचना अब से मैं प्यार लिखूंगी तो तुमको लिखा करूंगी वो शामें मेरी ,जो तुम पर उधार हैं , उन पर ख्वाब लिखूंगी तो तुमको लिखा करूंगी वो गलियाँ जिन पर तेरेवापस आने क

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Hindi poetry on patriotism and love - शूरवीर ; अर्चना की रचना

4 मई 2020
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देशभक्ति प्रेम पर हिंदी कविता शूरवीर आज फिर गूँज उठा कश्मीर सुन कर ये खबरदिल सहम गया और घबरा कर हाथ रिमोट पर गया खबर ऐसी थी की दिल गया चीर हैडलाइन थी आज फिर गूँज उठा कश्मीर फ़ोन उठा कर देखा तो उनको भेजा आखिरी मेसेज अब तक unread था न ही पहले के मेसेज पर blue tick था ऑनला

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Hindi poetry on women empowerment - आज की नारी ; अर्चना की रचना

6 मई 2020
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महिला सशक्तिकरण पर हिंदी कविता आज की नारी मैं आज की नारी हूँ न अबला न बेचारी हूँ कोई विशिष्ठ स्थानन मिले चलता है फिर भी आत्म सम्मान बना रहा ये कामना दिल रखता है न ही खेला कभी women कार्ड मुश्किलें आयी हो चाहे हज़ार फिर भी कोई मेरी आवाज़ में आवाज़ मिलाये तो अच्छा लगता है

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Hindi Inspirational poetry on life - मृत  टहनियाँ ; अर्चना की रचना

15 मई 2020
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जीवन पर प्रेरक हिंदी कविता मृत टहनियाँवो टहनियाँ जो हरे भरे पेड़ोंसे लगे हो कर भीसूखी रह जाती है जिनपे न बौर आती है न पात आती है आज उन मृत टहनियों को उस पेड़ सेअलग कर दिया मैंने… हरे पेड़ से लिपटे हो कर भी वो सूखे जा रही थी और इसी कुंठा में उस पेड़ को ही कीट बन खाए जा रही

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Hindi poetry on childhood life - अजूबी  बचपन ; अर्चना की रचना

18 मई 2020
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बचपन की यादों आधारित हिंदी कविता अजूबी बचपन आज दिल फिर बच्चा होना चाहता है बचपन की अजूबी कहानियों में खोना चाहता है जीनी जो अलादिन की हर ख्वाहिश मिनटों में पूरी कर देता था,उसे फिर क्या हुक्म मेरे आका कहते देखना चाहता है आज दिल फिर बच्चा होना चाहता हैमोगली जो जंगल में बघ

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हासिल

29 अगस्त 2020
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शीर्षक :- हासिलकभी – कभी बिन माँगें बहुत कुछ मिल जाता हैऔर कभी माँगा हुआ दरवाज़े पे दस्तक दे लौट जाता हैशायद इसी को ज़िन्दगी कहते हैंसब्र का दामन थाम कर यहाँ हर कोई यूं ही जिये जाता है …मिले न मिले ये मुकद्दर उसकाफिर भी कोशिश करना फ़र्ज़ है सबकाआगे उसकी रज़ा कि किसको क्या हासिल हो पाता है …कभी – कभी सब्र

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अरमान

1 सितम्बर 2020
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अरमान जो सो गए थे , वो फिर सेजाग उठे हैंजैसे अमावस की रात तो है , परतारे जगमगा उठे हैं…बहुत चाहा कि इनसे नज़रें फेर लूँपर उनका क्या करूँ,जो खुद- ब – खुद मेरे दामन में आ सजे हैं ….नामुमकिन तो नहीं पर अपनी किस्मत पेमुझे शुभा सा है,कही ऐसा तो नहीं , किसी और के ख़तमेरे पते पे आने लगे हैं …जी चाहता है फिर

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ताबीर

5 सितम्बर 2020
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शीर्षक :- ताबीरमहज़ ख़्वाब देखने से उसकी ताबीर नहीं होतीज़िन्दगी हादसों की मोहताज़ हुआ करती है ..बहुत कुछ दे कर, एक झटके में छीन लेती हैकभी कभी बड़ी बेरहम हुआ करती है …नहीं चलता है किसी का बस इस परये सिर्फ अपनी धुन में रहा करती है ..न इतराने देगी तुम्हें ये, अपनी शख्सियत

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बंदिशें

6 सितम्बर 2020
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"इस तन पर सजती दो आँखेंबोलो किस से ज्यादा प्रेम करोगे,काटना चाहो अपना एक हाथतो बोलो किस हाथ को चुनोगे "कुछ ऐसा ही होता है बेटी का जीवनसब कहते उसे पराया धनबचपन से ही सीखा दिए जाते हैंबंदिश में रहने के सारे फ़नएक कोख एक कुटुंब में जन्मेंफिर भी क्यों ये बेगानापन ?कुछ ऐसी थी उसकी कहानीजो थी महलों की रानी

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इंतज़ार

13 सितम्बर 2020
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लहरें होकर अपने सागर से आज़ादतेज़ दौड़ती हुई समुद्र तट को आती हैं ,नहीं देखती जब सागर को पीछे आतातो घबरा कर सागर को लौट जाती हैं ,कुछ ऐसा था मेरा प्यारखुद से ज्यादा था उसपे विश्वास,के मुझसे परे, जहाँ कही भी वो जायेगाफिर लौट कर मुझ तक ही आएगा ,इंतजार कैसा भी हो सिर्फसब्र और आस का दामन थामे ही कट पाता है

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बैरी चाँद

17 सितम्बर 2020
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मोरी अटरिया पे ठहरा ये “बैरी चाँद”देखो कैसे मोहे चिढायेदूर बैठा भी देख सके है मोरे पिया कोमोहे उनकी एक झलक भी न दिखाए .. कभी जो देखूं पूरा चाँद, याद आती है वो रातजब संग देख रहा था ये बैरी, हम दोनों को टकटकी लगाये … बिखरी थी चांदनी पुरे घर में, रति की किरण पड़ रही थी तन मन मेंऔर खोये थे हम दोनो, घर क

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“ज़िन्दगी का कायदा ” हिंदी कविता

6 अक्टूबर 2022
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zindagi-ka-kayda-hindi-kavita  कुछ भी मामूली सा न मिले और ज़िन्दगी मुहाल हो जाये, हो दिल में सवाल गहरे , पूँछ लूँ , तो बवाल हो जाये |  हर रोज़ बे – सिर – पैर  सी नज़र आती है ज़िन्दगी, पता चले

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