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गेट की घंटी बजते ही 18 साल की एक लड़की भागकर दरवाजा खोलने को हुई,,,
तभी पीछे से उसके मां ने आवाज दी ---- नीति...... रुको बेटा!!
हमारे किराएदार होगे,,आराम से जाओ।।
नीति :: जी मां।।
बो गेट के पास पहुंची और उसके अनलॉक किया,,
उसकी नजर सीधे सामने खड़े इंसान की नजरो से मिली,,।
नीति ने उन आंखो में देखा तो देखती ही रह गई क्योंकि बो पहली बार किसी ऐसी नजरो को निहार रही थी जिनमें एक गहराई,,सूनापन,,दर्द,,उलझन,,और हजारों सवाल थे,,,उसकी आंखो गहरी काली और नशीली थी,,नीति की नजर उसकी आंखो से नीचे आई,,सुरीली नाक,,और गुलाबी खूबसूरत होठ,, नाक और होठ के बीच फिल्ट्रम जो उसकी खूबसूरती को और बड़ा रहा है,,,उसके चेहरे को देख कर ही पता लग जाता है की बो इंसान मुस्कुराते हुए कितना अच्छा दिखता होगा पर उसके चेहरे पर उदासी और खामोशी का पहरा था।। अच्छा खासा कद था उसका,,,
कंधे पर बैग लटका था जिसे बो एक हाथ से पकड़े हुए था,,,व्हाइट टी शर्ट के ऊपर शर्ट,,ब्लू जींस,,और हाथ में घड़ी।।
बो ऊपर से नीचे तक एकदम परफेक्ट था,,नीति अब भी उसे देखे जा रही थी।।।
तभी उस इंसान के पीछे खड़ी लड़की ने उस इंसान को आवाज दी------ आशु ....... अंदर चल मेरी बहन......
बहन शब्द सुनते ही नीति का ध्यान टूटा,,,उसे यकीन नहीं हो रहा था की उसके सामने खड़ा इंसान लड़का नहीं लड़की है,,,क्योंकि उसका बॉय हेयर कट,,सलीके से बने हुए बाल,, और ऐसा कोई भी साइन ना दिखना जिससे एक नजर में कोई जाने की ये लड़की है,,उसकी ब्रेस्ट का उभार भी इतना नहीं था की कोई एक नजर में उसे आंक सके।।।
आशु::(उसकी आंखो के सामने हाथ हिलाते हुए) हैलो!!!!
नीति उसकी प्यारी आवाज में खो गई।।
आशु ने उसके कंधे पर हाथ रख हल्के से उसे साइड में किया।
आशु की छुअन से नीति को एक अलग सा अहसास हुआ।।
बो साइड हो गई।।
आशु अंदर आया,, नीति की मां भी हॉल में आ चुकी थी,
आशु:: नमस्ते आंटी!
आंटी::आशु?
आशु::(मुस्कुराते हुए) जी।।
मिहीका::(आशु की बड़ी बहन) नमस्ते आंटी!!
आंटी:: नमस्ते बेटा,,तुम मिहीका हो राइट?
मिहीका:: जी आंटी,,
आशु:: हमारे रूम्स??
आंटी:: आ....... ऊपर
मिहीका::(आशु को कोहनी मारते हुए) सब्र नहीं है क्या??
आंटी:: अरे कोई बात नहीं बेटा,,सफर करके आए होगे,थके होगे तुम दोनो,,चलो मैं रूम दिखा देती हु।।
मिहीका:: सॉरी आंटी बो,,ये जरा ऐसी ही है।।
आंटी:: अरे कितनी प्यारी बच्ची तो है,, वैसे देखने से लगती नहीं कि लड़की है,,ऐसा लगता है जैसे तुम्हारा भाई है।।
आशु कान में उंगली डाल कान साफ करने लगी,,जैसे इस बात को इग्नोर कर रही हो।।
मिहीका:: जी आंटी,,मेरे लिए तो यही मेरा भाई है,,हमेशा इसी ने भाई की जिम्मेदारी निभाई है,,सच कहु तो कभी भाई की कमी महसूस ही नही होने दी,,इसीलिए मैं हमेशा इसे भाई ही मानती हू।।
आंटी:: बस बेटा सब इस दिल का कमाल है,,रिश्ते इसी से निभाए जाते है,बाकी क्या भाई क्या बहन बस प्यार होना चाहिए।।
मिहीका:: जी।।
आशु:: आप लोग बाते करे मै जाता हु ऊपर।।
आंटी:: हा बेटा,,मेरी बेटी तुम्हे रूम्स दिखा देगी।।
आशु कुछ नहीं बोली,,आंटी ने इशारा किया तो नीति आशु के साथ ऊपर चली गई।।
आंटी:: ये लडको के जैसे ही बात करती है क्या?
मिहीका:: हा आंटी,,इसकी यही आदत है हमेशा से।।
आंटी:: बेटा बुरा मत मानना पर क्या ये हमेशा ही ऐसे रहेगी।।
मिहीका:: आंटी ये उसकी जिंदगी है,,इसमें आप या मैं दखलंदाजी करे ये ठीक नहीं ,,और बस मुझे मेरे प्यार और आशु पर पूरा भरोसा है कि बो कुछ गलत नहीं करेगी।
आंटी:: तुम बहनों का प्यार हमेशा ऐसा ही बना रहे,,बेटा जी मुझे एक बात समझ नहीं आई।
तुम दोनो एक ही रूम में भी तो रह सकते हो फिर दो रूम क्यू?
मिहीका:: आशु को अलग रूम में रहना ही पसंद है,,और उसकी खुशी के लिए कुछ भी।।
आंटी::अच्छा।।
बो दोनों बाते करती रही बहा आशु नीति के साथ ऊपर पहुंची।।
नीति:: ये रहे आपके रूम्स,,ये किचन है,और हा ये बगल बाला रूम मेरा है।।
आशु उस जगह को ध्यान से देखनी लगी,,काफी अच्छा मकान बना हुआ था,,जैसा नीचे था सेम वैसे ही ऊपर,,हा बस नीचे रूम ज्यादा थे।।
उन तीन रूम के अलावा एक छोटा सा स्टोर रूम बहा बना हुआ था,,और बाहर काफी जगह थी,, जहां बालकनी में बहुत से पौधे लगे हुए थे,,
बो इस जगह को देख ही रही थी की मिहीका भी बहा आ गई।।
मिहीका:: पसंद आया??
आशु:: हा,,एकदम घर बाली फीलिंग आ रही है।।
आपको कैसा लगा?
मिहीका:: मुझे भी बहुत अच्छा लगा।।
आशु:: हम्मम।
मिहिका::(नीति से) तुम्हारा नाम?
नीति:: जी नीति......
मिहिका:: बहुत प्यारा नाम है।।
नीति:: प्यारा तो आपका नाम है,,मुझे बहुत अच्छा लगा।।
मिहीका नीति को देख कर समझ गई की ये बहुत चुलबुले स्वभाव की है और इसके साथ उसे बहुत अच्छा लगेगा।।
नीति:: में आपकी कुछ हेल्प करू??
आशु:: जरूरत नहीं है।।
नीति:: ओके,,तो मैं चलती हु,,कोई भी जरूरत हो तो आवाज दे देना।।
इतना कह नीति चली गई।
मिहीका:: ये क्या है बेटा,, हर किसी से ऐसे रूडली बात क्यू करते हो??
आशु:: प्यार से बात करने से क्या होगा??
आप ये सब छोड़ो,,ये रूम जो बड़ा है बो आपका और ये बगल बाला मेरा,,
मिहीका:: और ये?
आशु:: उस लड़की का।।
मिहीका:: नीति नाम है उसका।।
आशु:: मैं भूल गया था,, आप ये सब छोडे, जल्दी से सब सामान सेट कर देते है।।
मिहिका:: हम्मम।।
उन दोनो ने सामान नीचे रखा,,नीति उनके लिए पानी लेकर आई,,
नीति:: ये लीजिए पानी,,और मां ने कहा है की ऊपर रह कर आपकी हेल्प करू।
मिहीका::(हस्ते हुए) ठीक है।।
बो रूम्स की सफाई कर सब सामान लगाने लगे।।
नीति जितना आशु के चेहरे को इग्नोर करना चाहती,,उसका चेहरा उसे उतना ही अपनी ओर खींचता।।
सामान रखते वक्त जैसे ही नीति का हाथ आशु से टच हुआ,,उसको फिर से अलग सा अहसास हुआ,,और उसके हाथ हटा लिया।
सब सामना सेट करते हुए काफी टाइम हो गया था,, आशु ने अपना रूम खुद तैयार किया।।
लगभग सारा काम हो गया था तो नीति नीचे चली गई,,आशु और मिहिका भी अपने अपने रूम में जाकर फ्रेश हो गई।।
शाम हो चुकी थी।।
दरवाजे की घंटी बजते ही नीति ने दरवाजा खोला,,सामने एक 24-25 साल का आदमी मुस्कुराते हुए खड़ा था,,जिसे देख नीति भी मुस्कुरा दी।
नीति:: महेश अंकल आप,, आइए ना।।
महेश अंदर आया।।
नीति:: आज इतने दिनों बाद कैसे आना हुआ आपका??
महेश:: सॉरी बेटा जी,,थोड़ा बिजी था इसलिए आपसे मिलने नहीं आ पाया।।
नीति:: हा हा बहाना तो होगा ही आपके पास।
बो हाथ बांध कर साइड में मुंह कर खड़ी हो गई।।
महेश:: अच्छा जी,,तो आप हमसे नाराज हैं।।
नीति कुछ नहीं बोली।।
महेश:: बात भी नहीं करोगी,,ठीक है तो मैं ये चॉकलेट खुद ही खा लेता हु।
चॉकलेट का नाम सुन नीति तत्काल पलट गई।।
नीति::चॉकलेट😍
महेश:: तुम तो नाराज थी।।
नीति:: हा तो आपसे नाराज हू चॉकलेट से नहीं।।
महेश:: अच्छा जी।।
नीति:: हा जी,,अब दो ना।।
महेश:: खुद ले लो,,
उसने चॉकलेट को ऊपर कर दिया और नीति उछल कर लेने की कोशिश करने लगी।।
तभी रीता जी(नीति की मां) बहा आ गई।।
रीता जी:: ये लो आते ही दोनो की शरारत शुरू हो गई।
महेश उन्हे देखने लगा इतने में नीति ने उसके हाथ से चॉकलेट छीन ली।।
नीति:: ये.......
मिल गई ना चॉकलेट।
महेश और रीता जी दोनो हसने लगे।।
रीता जी:: कैसे हो महेश?
महेश:: ठीक हू दीदी।।
नीति:: पर आपने बताया नहीं,,आने के पीछे कोई खास वजह?
महेश:: हा भाई,अपनी भांजिओ से भी मिलने आया हू।।
नीति:: एक मिनट,,,बो दोनों आपकी भांजियां है?
महेश:: हा।
क्यू तुम्हे पसंद नहीं आई क्या?
नीति:: ऐसा नहीं है,,बड़ी दीदी तो अच्छी हैं पर आपकी छोटी भांजी।।
रीता जी:: मैं चाय लेकर आती हू,तुम दोनो बाते करो।
बो चाय नाश्ता लेने चली गई।।
नीति::पता नही कितनी खड़ूस है बो,, हर बात का उल्टा जवाब सुन लो उनसे।।
महेश::(हस्ते हुए) बो ऐसी ही है,,तभी तो उन्हे यहां रखने के लिए तुम्हारे पापा को मनाया।।
नीति:: मतलब?? और बो पहले कहा रहते थे?
महेश:: पहले बो इसी शहर में रहते थे पर दूसरी जगह,,और आशु के गुस्से की वजह से हमे बो घर खाली करना पड़ा।
नीति::(ध्यान से सुनते हुए) क्या हुआ था।
महेश:: जिनके घर में बो रहते थे,,उन्ही के लड़के को मिहीका से प्यार हो गया और उसने सोचा की छोटी बहन को मना कर ही बड़ी को फसाया जा सकता है तो बो लव लैटर लेकर आशु के पास पहुंचा और बोला की ये तुम्हारी दीदी के लिए।
आशु ने उसे खोल कर पड़ा।।
नीति:: फिर??
महेश:: फिर क्या जवाब आशु ने ही उसे दे दिया।।
नीति:: मना कर दिया।।
महेश:: हा पर अपने तरीके से।।
नीति:: कैसे।।
महेश:: बगल में पड़ी ईट उठा कर उस लड़के के सर पर दे मारी।।
नीति:: बाप रे।।😳
महेश:: जब बो दर्द से कराह उठा तो उसके पैरेंट्स और मिहीका बहा पहुंची,,बो लड़का कुछ कहता उससे पहले ही आशु ने उसकी जन्मकुंडली खोल कर रख दी।।
नीति:: मतलब??
महेश:: मतलब,,बो नुक्कड़ पर बैठ कर सुट्टा लगाता है,,शराब पीता है,और लड़कियों को छेड़ता है,,सिर्फ इतना ही नहीं,,उसका पिछला अफेयर किस लड़की के साथ था,,उसके साथ उसने क्या किया और उसे छोड़ दिया उसका सारा काला चिट्ठा आशु ने सबके सामने खोल कर रख दिया।।
उस लड़के के साथ सबका मुंह खुला रह गया।।
उस लडके के बाप ने फिर उसकी बो सुताई की कि सारा भूत उतर गया उसका,,पर फिर हमे बो मकान खाली करना पड़ा।।
जब मिहीका ने उससे पूछा की तुम्हे कैसे पता उस लड़के के बारे में इतना सब कुछ,,तो बोली कि मुझे सब पता रहता है,,और जब से उसने तुम्हे ताड़ना शुरू किया था उसी दिन से उसके बारे में सारी इनफॉरमेशन निकाली और जिस लड़की के साथ उसका अफेयर चल रहा था बो मेरी दोस्त की बहन थी,,
मिहीका तो सर पर हाथ रखे रह गई और साथ में मैं भी।।
नीति हसने लगी।।
महेश:: इतना ही नहीं,,पिछली साल एक टीचर का भी सर फोड़ा था उसने जो लड़कियों के साथ फ्लर्ट कर रहा था,,बहुत ही मुश्किल से मैंने सब हैंडल किया था,,पर हमे उसे इस साल उस स्कूल से भी निकालना पड़ा और दूसरे मे डाला,,उसका इस स्कूल में एडमिशन भी बहुत मुश्किल में हुआ क्योंकि ये उसकी 12 क्लास है।।
नीति:: अच्छा,,किस स्कूल में हैं बो?
महेश:: तुम्हारे स्कूल में!
नीति:: मतलब मेरी ही क्लास में।।
महेश:: हा।।
उसे समझाया है मैंने की अपने गुस्से को थोड़ा काबू रखे।।
नीति:: क्या बो बचपन से ही ऐसी हैं??
महेश:: नहीं।।मेरा मतलब गुस्सा तो उसका बचपन से ही खराब है इसलिए उसे कराटे की ट्रेनिंग दिलाई है मैने,,पर पिछले कुछ महीनों से उसका बर्ताव एकदम बदला सा है।।
नीति:: मतलब??
महेश:: सब मुझसे ही जान लोगी क्या?? कुछ क्वेश्चंस मिहीका के लिए भी छोड़ दो।
नीति:: हा हा बिल्कुल।।
इतने में रीता जी चाय बना कर ले आई और नीति से उन दोनो को बुला कर लाने को भी बोला।।
नीति ऊपर गई तो बो दोनों अपने अपने रूम में थी,,नीति आशु के कमरे के गेट को खोलने के लिए बड़ी की मिहीका ने उसका हाथ पकड़ लिया।।
मिहीका:: उसके रूम में मत जाओ,,बिना नोक किए तो बिल्कुल मत जाना कभी।।
नीति:: पर क्यू?
मिहीका;: उसे नहीं पसंद की कोई उसके रूम में जाए,,उसकी इजाजत के बगैर तो बिल्कुल नहीं।।
नीति:: इतने अजीब इंसान भी होते हैं इस दुनिया में,,मुझे तो पता ही नहीं था।।
मिहीका हसने लगी।
नीति:: खैर आप दोनो के मामाजी आए है नीचे,,आपको बुलाया है।
मिहिका:: मैं आती हू उसे लेकर।।
मिहीका ने आशु को आवाज दी और दोनो नीचे आई।।
रीता जी:: आओ बेटा,,ये लो चाय पियो।।
मिहीका:: आंटी इसकी क्या जरूरत थी,हम बना लेते।।
रीता जी;; बिलकुल नहीं,,तुम दोनो आज बहुत थकी हुई हो,,खाना भी यही खाओगी।।
मिहिका:: पर...
रीता जी:: अगर मुझे अपना मानती हो तो मना नही करोगी।।
मिहीका आगे कुछ नही बोली।।
आशु जाकर सोफे पर बैठ गई।
आशु:: मामू आप कब आए??
महेश:: बस अभी थोड़ी देर पहले।।
मिहिका:: आप सुबह से क्यू नहीं आए?
महेश:: बो बेटा मैं शहर से बाहर था।।
आशु:: हा हा,,शहर के बड़े वकील जो हो,,बहुत बिजी रहते हैं ना।।
महेश हंसने लगा।।
आशु बदले में सिर्फ जरा सा मुस्कुरा दी।।
नीति::(मन में) हस भी ऐसे रहे जैसे अहसान कर रहे हो।। खड़ूस।।
बो सब चाय पीने लगे और बाते करने लगे,,
जहां आशु सबसे कम बोल रही थी वहीं नीति सबसे ज्यादा।।
मिहीका:: मामाजी आपने बताया नहीं अभी तक की आपने हमे इसी जगह रहने को क्यू कहा।
महेश:: मल्होत्रा साहब बहुत अच्छे इंसान है,,जब मेरी उनसे मुलाकात हुई तो उन्हे मेरा काम बहुत पसंद आया और फिर धीरे धीरे हमारी दोस्ती हुई,,बो मुझसे बड़े वकील हैं,,धीरे धीरे मेरा उनके घर आना जाना हुआ और नीति और रीता दीदी से मेरी अच्छी बनने लगी,,जब मैंने मल्होत्रा साहब से तुम्हारे बारे में बात की तो उन्होके तुम्हे यहां रहने के लिए कहा हालाकि बो किरायदार नहीं रखते पर मेरे मुंह से अक्सर तुम लोगो की बाते सुनते रहते थे बो तो तुम्हारे रहने के लिए मान गए।।
आशु:: अच्छा,,अभी कहा हैं बो?
महेश:; अभी बो घर नहीं आते काफी रात को आते है और सुबह सुबह निकल जाते है,,पर उनका स्वभाव थोड़ा कड़क है तो तुम उनसे अच्छे से पेश आना।।
आशु:: मेरी बोली क्या गोली है जो आप हर टाइम ऐसे कहते रहते हैं।।
मिहीका:: उससे कम भी नहीं है,,
आशु;; दी आप भी।।
महेश:: अरे मेरे सहजादे!!! नाराज क्यू होते हो।।
आशु;; मैं नाराज नहीं होता।।
महेश:: अच्छा।।
देखो जरा मेरे बच्चे को।
बो प्यार से उसके गाल खिलाने लगे।।
उसके लिय महेश का इतना प्यार देख नीति को बहुत अच्छा लगा।।
सब बाते करने लगे।।
रात का खाना महेश ने भी सबके साथ खाया और दोनो को कोई भी प्रॉब्लम होने पर उसे कॉल करने की कह फिर बो अपने घर चला गया।।
मिहीका आंटी के साथ बाते करने लगी और आशु अपने रूम में चली गई।।
थोड़े टाइम में मिहिका और नीति भी अपने अपने रूम में चली गई।
नींद नीति की आंखो से कोसो दूर थी,,
नीति के कानो में हल्की सी गिटार की धुन पड़ी जो बगल वाले मतलब आशु के रूम से आ रही थी,,हालाकि रूम से कोई आवाज ज्यादा बाहर नहीं आती पर बगल में रूम होने की वजह से नीति उस धुन को सुन पा रही थी।।
बो धुन बहुत मधुर थी,,जो नीति के कानो में घुल उसे सुकून दे रही थी।।
नीति ने जैसे ही आंखे बंद की तो आशु का बही उदास सा चेहरा जो उसने पहली नजर में देखा था,उसकी आंखो के सामने आ गया,,उसने झटके से आंखें खोल ली।।
नीति:: ये क्या हो रहा है। क्यू आशु का चेहरा बार बार मेरी आंखो में आ रहा है।।
बो अजीब सी कश्मकश में डूबी सो गई।।।।।
जारी।।।।।।।।
डियर रीडर्स।।।
ये पहला भाग कैसा लगा आप लोगो को, कमेंट कर जरूर बताएं।।
Radhe Radhe ❤️