"इबादत–ए–इश्क",,, पाया जो तुम्हें मन्नतों में!
0.0(1)
मोहब्बत की अजीब कशमकश में उभरती मन की भाव-भंगिमाओं में गढ़ी गई इक अनुपम रचना,वा है दोस्त कमाल कर दिया। शब्दों में तार्किकता का समावेश देखते ही बनता हैं। अद्भुत.....
22 फ़ॉलोअर्स
26 किताबें
आओ पैगाम ए इश्क करते हैं.....✍आज कुछ ऐसा...हम पैगाम–ए–इश्क लिखते हैं ,जुड़ जाए जो दो दिल–ए–धड़कन..हम उनकी ऐसी इश्क–ए–दास्तां लिखते हैं ,हर दिल की ये चाहत हो ,काश किसी से इबादत–ए–इश्क हो ,पूरी उसकी ये