ये किताब कुछ प्रेम कविताओं का संग्रह है।
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थोड़ा थोड़ा तो समझो बातों को मेरी, इश्क है या नहीं बता दो तुम भी। जाने क्यू ख्वाब देखे हर नज़र, जिसमे बने मैं और तुम हमसफर। इश्क की बाजी में हम डूबे या तरे, तुम ही बता दो कुछ हम क्या करे। थोड़ा
तुझसे हूं जुड़ा, मैं जुड़ा, तेरे ही लिए मैं बना, फिर तुझसे क्यों रहूं मैं खफा, तू ही बता। तेरे ही संग मैं चला, तेरे ही रंग में रंगा, फिर तुझसे क्यों रहूं मैं खफा, तू ही बता। तेरी सांसों से मैं ज
दूरियों ने बड़ाया है, हमारा प्यार, करे हम कबसे आपका इंतजार। दूरियां खत्म होकर, नजदीकिया बन गई। हमे पता भी ना चला कब हम, आपके दिल की धड़कन बन गई। दूर दूर से पास हो गए, आप हमारे लिए बहुत खास हो ग
थोड़ा गुस्सा, थोड़ा दर्द, थोड़ी तकरार। तुम ये बता दो क्या तुम्हें, हम से है प्यार। इश्क मेरा सीधा साधा, तुम चालबाज। इश्क की नगरी में तुमने, मचाया है धमाल। दिल में तुम्हारे मैं हूं, या है कोई और।
तेरे प्यार में मैने, बिताया एक साल। तू फिर भी ना आया, तुझे देखना हुआ मुहाल। झूठे वादे करके भागा, तुझपे ना होगा अब एतबार। इश्क को तूने किया, गली गली बेज़ार।
खामोशी मेरी सुनो, तो तुम्हें मानू। आंखें मेरी पढ़ो, तो तुम्हें मानू। अपनी बातें तो इशारों से कह देते हो, मेरे इशारे समझो, तो तुम्हें मानू। इश्क इश्क क्या कहने से होता है, मेरे इश्क को जानो, तो तु
उसके हाथ की, कठपुतली बन के रह गई। मेरी दुनिया उजड़ गई, ओर मैं बस देखती रह गई। उसका साथ पाने के लिए, हर एक से लड़ी थी। उसने आसानी से कह दिया, मैं तो बस उसके लिए, दौलत पाने की एक कड़ी थी।
थोड़ा थोड़ा सुरूर था, दिल मजबूर था। यादें तेरी आई, मेरा क्या कसूर था। तुम हमारे हो, इस बात पे हमे गुरुर था। इश्क की वादी में, छाया एक नूर था। पर हम ये ना जानते थे, दिल तुम्हारा मगरूर था।
वो भी मेरी याद में, कभी आंसू बहाए। वो भी मेरी याद में, कभी गुनगुनाए। प्रेम का धागा, इतना कमजोर तो नहीं। कि उसने कहा भूल जाने को, और हम भूल जाएं।
दुआ करेंगे कि हम मिले, हर एक मोड़ पे तुझे। जहां भी जाए, तू हमें ही पाए। खुशियां बिखेर देंगे, तेरे कदमों में इतनी। कि तू हर दुआ में, हमे ही चाहे।