जब लगे कि अस्त हो तुम,
जब लगे कि पस्त हो तुम,
थकी सी हों मांसल भुजाएँ,
शून्यवत धमनी शिरायें।
जब लगे कि गिर पड़े हो,
बीच डग में लड़खड़ाए मात खाये,
जब लगे कि शून्य हो तुम,
फ़ैक्टोरियल की खोज करना,
और फिर एकांक बनकर निकल पड़ना,
क्षितिज से आगे कहीं,
असंभव का संधान करने,
उस अस्त का अवसान करने।