वसंत की याद✒️ अक्षुण्ण यौवन की सरिता में,पानी का बढ़ आनाकमल-कमलिनी रास रचायें,खग का गाना गाना;याद किया जब बैठ शैल पर,तालाबों के तीरेमौसम ने ली हिचकी उठकर,नंदनवन में धीरे।नाद लगाई पैंजनियों ने,चिट्ठी की जस पातीझनक-झनक से रति शरमायी,तितली गाना गाती;जगमग-जगमग दमक उठा जब,रवि किंशुक कुसुमों सामानस, आभामं