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बेकसूर

22 अक्टूबर 2021

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कैसे सजा देगा ऐ काजी मुझको 
  उनसे मेरे इश्क के इजहार का, 
उनके दीदार के बाद भी तू अगर 
        खुद पर काबू कर ले, 
        तो मैं भी गुनहगार हूँ।
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रचनाएँ
मेरी डायरी
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मेरे आस-पास होने वाली घटनाओं और मेरे दिल की बातें ही मेरी डायरी है।
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आगाज़

11 सितम्बर 2021
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<div>डायरी के रथ पर सवार होकर हाथों में कलम की कमान साधे दिल के विचारों और ख्यालातों के तीरों का संध

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बेकरारी मेरी

4 अक्टूबर 2021
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कभी अदायें, कभी जफायें, कभी सुरूर, कभी गुरूर,<div>कभी इकरार, कभी इनकार, कभी बेरुखी, कभी प्यार,</div>

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लम्हा-लम्हा

4 अक्टूबर 2021
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अपने बेजान जज़्बातों में तेरा अहसास खोजते हैं,<div>हम तेरे साथ गुजारा वक्त लम्हा लम्हा समेटते हैं।</

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रिश्ते

17 अक्टूबर 2021
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चेन खींचकर उतरोगे तो बेजान रिश्तों के जंगल में खुद को अकेला पाओगे,<div>जिंदगी को चलने दोगे पटरी पर त

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ईद मिलाद-उन-नबी की मुबारकबाद

19 अक्टूबर 2021
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<div><img style="background: gray;" src="https://shabd.s3.us-east-2.amazonaws.com/articles/61334662c

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बेकसूर

22 अक्टूबर 2021
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<b>कैसे सजा देगा ऐ काजी मुझको </b><div><b> उनसे मेरे इश्क के इजहार का, </b></div><di

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रुके रहेंगे तेरे लिए

23 अक्टूबर 2021
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तुझसे मिलने की आस में <div>तेरे दीदार की प्यास में </div><div>अपने प्यार के अहसास में&nbs

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तुम ही तो हो

24 अक्टूबर 2021
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<b>सम्हाला था जीवन की ठोकरो पर कभी तुमने हमें,</b><div><b>वो मेरा विश्वास था या तुम्हारा एहसान था ।<

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मैंने कब कहा

25 अक्टूबर 2021
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<b>मैंने कब कहा तुमसे :</b><div><b>कि तुम मुझे याद करो लेकिन </b></div><div><b>ये भी तो नहीं कह

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मेरा घर कहीं गुम हो गया

20 नवम्बर 2021
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कल तक तो मेरे अपनों से रोशन था, <div>मेरा अपना था, मेरा ग़ुरूर था,</div><div>मेरे सपनों का गुलद

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साड़ी सिर्फ परिधान नहीं

20 नवम्बर 2021
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साड़ी सिर्फ एक परिधान नहीं बल्कि इसमें एक संपूर्ण स्त्री का व्यक्तित्व है। <div><span style="fo

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मुहब्बत की तपिश

3 जनवरी 2022
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तुम्हारे गर्म हाथों जैसे अल्फाज़,सहलाते हैं जब भी मेरेसर्द गालों जैसे अहसासों को,तब तब महसूस होता है मुझेतेरी मुहब्बत की तपिश का।

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आज मकर संक्रांति का पंचांग राशिफल सहित

14 जनवरी 2022
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🙏🏻🙏🏻 🌞 ~ *आज का हिन्दू पंचांग* ~ 🌞 ⛅ *दिनांक - 14 जनवरी 2022* ⛅ *दिन - शुक्रवार* ⛅ *विक्रम संवत - 2078* ⛅ *शक संवत -1943* ⛅ *अयन - उत्तरायण* ⛅ *ऋतु - शिशिर* ⛅ *मास - पौस* ⛅ *पक्ष -

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जज़्बात

23 जनवरी 2022
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📒भूलकर तेरी बेवफाई हम आज भी, तुझसे उम्मीद-ऐ-वफा करते हैं ।📒हमसे पहचानने में भूल हुईतुम्हारी बेबसी को और हम समझते रहे उसे बेरुखी तुम्हारी। हमसे पहचानने में भूल हुईतुम्हारे इकरार

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