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वो एक खूबसूरत सा शैतानी शीशा
था,जिसके भी पास होता उसे कोई ना कोई नुकसान जरूर पहुँचाता था और जो उसको भा
जाता वो शीशा तो बस उसी का हो जाता था।अक्सर लोग सजने-सँवरने के किए शीशे के आगे आते
है लेकिन अगर शीशे को आप पसन्द आ जाएं तो क्या होगा?
ये कहानी है नीरज और पीहू
की,जिनकी अभी नई-नई शादी हुई थी।शादी के तुरंत बाद ही दोनों झारखंड के एक छोटे से गाँव
से नागपुर में आकर बस गए थे क्योंकि नीरज कई सालों से नागपुर की एक फैक्ट्री में मैनेजर
की पोस्ट पर था।कमाई भी अच्छी थी तो लिहाजा वो शादी के तुरंत बाद ही पीहू को लेकर मुम्बई
आ गया।दोनों को फैक्ट्री की तरफ से एक आलीशान फ्लैट भी मिल गया जिसमें सुख-सुविधा का
हर एक साधन था।पीहू की तो खुशी का कोई ठिकाना ही नही रहा क्योंकि ऐसा फ्लैट उसने अपने
जीवन में पहली बार जो देखा था।एक छोटे से गाँव से आई हुई पीहू के लिए ये सब एक सपने
के जैसा था!दो बड़े-२ बैडरूम,एक हॉल,एक बड़ा सा ड्राइंग रूम ,हर सुविधा से भरी किचन सब
तो था वहाँ।अब पीहू ने दोनों बैडरूम देखे जिसमे से एक उसे ज्यादा आकर्षित लगा।हल्के
गुलाबी रँग की दीवारें,खूबसूरत गोल बेड और ठीक उसके सामने ही एक बहुत ही बड़ा
गोल आकार का बहुत अलग और प्यारा सा शीशा।पीहू को वो कमरा बहुत आकर्षित लगा और खासतौर
पर वो गोल शीशा!उसने बस वही कमरा अपना और नीरज का बैडरूम के रूप में सिलेक्ट किया और
अपना सारा सामान वहीं अलमारी में लगा दिया।अपने मेकअप का भी सारा सामान उसने उसी खूबसूरत
शीशे के आगे लगा दिया।
पीहू और नीरज बहुत खुश थे
जैसे दोनो जन्नत में आ गए हो।पहले दिन नीरज ने घर मे आराम ही करना बेहतर समझा ये सोचकर
कि आजका दिन पीहू के साथ रहेगा और कल से अपनी नौकरी पर चला जाएगा!सारा दिन भी दोनों
का बहुत अच्छा बीता।
अब रात का समय था,पीहू रसोई
में खाना बना रही थी और नीरज अपने फ़ोन में लूडो खेलने में व्यस्त था कि तभी नीरज
ने पीहू को आवाज दी “पीहू एक गिलास पानी देना”।
तभी थोड़ी ही देर में पीहू
पानी लेकर आई और फ़ोन में खोए हुए नीरज के आगे कर दिया।नीरज ने भी बिना देखे पानी लिया
और पी लिया और फिर गिलास वापिस उसी ट्रे में रख दिया।वो भी वापिस लेकर चली गई।
उसके कुछ ही देर बाद दुबारा
से पीहू पानी लेकर आई और पहले की तरह ही पानी की ट्रे नीरज के आगे कर दी।नीरज
बोला “पीहू मुझे ओर नही चाहिए पानी”।
अरे अभी आप ने ही तो माँगा
था,अब कह रहे हो नही चाहिए।पीहू नीरज को टोकती है।
माँगा था पीहू,लेकिन दो बार
नही,जब एक बार पिला चुकी हो तो दुबारा क्यों लाई हो?नीरज गुस्से में कहता है।
मैं कब लाई पहले?यूँ ही मुझे
परेशान किये जा रहे हैं।ये कहकर पीहू उस कमरे से बाहर चली गई।
नीरज भी खुद से ही बात करते
हुए कहता है ,”हे भगवान पता नही ये लड़की कितनी भुलक्कड़ है”।
इस तरह दोनों अपने-अपने काम
मे व्यस्त हो जाते हैं लेकिन कोई है जो लगातार उन्हें देख रहा है।वो आज नीरज को पानी
पिलाकर खुद में ही झूम रहा है,उसे लगता है कि नीरज उसका है।नीरज उसके दिल मे बस चुका
है।
आधी रात का समय है,पीहू और
नीरज सो चुके हैं।अब उस शीशे में से बाहर निकली है।क्या ख़ूबसूरती है उसकी सिर से पाँव
तक।बाहर निकलकर वो हॉल में गई और उसने डांस करना शुरू कर दिया।अपने आप ही होम थिएटर
पर क्लासिकल म्यूज़िक चलने लगा।पूरे घर मे संगीत की आवाज घूमने लगी।
अचानक से पीहू की नींद खुलती
है और वो महसूस करती है जैसे घर मे संगीत बज रहा है और कोई नृत्य कर रहा है।वो घबरा
जाती है।नीरज ,नीरज उठो।पीहू नीरज को उठाती है लेकिन वो इतनी गहरी नींद सोया हुआ है
कि उठता ही नही है।अब पीहू हिम्मत करके अकेले ही बाहर हॉल में आती है लेकिन ये क्या
सब शांत!ऐसा कैसे हो सकता है?जो आवाज अभी सारे घर में गूंज रही थी वो अचानक से बंद
कैसे हो गई?इसी बात को सोचते हुए वो वापिस अपने कमरे में चली जाती है।फिर अपना वहम
समझ कर वो सो जाती है।
अगले दिन सुबह ही पीहू नहाकर
तैयार होने उसी शीशे के आगे बैठ जाती है लेकिन नीरज अभी सो रहा है।सुबह के 6बजे है।एक-एक
करके वो सारे श्रृंगार कर रही है और करे भी क्यों ना?अभी 2हफ्ते पहले ही तो शादी हुई
है उसकी नीरज से।छोटी सी बिंदी,हल्के गुलाबी रँग की लिपस्टिक,आँखों मे गहरा काजल और
हाथों में साड़ी में मैचिंग हरे रँग की चुड़ियाँ पहन कर वो गजब की सुंदर दिख रही थी।लेकिन
पीहू जैसे ही सिंदूर लेकर लगाने लगती है कि तभी सारा सिंदूर उछल कर अपने-आप उस शीशे
पर गिर जाता है।शीशे के अंदर बैठी वो कहती है लो मैंने अपनी माँग भर ली।मै हूँ अपने
नीरज की असली दुल्हन छाया।(काल्पनिक कहानी)