रोमांटिक पोएट्री दिल के कुछ जज्बात
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मैं फिक्र करूँ तेरी ये मेरा हक है तू मेरी परवाह भी ना करे ये तेरा हक है! मैं करूँ इंतेजार तेरा बस आठों पहर चाहे हो दिन या हो रातों का कहर मैं करूँ जिक्र तेरा मेरी हर बात में तू मेरी बात ही ना करे ये त
हमारी अधूरी प्रेम कहानी भी कितनी अजीब थीनही देखा कभी उसे लेकिन उसके करीब थीनही छुआ उसे कभी अपने हाथों से एक बार भीफिर भी उसके बदन की खुशबू साँसों में मेरी थी।न मिली कभी आँखें मेरी उसकी आँखों सेन मिले