सारा सिंदूर शीशे पर गिरने
से पीहू के मन मे डर बैठ जाता है।वो सोच में पड़ जाती है कि सिंदूर का गिरना शुभ नही
होता,बस भगवान नीरज को सही-सलामत रखे।अब वो सारा सिंदूर दुबारा से इकट्ठा करके शीशी
में डाल देती है और थोड़ा सा लगाकर बाकी रख देती है।
अब सुबह नीरज भी तैयार होकर
ऑफिस चला जाता है और पीहू भी अपने घर के कामों में व्यस्त हो जाती है।सारा दिन वो घर
के कामों में व्यस्त रहती है और छाया भी उसे शीशे से देखती रहती है।कई बार छाया उस
शीशे से बाहर निकल कर पूरे घर मे घूमती है।पीहू को भी कई बार ऐसा महसूस होता है जैसे
कोई उसके पास से निकल कर गया हो!लेकिन फिर अपने मन का वहम समझ कर पीहू अपने घर के कामों
में व्यस्त हो जाती है।
शाम को नीरज के आने का समय
हो रहा है तो पीहू के चेहरे पे अलग ही चमक आ जाती है।गर्मियों के मौसम है तो इसीलिए
शाम को नहाकर वो हल्के नीले रँग की साड़ी पहन लेती है।फिर अपने फ़ोन पर यूट्यूब पर गाना
लगा लेती है।
सजना है मुझे सजना के लिए
जरा उलझी लटें सवार लूँ
साथ ही गाना खुद भी गुनगुनाने
लगती है और अपना मेकअप करने लगती है।तभी उसे महसूस होता है कि जैसे उसके साथ कोई ओर
औरत भी यही गाना गुनगुना रही हो!वो फिर गाते-गाते रुक जाती है तो उसे अभी भी कोई गाना
गाता हुआ महसूस हो रहा है।पीहू हद से ज्यादा घबरा जाती है और उठ कर फ़ोन में वो गाना
बन्द कर देती है।
अब वो चारो ओर देखती है लेकिन
उसे कोई दिखाई नही देता और वो गुनगुनाने की आवाज भी आना बंद हो जाती है।पीहू अब फ़ोन
बेड पर रखकर दुबारा से अपने आप को सवारने लगती है कि अचानक से उसके फ़ोन में वही गाना
फिर बजने लगता है।अब पीहू ओर भी ज्यादा डर जाती है और बाहर हॉल में चली जाती है।अब
उसे दरवाजे की घँटी की आवाज आती है।वो डर की वजह से दरवाजा भी नही खोलती है लेकिन जब
कई बार घँटी बजती है तो वो काँपते हाथों से दरवाजा खोल देती है।
सामने देखती है तो नीरज खड़ा
है,वो उसे देखते ही उससे लिपट जाती है।नीरज उसे घर के अंदर ले आता है और सोफे
पर बिठाता है।
अब पीहू उसे सारी बात बताती
है तो वो हँसने लगता है!नीरज कहता है अरे पगली वो गुनगुनाने की आवाज फ़ोन में से ही
आ ही होगी,तभी तो फ़ोन बन्द होते ही वो गुनगुनाने की आवाज खुद-ब-खुद बन्द हो गई।
अगर ऐसा था तो वही गाना फिर
से फ़ोन पर अपने आप कैसे बजने लगा?पीहू नीरज से पूछती है।
अरे पीहू कई बार फ़ोन में ऐसे
फंक्शन पर हाथ लग जाता है ,जिससे गाने ऑटोमैटिकली ही बार-बार बजने लगते हैं।अब डरो
मत और जाकर मेरे और अपने लिए बढिया सी चाय बनालो।
पीहू को भी अब तसल्ली होती
है और वो जैसे ही उठ कर चाय बनाने जाने लगती है कि तभी नीरज उसका हाथ पकड़ कर कहता है
कि पीहू इस नीली साड़ी में बिल्कुल अप्सरा लग रही हो।
पीहू भी शर्माकर चली जाती
है।
नीरज अब उठ कर अपने कमरे में
जाता है तो देखता है कि उसकी टीशर्ट और लोअर वहीं बेड पर निकला हुआ पड़ा है।नीरज बहुत
खुश होता है और फ्रेश होकर कपड़े बदल लेता है।
अब नीरज बाहर हॉल में आता
है और डाइनिंगटेबल पर बैठ जाता है।पीहू दोनो के लिए चाय और बिस्कुट लेकर आती है।अब
वो नीरज को कहती है अरे आज आपने खुद ही कपड़े निकाल कर पहन लिए?
नीरज कहता है क्यों मजाक कर
रही हो?कपड़े तो तुम खुद ही बेड पर निकाल कर रख कर आई थी।
पीहू का ये बात सुनते ही दिमाग
परेशान हो जाता है लेकिन वो ये सोच कर खामोश ही रहती है कि नीरज उसकी बात का भरोसा
तो करेगा नही।
इस तरह से हर रोज ही कई हादसे
पीहू के साथ होते रहते हैं लेकिन वो चाह कर भी किसीसे कुछ नही कह पाती है।
अब धीरे-धीरे वो महसूस करती
है कि उसका मेकअप का सामान जो शीशे के आगे रखा है वो जल्दी खत्म हो रहा है।उसे कुछ
समझ नही आ रहा कि ये घर मे क्या हो रहा है।अब वो फैसला करती है कि वो आस-पड़ोस में भी
थोड़ा आना-जाना शुरू करेगी,जिससे शायद उसे इस घर के बारे में कुछ पता चल पाए।
क्या पीहू जान पाएगी छाया
का राज,जानने के लिए पढ़ते रहें हर रोज-खूबसूरत शैतानी शीशा