भाग-4
पीहू नीरज से कहती है “क्यों
आज आपने ऑफिस नही जाना क्या”?
तुम भूल रही हो कि आज मेरा
जन्मदिन है और आज की मैंने छुट्टी ली हुई है।अब चलो जल्दी से तैयार हो जाओ कहीं घूमने
चलते हैं।
पीहू भी घूमने की बात सुनकर
बहुत खुश होती है क्योंकि वो अभी शहर में नई है और उसने शहर भी पहली ही बार देखा है।
थोड़ी ही देर में पीहू तैयार
होकर आती है और नीरज उसे देखता ही रह जाता है।
पहली बार पीहू ने साड़ी की
जगह नीली जीन्स और गुलाबी रँग की कुर्ती पहन रखी है।नीरज उससे पूछता है तुम ये सब कब
खरीद कर लाई?
पीहू बताती है जब केक लेने
गई थी तो उसी के सामने वाली दुकान से ले आई।आपको किसी लगी?
बहुत सुंदर लग रही हो इसमे।मेरे
साथ चलकर कुछ ओर जीन्स खरीद लेना।नीरज उसे कहता है।
इस बात को सुनकर पीहू बहुत
खुश होती है और उसके गले लग जाती है।नीरज उसे गले लगाकर बहुत देर तक किसी सोच में खड़ा
रहता है।पीहू उससे पूछती है क्या सोच रहे हो?
नीरज कहता है कि पता नही ऐसा
क्यों है कि जो अपनापन तुम्हे गले लगाकर अब महसूस हो रहा है वो रात को नही हुआ!रात
तुम थी,लेकिन फिर भी मुझे महसूस क्यों नही हुई?
पीहू को भी ये सही मौका लगा
नीरज को सच्चाई बताने का।वो जैसे ही कुछ बताने लगती है कि तभी नीरज को किसी का फ़ोन
आ जाता है और वो बात करता हुआ बाहर चला जाता है।इस तरह पीहू चाह कर भी कुछ नही बता
पाती है।
दोनो एक साथ सारा दिन घूमते
हैं और रात के दस बजे तक ही वापिस आते हैं।आज पीहू भी बहुत खुश रही क्योंकि पहली बार
इतना समय उसने नीरज के साथ बिताया था।दोनो ने ढेर सारी शॉपिंग भी की है।घर आकर पीहू
कपड़े बदलती है और बाल ठीक करने शीशे के आगे बैठती है।तो फिर से उसे छाया की आवाज आती
है।नीरज बाथरूम में है लेकिन पीहू बिना डरे उससे पूछती है कौन हो तुम?मुझसे क्या चाहती
हो?
मैं छाया हूँ,मैं चाहती हूँ
कि तुम मेरी जिंदगी जिओ और मैं तुम्हारी।उस शीशे में से आवाज आती है।
“लेकिन ये कैसे हो सकता है
और वैसे भी मैं तुम्हारी जिंदगी क्यों जियूँ”?पीहू उससे पूछती है।
“क्योंकि मैं चाहती हूँ कि
नीरज सिर्फ मेरे रहें”।छाया फिर से बोलती हैं।
तभी छाया फिर से पीहू के शरीर
मे प्रवेश कर जाती है और उसकी आत्मा को शीशे में कैद कर देती है।
अब ये हर रात का सिलसिला हो
गया था,पीहू को सुबह उठ कर कुछ याद नही रहता था।पूरी रात नीरज के साथ पीहू नही छाया
रहने लगी।
धीरे -धीरे पीहू का शरीर कमजोर
होने लगा,रँग भी उसका पीला पड़ गया और आँखों के नीचे काले घेरे हो गए।इस बात को अब नीरज
ने भी महसूस किया कि दिन और रात में पीहू के स्वभाव में जमीन-आसमान का अंतर रहता है।उसने
कई बार पीहू से जानना चाहा लेकिन वो कुछ नही बता पाई थी।अब वो धीरे-धीरे छाया के वश
में आ चुकी थी।
एक दी पीहू अचानक से बेहोश
हो जाती है,उस समय तक नीरज भी आफिस नही गया था।वो डॉक्टर को फ़ोन करके घर बुलाता है!डॉक्टर
उसका पूरी तरह से चेकअप करता है और कहता है मुबारक हो आप पापा बनने वाले हैं।
नीरज की तो खुशी का ठिकाना
ही नही रहता लेकिन पीहू के चेहरे पर सिर्फ उदासी ही नजर आती है।