EVERYTHING IS OVER.....
क्या से क्या हो गया।
एक धराशायी मकान के मलबे में दबे कुछ लोग।
उनमे से एक लड़का जिसका नाम राजू है , जो कहानी का नायक है। राजू के पास उसी के दो हम शक्ल बैठे है , जिनको कुछ नही हुआ। उनमे से एक के मुँह पे टेप चिपकी हुई है ।
राजू अपनी नम आँखो से सभी को देखता है और आसमान की ओर देख कर गिड़गिड़ाते हुए कहता है।
राजू: भगवान क्या कसूर था मेरा, जो तूने मेरे साथ ये किया??
अगर अच्छा नहीं कर सकता था ,तो कम से कम बुरा तो ना करता??
अचानक तेज रोशनी होती है और एक आवाज उसी रोशनी से आती है।
मुर्ख मानव तूझे भगवान को दोष देने के सिवाय आता ही क्या है । जो करता है अपनी मर्जी से, और जब कर्मो का फल भुगतने की बारी आती है तो, भगवान पर उँगली उठाता है। एक बार अपने कर्मो को याद कर फिर बता भगवान ने तेरे साथ क्या बुरा किया ?? जो हुआ सब तेरे ही कर्मो का फल है।
15साल पहले।
राजू के पिता प्रताप और चाचा अखिलेश किसान परिवार से थे । गांव से शहर आने से पहले अपनी आधी पुस्तैनी जमीन बेच दी । जो पैसा मिला उससे शहर में दोनों ने एक एक दुकान ले ली। धीरे धीरे पैसा जमा करके अपना मकान भी ले लिया जिसकी किश्ते 10 साल तक भरते रहे।
मतलब जो भी बचता वो मकान की किस्तो में चला जाता। आज उनके पास खुद का घर है , दुकान है और घर में सब खुश है।
सोनम राजू विवेक प्रियंका 4 भाई बहन है।
राजू की बहन सोनम कहती है: राजू भैया.............चलो खेलने चले.....
राजू बहन की आवाज सुनकर उसके पास आता है
राजू :क्या है सोनम। क्यों चिल्ला रही हो??
सोनम: भईया मेरा होमवर्क हो गया, चलो खेलने चले।
राजू: पर मेरा नहीं हुआ।
सोनम: क्यों भईया??मेम से मार खानी है।
राजू:ये स्कुल के टीचर भी ना बच्चों के बारे में बिलकुल भी नहीं सोचते, इतना होमवर्क देगे तो हम काम कब करेंगे और कब खेलेंगे।...याद करना तो आसन है, पर लिखना अपने बस का नही।
सोनम:आप होमवर्क करलो फिर चलते है।
राजू मजाकिया लहजे में कहता है:नही रे, अभी चलते है। होमवर्क तो मैं स्कुल में कर लूंगा और दो चार डंडे खा भी लिए तो क्या फर्क पड़ता हैं।
सोनम: ठीक है भैया। अब जल्दी चलो।
विवेक: भैया हम भी चलेंगे । हम भी बॉल का हवा निकालेंगे।
राजू: तू अभी छोटा है प्रियंका के साथ खेल । जब बड़ा हो जायेगा तो हम तुम्हे अपने साथ ले जायेंगे। और सुन बॉल की हवा नही निकालते उसको किक करते है।
मुस्कुराते हुए दोनों भाई बहन बाहर खेलने निकल जाते है और पार्क में खेलने लगते है। कुछ देर बाद राजू के दोस्त पार्क में खेलने आते है । राजू का ध्यान खेलते हुए अपने दोस्तो पे जाता है।
राजू सोनम को घर जाने को कहता है : सोनम तू घर जा ,मै कुछ देर अपने दोस्तों के साथ खेलूंगा।
राजू दोस्तो के साथ खेलने चला जाता है।
हरी ,गफूर,रमेस, प्रकाश , सनी ये सभी राजू के दोस्त है।
प्रकाश राजू को बल्ला देता है और बल्लेबाजी के लिए बोलता: ले राजू तू बैटिंग कर।
सनी:- आजा मुन्ना तुझे रावल पिंडी की रफ्तार दिखाते है।
सनी गेंदबाजी करता है , सनी पहली गेंद बड़ी तेज फेंकता है।
राजू को गेंद से चोट लग जााती है।
सनी हँसते हुए: मुना चोट लग गयी । थोड़ा सहलाले हम नही देखेंगे।
राजू सिर्फ घूरता है कहता कुुुछ नही।
सनी अगली गेंद काफी तेज फेंकता है पर इस बार राजू गेंद को पुुरा जोर लगाकर मारता है और ....6 रन।
राजू खुसी से उछलता है ।
तभी राजू को उसके दोस्त आवाज देते है । राजू सपने से जागता है और अपने दोस्तों के पास पहुंच जाता है।
हरी:ले राजू तू बैटिंग कर। देखते है कितना दम है तुझमे।
राजू बल्लेबाजी के लिए जाता है और ग़फ़ूर गेंदबाजी करता है। राजू पहली गेंद पे ही रमेश को केच दे देता है।
राजू गुस्से में बल्ले को दूर फेंकता है।
रमेश : ओये ज्यादा जोश आ गया क्या ?2000 का बल्ला तोड़ेगा ।
गफूर: इसके पापा ने इसको बर्थडे गिफ्ट दिया था।
सनी: ढंग से खेलना हो तो खेला कर नही तो कोने में बैठ कर मैच देखा कर।
हरी: ओये ,राजू को कोई कुछ नही बोलेगा । अगर अब कोई बोला तो बत्तीसी तोड़ के हाथ में दे दूँगा ।
सॉरी बोलो राजू को
सभी एक साथ राजू को सॉरी बोलते है... सॉरी राजू
राजू उदास होकर बैठ जाता है ।राजू की इच्छा है की वो हर जगह बेहतर बने। पर वो पढ़ाई के अलावा हर जगह फिसडी है।
हरी उसके पास आता है।
हरी राजू का खास मित्र है और उम्र में उससे 8 साल बड़ा है।
हरी :क्या हुआ??
राजू: कुछ नही।
हरी:शॉट अच्छा था। पर अगर तू रोज खेलने आए तो तेरी भी बल्लेबाजी अच्छी हो जायेगी। अपने सचीन की तरह।
राजू: सचिन नहीं, उससे भी बढ़िया । मै तो हर बॉल पे 6 मारूँगा। देखना एक दिन बहुत पैसा कमाऊँगा ऒर सेठ बन जाऊँगा। और तुम सब लोग मुझे सलाम ठोकोगे।
हरी खड़ा हो कर राजू को सलामी देते हुए कहता है।
हरी: राजू सेठ को हरी भाई का सलाम।
राजू हँसने लगता है और हरी भी।
दोनों दोस्त बहुत खुश हो जाते है
राजू : तू तेरे दिमाग मे नोट करले एक दिन बहुत बड़ा आदमी बनुंगा और हर जगह मेरा नाम चलेगा । इस बात को मजाक नही समझना ।
हरी : वो सब तो ठीक है
सुन तेरे लिये एक खुश खबरी है।
राजू : क्या है।
हरी: मेने तेरी भाभी ढुंढली । सन्डे को मेरे साथ चलना तेरे को मिलवा के लाता हु।
तभी राजू के पापा राजू को आवाज लगाते है।।
राजू
राजू.....राजू
राजू : ठीक है मैं तेरे घर आ जाऊँगा। साथ चलेंगे।
हरी: ठीक है।
आवाज सुनते ही घर चला जाता है।राजू
माँ का लाडला और पिता का आज्ञाकारी बेटा है।
राजू: हा पापा।
पापा: राजू स्कुल का होमवर्क हो गया??
राजू:हाँ पापा।
पापा :चल कॉपीया दिखा??
राजू बैग लाता है और पापा को दिखाता है।
पापा: राजू ये क्या ,एक भी कॉपी में तूने काम नहीं किया। और तू झूठ भी बोलने लगा?? बेटा झुठ इंसान को कमजोर और डरपोक बनाता है ।फिर कभी झूठ मत बोलना।
सच इंसान को मजबूत बनाता है। सचा इंसान कितने भी दुःख या मुसीबत हंस कर सह लेता है और सच से ही इंसान की नींव मजबूत होती है।
राजू हाँ में सर हिलाता है।
पापा: मेरा बेटा राम बनेगा ना।
राजू हाँ में फिर सर हिलाता है
राजू: झूठ बोलने के लिए सॉरी पापा।
राजू आज्ञाकारी है ,लेकिन पापा कि सख्ती की वजह से वो पापा से डरता भी बहुत है।
पापा :चल अभी बैठ सारा काम कर उसके बाद बाहर जाना।
राजू बैग लेके बैठता है ।और काम शुरू करते करते खो जाता है सपनो की दुनिया में।
सपनो की दुनिया का राजा है वो । जिसमे उसके कई रूप है, वहा डॉक्टर भी वो है,इंजीनियर भी वो है । मतलब वहा के सभी बेहतरीन किरदार वो ही है।
यहाँ उसके दो खास दोस्त भी है। ....एक मन और दूसरा अन्तर्मन ,जो हर इंसान के होते है। उसका मन उसे बताता है की वो हर जगह बेस्ट है। पर हकीकत में वो सिर्फ पढ़ाई में अच्छा है बाकी खेल कूद में फिसड्डी इसलिए उसे अपने दोस्तों से ईर्ष्या है की वो उससे बेस्ट क्यों है।
पर वो ये नहीं जानता की भगवान ने हर किसी को कुछ तो खास दिया है
जरूरत है समझने की, कि हम किस जगह बेहतर है।
राजू की खासियत ये है कि होमवर्क समय पर न करते हुए भी वो क्लास में सबसे होशियार है और हर बार टॉपर भी रहता है। इस कारण क्लास के सब बच्चे उसके दोस्त है।
राजू सपनो से खुश है उसे नहीं पता उसे क्या करना चाहिए क्या नही। उसे कामयाब बनना है पर पढ़ाई में तेज होते हुवे भी वो मेहनत से जी चुराता है। उसे जो भी करना वो कल्पना की दुनिया में करता । वो जब भी किसी बड़े नाम वाले को देखता है तो उसमे खुद को देखता और खुश हो जाता। जैसे अम्बानी सचिन सलमान
मेरा मतलब ये है की वो हर बेहतर इंसान में खुद को ढूंढता है।
इसी सपनो की दुनिया के साथ 11 साल बीत जाते है
11साल बाद सन 2012
अब राजू 21साल का हो गया है ।पढ़ाई में अच्छा होने के बावजूद वो ज्यादा पढ़ नही पाया। घर कि स्थिति देखते हुवे पापा ने उसे अपने साथ दुकान में काम लगा लिया।उसकी बड़ी बहन सोनम की शादी को दो साल हो चुके है ।और पापा भी मकान की किस्तो से मुक्त हो चुके है।
रमेस आज एक सफल व्यापारी है।
गफूर एक बुकी बन गया है ।
सनी मुंबई पुलिस में है।
प्रकाश आज एक बैंक मेनेजर है।
हरी पान की दुकान करता है।
आज राजू की शादी और विवेक की सगाई हुई है। बच्चों की शादी के लिए पापा ने बाकि बची जमीन भी बेच दी। किस्मत ने साथ दिया और इस बार कीमत भी अछ्छी मिल गयी ।।
घर पे मेहमानो का ताँता लगा है।
एक ग्रुप में सभी खड़े है , अपने गुप्ताजी बैंक में हैं और राजू के पड़ोसी भी। प्रताप राजू के पिता है। अखिलेश राजू के चाचा। वर्मा जी पापा और चाचा के दोस्त है बहुत रईस है। पहनावा बिलकुल अपने बपि लहरी की तरह।
राजू के ससुर और विवेक के ससुर भी साथ ही खड़े है।
गुप्ताजी: भाईसाहब शादी का आयोजन बहौत ही शानदार था। मजा आ गया।
राजू के पापा: सब काम बढ़िया आप सभी के सहयोग के कारण हुए है।
वर्मा: शादी का असली मजा तो गोविन्द की की शादी में आने वाला है। क्यों अखिलेश?
अखिलेश: हा वर्मा । एक ही तो लड़का है मेरा। उसकी शादी किसी राजा महाराजा के बेटे की तरह करूँगा।
वर्मा: प्रताप तूने थोड़ी कंजूसी करदी।
पापा: वर्मा हम तेरी तरह हाई फाई ..नही। अपने तो जितनी चादर उतने ही पाव पसारते है।
वर्मा: ये जो तू खजाने पर कुंडली मारकर बैठा है। मै सब जानता हूं।
गुप्ताजी जी बिच में टोकते है।
गुप्ताजी: चलो अब खाना खाले कहि ठंडा ना हो जाये, जल्दी चलो।
गुप्ताजी प्रताप और वर्मा को खिंच के ले जाते है।
उधर घर मे
गुप्ता की पत्नी: बहनजी बहुए तो चाँद का टुकड़ा है।
माँ: सच कहा बहनजी आपने।
वर्मा की पत्नी :बहू तो चाँद का टुकड़ा ....नही पूरा चाँद है।
सोनम: अरे आंटी हमारी भाभी तो स्वर्ग की अप्सरा लगती है।
राजू की चाची: रानी तो प्यारी सी परी है।
राजू:बस भी करो अब क्या सभी मिलकर इसको नजर लगाओगे।
सभी महिलाये हंसने लगती है।
राजू की पत्नी बहुत ही सुन्दर है और अपनी तारीफ से बहुत खुश होती है। पर राजू इतना सुन्दर नही फिर भी रानी को वो बहुत अच्छा लगता है।
गुप्ता:यार तू भी, छोटी सी बात पे सेंटी हो जाता है।
प्रताप: सेंटी में सेंटी। अरे वो वर्मा जहा भी जाता है दुसरो को निचा दिखाने की कोशिस करता है। तू ना रोकता तो आज उसको उसकी ओकात दिखा देता।
गुप्ता: छोड़ ना। क्यों इन दो टके के लोगो के मुँह लगता है।
प्रताप: तू कहता है तो।चल छोड़ दिया। पर वो खजाना कोनसा है।
गुप्ता : वही जो तेरे आंगन मे हंस खेल रहे है।
दोनों दोस्त मुस्कुराते है।
गुप्ता की पत्नी : अब तो विवेक और प्रियंका की शादी साथ में ही करना।
एक बेटी जायेगी तो एक घर आएगी
माँ: हा बिलकुल सही कहा बहनजी आपने।बस जल्दी से प्रियंका के लिए वर मिल जाये।
माँ उदास हो जाती है क्योंकि प्रिंयंका की सगाई नहीं हो रही। सुन्दर होते हुए भी ,शायद लोगों को लड़की से ज्यादा दहेज प्यारा होता है। "पर हमने तो दोनों ही संबंधियो (राजू और विवेक के ससुराल वाले) को दहेज के लिए साफ़ मना कर दिया था।
राजू और विवेक अपने सभी दोस्तों को विदा करते है।
कुछ देर बाद राजू रानी अपने कमरे में होते है।
दोनों की अरेंज मैरिज है। और एक दूसरे से पहली बार मिल रहे है।
राजू सोचता है बात कहा से शुरू करू।
सोचते हुए राजू पूछता है।
राजू :तुम्हारा नाम क्या है??
रानी चुप
राजू सोचता है कहि बहरी तो नहीं इस बार थोड़ा जोर से पूछता हु।
राजू :तुम्हारा नाम क्या है??
रानी :आपको नहीं पता |
राजू ना में गर्दन हिलाते हुए
राजू : नाजी!!
रानी: माँ ने नहीं बताया??
राजू: बताया पर एक बार तुमसे सुनना चाहता हु।
रानी:और मैं बहरी नही हूँ। मुझे धीरे भी साफ़ सुनाई देता है।
राजू: पहले क्यों नहीं।
राजू धीरे धीरे से: पहले क्यों नहीं बोली।
रानी:आपकी शर्म आ रही थी।
राजू: ओहो आज के जमाने में भी शर्माने वाली लड़की।
राजू: अब नाम भी बतादो।
रानी: रानी।
राजू:कितना सुन्दर नाम है रानी।
राजू की रानी। नाम की तरह तुम रूप की भी रानी हो।
रानी मुस्कुराते हुए: आप भी किसी राजा से कम नही
राजू: ओहो नहले पे देहला।....
........ . जानती हो आज में बहुत खुश हूं कि तुम जैसी सुंदर और साफ दिल लड़की मेरी जीवन संगिनी बनी है।
भगवान से अब किसी ओर चीज की चाहत नही। गर तुम्हारा प्यार जीवन भर युही मिलता रहे।
इतना कह राजू रानी को अपनी बाहों में भर लेता है।और दोनों एक दूसरे के प्यार में डूब जाते है।
वक्त का पहिया अपनी गति से चलता है और 2 महीने बीत जाते है।