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भाग 3

23 दिसम्बर 2021

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पापा: सारी दुनिया का सुख एक तरफ और अपने घर आने का सुख एक तरफ।

माँ :बिकुल सही कहा आपने।

रानी सोचती है की  माँ और पापा सही कहते है उस दिखावे के स्वर्ग से अपना घर कितना प्यारा है। वो वहा जो भी हुआ उसे भुला अपने स्वर्ग को सजाने में लग जाती है।

 राजू को वो घर अब खण्डहर लगने लगा है।
उसे चाहत है अपना भी स्वर्ग जैसा बंगला हो।

सभी घर पर अपने कामो में व्यस्त हो जाते है ।पर राजू सोच रहा है  पैसे कमाने का तरीका।

राजू: वर्मा अंकल खुद को क्या समझते है। कभी भी कही भी किसी को कुछ भी कह देते है।

पापा: बेटा वर्मा बुरा नही है। असल में पैसा चीज ही ऐसी है ।

राजू : मै कुछ समझा नहीं।

पापा: तू नए कपड़े पहन के दोस्त के घर जाता है तो क्या होता है।

राजू: सब तारीफ करते है। पूछते है कहाँ से ली कितने की ली। मै भी वही से लाऊंगा।

पापा:अगर वो कुछ ना बोले तो।

प्रियंका: हमे बुरा लगता है। हम नई चीज लाये और इन्होंने देखी भी नही।

पापा : फिर आप क्या करते हो।

राजू: उनसे पूछ लेते है। भाई केसा लग रहा हु।

पापा: जेसे हम तारीफ चाहते है वेसे ही वो भी अपनी तारीफ चाहते है। और जब कोई  उनकी तारीफ नहीं करता तो  वो दुसरो की कमी निकालते है।
और इस बिच वो भूल जाते है की वो दुसरो को निचा दिखाने की कोशिस कर रहे है।

राजू: तो अमिर होना गलत है।

पापा: गलत नहीं है। पर हद से ज्यादा दिखावा करना या दूसरे को निचा दिखाना मुझे गलत लगता है।

राजू: चाचा और आपने साथ ही दुकान की। फिर आप उनसे पैसो के मामले में पीछे कैसे रह गए।

पापा: इसमे में कुछ कह नही सकता। हो सकता है उसने अधिक मेहनत की हो। या भाग्य ने उसका साथ दिया हो।

राजू: हम भी एक और बिजनस शुरू करते है। जिससे हमारी भी इनकम बढ़ जायेगी।

पापा: तेरे ध्यान में कोई बिजनस है तो करले। अभी तो घर में पैसे भी है।
अपना खेत बेच कर जो 30 लाख मिले थे उसमे से 20 लाख बचे  हुए है,  जिनकी जरूरत प्रियंका की शादी में पड़ेगी। तब तक तू चाहे तो उनमे से 2 या 3 लाख लेकर उनका उपयोग कर सकता है।

राजू:थैंक यू पापा । मै आपको कोई अच्छा काम सोच के बताता हु।

पापा: ठीक है। पर जो भी काम करेगा वो तुझे ही सम्भालना होगा। मै अपनी दुकान नही छोड़ने वाला।

राजू:ठीक है पापा।

राजू को लगता हे वो कोई भी काम करके इतना जल्दी अमीर नही बन सकता।
जितना जल्दी रमेश ने पैसा बनाया। 
मुझे भी कुछ ऐसा ही करना होगा।उसे लगता है उसे भी अपनी किस्मत आजमानी चाहिए। 

सोचते सोचते राजू की आँख लग जाती है।

अगली सुबह राजू दुकान के लिए जाता है। रास्ते में उसे गफूर मिलता है।

गफूर :और भाई राजू केसी चल रही है जिंदगानी , 

राजू :कुछ ख़ास  नहीं । बस ये समझलो बेलगाडी पर चल रहे है।

गफूर:कभी हमारे यहाँ भी आ जाया करो । क्या पता तेरी भी किस्मत चमक जाये रमेस की तरह।(राजू को अपना कार्ड देते हुए कहता है) और बेलगाडी की रेलगाड़ी बन जाये।

राजू: अपनी ऐसी किस्मत कहा। 

गफूर एक बुकी है। जो गैर क़ानूनी सट्टा चलाता है।

राजू के कपड़ो की दुकान है।  दुकान पर.....  टीवी पर इमरान हाशमी की फ़िल्म का सीन चल रहा है। जिसमे वो बेटिंग कर रहा है और खूब पैसा कमा रहा है।


राजू:आंटी ये देखिये साडी बहौत अच्छी है।

आंटी: नही , वो ब्लू नेट वाली दिखा।

राजू आंटी को नेट वाली साड़ी देता है।

आंटी: वाओ , इसमे तो मै कटरीना की तरह हॉट लग रही हु।

राजू: ये मुह और मसूर की दाल ।

आंटी: क्या कहा।

राजू : जी आँटी ..... वो ......  वो अगर आप इस कमरे को कमर के शेप में ले आये तो भगवान कसम बिपासा भी शर्म से डूब जाएगी।

आंटी: चल नटखट । 

राजू का ध्यान अभी भी टीवी पर... राजू का मन कहता है तूने जितनी देर में एक साड़ी नही बेची उतनी देर में इमरान करोड़पति बन गया।

अब तो राजू का मन दुकान में बिल्कुल भी नहीं लग रहा।

वो दुकान से  भी निकलना चाहता है 

राजू : पापा वो मुझे कोई काम याद आ गया में घर जा आऊँ 10 मिनट में वापस आ जाउगा।

पापा: कोनसा काम।

राजू: काम..काम ..है ना काम।

पापा : बता तो क्या काम है।

राजू: कपड़े... नही ..   प्रेस .... नही बिजली...

भूख हा .... हा पापा याद आया भूख लगी हैं। मै ,....मै कुछ खा आउ।

पापा हस्ते हुए: चल जा जल्दी आना।

राजू बहाना बनाकर सीधा गफूर के पास जाता है।

वह लोग पैसो का ढेर लिए बैठे है।राजू खेल देखता है ,कोई लाख तो कोई 2 लाख जीत रहा है तो कोई 50 हजार।  चारो तरफ पैसा ही पैसा।

गफूर: क्या राजू  बड़े जल्दी आगये किस्मत आजमाने।

राजू: गफूर भाई इतना पैसा मेने एक साथ कभी नहीं देखा। क्या में भी इनकी तरह जल्दी पैसा कमा सकता हु।

गफूर: क्यों नहीं। जेब में माल और किस्मत का साथ होना चाहिए।

राजू: मै कल पैसा लेकर आता हु। पर पैसा कितना चाहीये।

गफूर: वो तेरे उपर है। जल्दी पैसा बनाना है तो बाजी भी बड़ी खेलनी होगी।

राजू : ठीक हे भाई मै कल आता हु।

राजू आज देर से घर आता है।

माँ :बेटा आज बड़ी देर करदी।

राजू: हा माँ आज वो हरी के  यहाँ चला गया था।(हरी राजू का बेस्ट फ्रेंड है )

रानी राजू को खाना परोसती है राजू थोड़ा बहुत खाकर सोने चला जाता है।

अगली सुबह
बाबा: राजू कहा हो दुकान के लिए लेट हो रहे है जल्दी आओ।

राजू: पापा में थोडा लेट आउगा। मेरा कोई दोस्त आया है बम्बई से उससे मिलने जाना  है।

तभी दरवाजे पे विवेक के ससुराल वाले आते है और रिश्ता तोड़ के चले जाते है।

पापा: आइए समधी जी । कैसे आना हुआ।

समधी: नमस्कार प्रताप जी। 

पापा:आईये अंदर आईये।

समधी: नहीं ..प्रताप जी थोडा जल्दी में हु।
मुझे कोई जरूरी काम से जाना था। और आपसे भी कुछ कहना था।

पापा :हां कहिये।

समधी: जी समझ नही आता की कैसे कहु। क्या सोचेंगे आप मेरे बारे में।

पापा: जो भी कहना है बेजिझक कहिये। आप समधी है हमारे ।

समधी:जी वो विवेक और साधना की शादी।

पापा : शादी की तारीख तय करने आये है? पर इतनी जल्दी क्या है।

एक बार बच्चों के एग्जाम हो जाये। उसके बाद आराम से तय करलेंगे।

समधी: जी ये बात नही है।

पापा:तो फिर क्या बात है।

समधी: बात ये  है की शाधना और विवेक की शादी नही हो सकती।

पापा: क्यों । क्या हुआ । विवेक ने कुछ गलत किया क्या। एकदम से अचानक ऐसा क्या हो गया।

समधी:नहीं । असल में मेने रिश्ते से पहले अपने भाईयो से नहीं पूछा इसलिए वो मुझसे नारज है। और उनकी जिद हे की वो तभी मानेंगे  जब साधना की शादी उनकी पसंद के लड़के से होगी।

पापा: जैसा आपको उचित लगे वैसा कीजिये। आपकी बच्ची की जिंदगी का सवाल है।
पर इस बार रिश्ता सोच समझ के कीजियेगा। 


समधी वहा से चला जाता है।

माँ: इस आदमी ने सिर्फ अमीर घराने में रिश्ता जोड़ने के लिए हमसे रिश्ता तोडा है।

राजू: नही  माँ, ऐसा कोई करता है क्या।

बाबा : बेटा तेरी माँ सही कह रही है। कल ही  गुप्ता जी ने मुझे बताया की आपके समधी सेठ दीनदयाल के लड़के से रिश्ता जोड़ने के लिए । उनके घर के चक्कर काट रहे है।

माँ:  पर क्या वो साधना को हमसे ज्यादा सुखी रखेंगे।

पापा: मै नही जानता। पर इतना कहुगा  की वो जहा रहे सुखी  रहे। 
इतना कह पापा दुकान के लिए चले जाते है।

माँ विवेक को जब फोन पर ये सब बताती है तो  उसे  बहूत दुःख होता है और वो भी कामयाब बनने के लिए दृढ़ सनकल्प से पढ़ाई में लग जाता है।

उधर राजू का ध्यान गफूर की बातो पे जाता है  और वो अपनी किस्मत आजमाने के लिए । बाबा की अलमारी से पैसे चुराने जाता है। 
राजू जेसे ही अलमारी खोलता हैै उसका अंतरमन उसे रोकता हे।

अन्तर्मन: राजू ये गलत है। ये पैसा बहन की शादी के लिए है।। मेरी बात मान इस जुवे में कुछ नही पड़ा। 

पर उसका मन उसे रानी  पापा और विवेक की बेज्जती याद दिलाता हे।

मन : राजू देख इसका काम है डराना ओर कुछ नही। मेरी माने तो तेरा भाग्य उदय होने वाला है और तू भुल गया वर्मा की बाते , अपने सम्बन्धी साहब को ही देख सिर्फ पेसो के लिए विवेक को ठुकरा दिया।

राजू: सब याद है। वो रानी की हंसी उड़ाना। वो वर्मा जी का किया सवाल और समाधि जी का किया मजाक ,सब याद है।

मन: फिर ले पैसा और चल गफूर के पास । ये मौका है इन सब को इन्ही की भाषा में जबाब देने का। 

अन्तर्मन: ये तुझे बर्बाद करना चाहता है। किस चीज की कमी है तेरे पास। घर है दुकान है हरा भरा परिवार है। और क्या चाहिए ,ये जुआ बर्बादी का घर है जुए में कुछ नही पड़ा ।समझ मेरी बात।

राजू: बेज्जती हमारी हुई बदला भी मै लूंगा। तू रख अपना ज्ञान अपने पास।

 राजू अलमारी में पड़े 20 लाख रूपये में से 5 लाख ले लेता है।  जो पापा ने विवेक और प्रियंका की शादि के लिए बचाये हे।

राजू पैसे लेकर गफूर के पास पहुचता हे।

गफूर:आओ राजू कितने लाये हो।

राजू:  पुरे 5 लाख हे। इस को 25 लाख़ करदो

गफूर राजू से बेटिंग करवाता है और 5 से 5.50 फिर 6 लाख करवा देता हे। 

गफूर : मै चलता हु ।अब तू खेल आज तेरा दिन है।  

राजू का अंतरमन उसे 6 लेकर चलने को कहता है। 

पर राजू 1 बाजी 2लाख की खेलता है जीते तो  हो जायेंगे।राजू फिर जीतता है ।7 फिर 8

अन्तर्मन: राजू 8 होगये अब चल मान मेरी बात।

मन : राजू 2 घंटे में 4 के 8लाख अगर यही बाजी बडी होती तो अब तक करोड़पति बन जाता।

राजू बड़ी बाजी खेलता है।इस बार  राजू हार जाता है 3 लाख ....  4फिर ....इस बार राजू 4 की बाजी खेलता है ... एक बार 2 औऱ लगाता है पर फिर हार जाता है।

तभी गफूर आता है:राजू भाई कितना जीता। 

राजू :हारने लगा हु।

गफूर ब्रोकर से पूछता है राजू के पास कितना पैसा बचा ।

ब्रोकर: ये 5लाख माईनस में है।

गफूर:तूने इसे माईनस में कैसे खिलाया। 

राजू जा 5 लाख और लेके आ उसके बाद खेलना।

राजू:गफूर भाई मेरे पास जितना पेसा था वो सारा मेने आपको दे दिया। अब नही हे मेरे पास।

गफूर: चल ज्यादा होसियार मत बन । चुप चाप पैसा ले आ नही तो तेरे को यही ठोक डालूँगा। (बन्दुक सर पे रखते हुए)

राजू : तू मेरा दोस्त है और मुझ पर ही गन तान रहा। 

गफूर: दोस्ती गयी तेल लेने। अपुन को अपना माल से  मतलब है जा जल्दी से लेकर आ।

राजू: लाता हु ,पर मुझे कुछ समय  तो दो । 

गफूर: दोस्ती याद दिला दी इसलिए तेरे को टाइम देता हु। बोल कितने बजे लाएगा।

राजू : बजे से क्या मतलब। कम से कम 20 25 दिन लग जायेगे।

गफूर: चल ठीक है ।अपनी दोस्ती के लिए तेरे को टाइम दिया। 
पर टाइम का 1 लाख एक्स्ट्रा लगेगा ।

राजू: 1 लाख  एक्स्ट्रा।

गफूर: टाइम चाहिये तो एक्स्ट्रा चार्ज लगेगा।

जा अब 6 लाख लेके  आ तेरे पास 25 दिन का टाइम हे।

राजू वहा से निकलता हे । उसके पेरो तले जमीन हिल जाती हे। ये मेने क्या कर  दिया। 10 लाख जुए में उडा दीए । अब घर वालो को क्या कहुगा  । इसी उधेड़बुन में राजू घर पहुंचता है।

और अलमारी में रखा 15  लाख और ले जाता है।

वापस गफूर के पास पहुँचता है उसे 5 लाख देने के बाद वो वही बैठ कर बाजी देखता है।
इस बार वहा बैठे सारे लोग हार रहे है।सारे लोगो के चेहरे का रंग उड़ा हुआ है।
राजू सोचता है उसने बहुत गलत काम कर लिया बहन की शादी के पैसे जुए में उड़ा दिए अब क्या करे। 
तभी पास में बैठा आदमी उससे कहता है।

आदमी -भाई कितना नुकसान हुआ

राजू- कुछ नही
आदमी - मेरा नाम सुशिल राठी है, मै सब देख रहा था। 10 लाख डूबा दिए 1 दिन में इससे अच्छा mcx या स्टॉक मार्केट में करते।
तो लॉस नही होता। क्योंकि वो लीगल गेम है उसमें रिस्क भी कम है।

राजू सोचता है 10 लाख जो मेने डुबोये है उसे कही से कवर तो करना होगा। क्यों ना एक बार वो भी कर के देखे।
राजू -ये काम कहा होगा?

शुशील-यही गफूर भाई के ऑफिस में जो रॉड के उस साइड में है।

वो राजू के साथ उस ऑफिस में जाते है।

गफूर- क्या राजू दिल नही भरा क्या

राजू - दिल तो भर गया पर जो  लुटा दिया उसको वापस पाने के लिए कुछ तो करना पड़ेगा।

सुशिल -भाई इसको स्टॉक और mcx के बारे में बताओ।

गफूर राजू को मार्किट के बारे में बताता कि ये काम कैसे होता है। 
राजू समझ जाता है ये भी सट्टे की तरह है पर लीगल होने के कारण इसमें पैसा डूबेगा नहीं।

राजू :गफूर भाई आज तो पूरा दिन खराब हो गया। अब कल देखेंगे क्या करना है।

ये कह कर राजू अपने घर की और चलने लगता है।रास्ते में सोचता है घर पर पेसो का पूछेंगे तो क्या कहूंगा।

अंतर्मन कहता है सच सच बता देना।
मन कहता है सच बताया तो घर में तूफान आजायेगा और हो सकता है पापा इस झटके को सह ना पाये।
राजू मन की बात से सहमत है।
इस बीच राजू को बैंक दीखता है वो बाकि पैसा जमा करवा कर घर पहुंचता है

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रचनाएँ
Everything is over..kya se kya ho gya
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विवरण "God gave us beautiful life and different story for everyone's life, different experience for everyone. Sometimes it seems that we are also playing the character of a film. My experience which I saw, what I understood, I'm sharing with you. Yes, in today's world every man is running like mad for money, whether he is small or big. Because every wish of yours can be fulfilled only from money, but many people are so crazy behind money that they want to become rich overnight. In this desire, some become criminals, some gamblers, but in the end, both regret it. This story is an attempt to present the social evils and the life of gamblers together. Read it, understand it, and if possible Keep away with gambling am trying to show the reality of a gambler. Which we never get to see. We only paid attention to the people who are making progress and not noticed on the one who has fallen. If something good happens we praise ourselves but when goes wrong or turn bad we whipped God." About The Author: If you dont believe author it's nothing. if you believe then ,it is a repository of knowledge. Whether it is a school book, religious, business, poetry or story, all books are a medium of exchange of knowledge, through these books the authors have shared their experiences, One who has learned, shared with everyone, BHAWANI is one of them. He says that even if you do not succeed in life become a guide by telling your mistakes to others so that they don't commit the same mistake.
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