आज राजू के परिवार को उसके चाचा के घर जाना है ,वहा दो दिन बाद गोविन्द की शादी है।
सभी शादी की पैकिंग में लगे है ।
विवेक : माँ एक्साम सर पर है। इसलिए मुझे और प्रियंका को वापस अपने कॉलेज (देहली) जाना होगा।
माँ: बेटा पर दो दिन की ही बात है। फिर चले जाना।
प्रियंका: हां भैया माँ सही कह रही है।
विवेक: तुझे रुकना है तो रुक । पर मुझे अपने एक्साम की तैयारी करनी हे।
पापा: तू भी रूक जा विवेक।
विवेक: पापा इसे तो ससुराल जाना है। फैल हो जायेगी तो भी कुछ फर्क नहीं पड़ेगा। मै फ़ैल हुआ तो मुझे दुकान में बैठना पड़ेगा।
पापा:दुकान में क्या बुराई है।
विवेक: दुकान में कोई बुराई नहीं है ।
पर मै चाहता हु जो आपके खून पसीने की कमाई मेरी पढ़ाई में खर्च होती है उसका सही हक अदा हो।
और एक दिन एक बड़ा अफसर बनकर आपके सामने आऊ।
पापा: वाह मेरे लाल दिल खुश कर दिया। मुझे पूरा विश्वाश है कि एक दिन तू मेरा नाम जरूर रोशन करेगा । आ मेरे बच्चे।
पापा विवेक को गले लगा लेते है।
प्रियंका :भैया मै तो रुकूँगी।
विवेक: रुक ना वैसे भी वहाँ जाकर तू कोनसा तीर मारलेगी।
आखिर में मांजने तो बर्तन ही है।
प्रियंका: माँ देखो ना(मुँह बनाते हुए कहती है)
माँ विवेक के पीछे डंडा लेकर भागतीं है।
विवेक आगे और माँ पीछे।
विवेक अपनी पैकिंग कर अपने कोलेज चला जाता हे।
बाकि सब चाचा के यहाँ पहुंचते है।
राजू के चाचा का घर इसी शहर में है। उनके दो बच्चे है गोविन्द और पूजा । गाँव से जब आये थे तब दोनों परिवारो की स्तिथि एक जेसी थी।
अब दोनों परिवारो की स्तिथि में बहुत अंतर है।
चाचा ने समय के साथ बहूत तरक्की कर ली।
आज चाचा का बहुत ही शानदार बंगला है, बाहार दो मर्सिडीज खड़ी है। चारो तरफ चकाचोंध ही चकाचोंध।।
रानी चाचा के ठाठ देख के बहुत खुश होती है।
रानी : राजू हम भी कभी ऐसा घर बनवाएंगे। देखो बिलकुल स्वर्ग जैसा लगता है।
राजू: हां(मेरी पूरी जिंदगी निकल जाएगी ऐसा बनवाने में)
रानी : राजू मेरा सपना है की हमारा भी ऐसा बड़ा महल हो और हम सब वहाँ राजा रानी की तरह रहे।
रानी की बात सुन राजू के मन में हिन् भावना और ईर्ष्या पनपने लगती है। वो सोचता है आखिर चाचा ने इतनी जल्दी इतने पैसे कमाए कैसे।
दोनों परिवार आपस मे मिलते है और एक दूसरे को देख कर खुश होते और साथ मिलकर शादी की तैयारी में लग जाते है।
मेहँदी रात...
सभी मेहमान महिलाये एक से बढ़कर एक तैयार होके आती है , सबकी सब सोने के जेवरों से लदी।।
रानी अपनी सास से: माजी ये औरते जो जेवर पहने है सब सोने के है।
सास: सोने के? हा बेटा, लग तो रहे है। क्योकि चाचा तेरा पैसा वाला, तो उनके मिलने वाले सब रईस ही होंगे।
रानी :माँ मेरे लिए भी ऐसा एक बड़ा हार बनवा दोगे।
माँ:हा बेटा ... . क्यों नही । तू तो मेरी लाडली बेटी है। जरूर बनवा दूँगी।
पर छोटी की शादी के बाद।
कहते कहते माँ उदास हो जाती हैं
रानी मुस्कुराकर माँ के गले लग जाती है।
फिर दोनों सास बहू मेहमानो की आवभगत में लग जाती है ।
रानी चाची और उनकी दीदी को कोल्ड्रिंक देती है।
तभी।।।
दीदी: अरे दीदी इस नौकरानी को पहले कभी नहीं देखा। है बड़ी सुन्दर।
चाची और दीदी दोनों की हँसी एक साथ निकलती है।
और रानी के आँसु।
चाची स्थिति को भापकर चुप हो जाती है
दीदी: इसको घर के मर्दों से दूर रखियो कही अपने जाल में ना फसा ले...हा हा हा
चाची: बकवास बन्द करो कुछ कहने से पहले पुछलिया करो की ये कौन है। सीधी बक बक चालू।
दीदी: कौन है।कोई अप्सरा है क्या ?हा हा हा हा
चाची: ये मेरी बड़ी बहू है, अब एक शब्द भी मुह से मत निकालना ।।
चाची बहु से: बेटा ला ट्रे मुझे दे तू थोड़ी देर आराम कर।
रानी कमरे में जाती है ओर अपने आप
को शिशे में निहारती है।
और सोचती है की पीहर में सब उसकी सुंदरता की कितनी तारीफ करते थे।
और ससुराल में भी सब तारीफ करते है।
मुह दिखाई पर चाची ने ही कहा था ,तू तो बिलकुल परी जेसी है। फिर उस औरत ने मुझे नौकरानी क्यों कहा। और चाची भी मुझ पर क्यों हँसी।
ये बात उसके दिल में घर कर गयी । उसे लगने लगा की उसमे कोई कमी है।
तभी माँ और प्रियंका कमरे में आती है। और रानी से कहती है।
प्रियंका: भाभी आप यहाँ हो हमने आपको कहाँ कहाँ नहीं ढूंढा।
माँ: जल्दी निचे चलो ,डांस प्रोग्राम शुरू हो गया।
रानी : नही । मेरी तबियत ठीक नही आप जाओ।
दोनो रानी का हाथ पकड़ के उसे निचे ले जाती है।
रानी की नजर उसी औरत पे जाती है। जो अभी भी उसे घूर रही है। रानी नजर झुका के बैठ जाती है,
पूजा रानी प्रियंका माँ चाची सभी बारी बारी डांस करते हैं।
कुछ समय बाद डान्स प्रोग्राम समाप्त हो जाता है।और वो औरत एक कमरे में जाती है रानी भी उसके पीछे पीछे कमरे में चली जाती है।
रानी :कौन हो आप??
दीदी: मै तुम्हारी चाची की बहन हु।
रानी :क्या में बदसूरत हु??
दीदी : नही तो। तू तो यहा सबसे सुन्दर है।
रानी:फिर ऐसी क्या कमी है मुझमे जो आपने मुझे नौकरानी कहा??
दीदी: तुझे कमी देखनी है तो आ तुझे दिखाती हु।
दीदी उसे बाहर ले जाती है और वहा दूर बैठी महिलाओ की और इशारा करती है।
दीदी: रानी देख उस भीड़ को जो जमा है उस काली बदसूरत औरत के पास जो सोने से लदी है।
रानी उसे देखते हुए: नौकरानी तो ये लगती है।
दीदी: शक्ल से ,पर उसका पैसा चीख चीख के कह रहा है की वो किसी रानी से कम नही है। इस दुनिया में पैसा ही आदमी की असली पहचान है।
रानी:सच में बिना पैसो के इंसान की कोई अहमियत नहीं। जैसे जल बिन मछ्ली और सूर्य बिन रोशनी।
रानी उदास मन से वहा से चली जाती है।
वहा खड़ा राजू दोनों की बाते सुनलेता है
और वो भी रानी के पीछे चला जाता है।
दोनों अब एक कमरे में बैठे है।
राजू: क्या बात है आज रानी साहिबा बड़ी उदास दिख रही है??
रानी : कुछ नहीं ऐसे ही थोड़ी तबियत ठीक नहीं । और नींद भी आ रही है । इतना कह रानी आंखे बन्द कर लेती है।
राजू को नींद नहीं आ रहि और रानी भी आखे बन्द किये पैसे के पुजारियो के बारे में सोच रही है।
भगवान ने जो रूप दिया उसे पैसे ने कुरूप बना दिया।
राजू सोचता है की सिर्फ पेसो की वजह से उसकी पत्नी की बेइज्जती हुई वो ये सहन नही करेगा।
अब चाहे कुछ भी करके उसे अमिर बनना है
और रानी के लिए सपनो का महल हकीकत में बनाना है।
अगले दिन बारात लड़की वालो के यहाँ पहुंचती है।
वहा का नजारा और भी शानदार था।
राजू की आँखे चोंधिया जाती है। राजू सोचता है की चाची की बहन सही कह रही थी। बिना पेसो के आदमी कुछ नहीं।
राजू को वहाँ अपना बचपन का दोस्त रमेश मिलता है।
राजू:और भाई रमेस कैसे हो??
रमेस : बढ़िया भाई।
राजू :और सूना भाई कैसा चल रहा है तेरा बिजनस??
रमेस : बिजनस तो कब का छोड़ दिया ।
राजू: क्यों ऐसा क्या हो गया??
रमेस: भाई बिजनस कमजोर पड़ क्या। तो अपनी किस्मत आजमाने के लिए बेटिंग की । मेरी तो किस्मत काम कर गयी । रातो रात लखपति से करोड़पती बन गया।
राजू : तेरी तो लॉटरी लग गयी।
रमेस:अपनी अपनी किसस्त है।
तूने कुछ किया या अभी भी पापा की दुकान में ही पड़ा है?? हँसते हुए कहता है
राजू को गुस्सा आता है। रमेस ये भाप लेता है और वहाँ से चला जाता है।
रमेस : ओके भाई चलता हु , फिर मिलते है।
रमेश के शब्द तीर की तरह चुभ गए , राजू के दिल मे।
और वो रानी को ढूंढने लगता है।
उधर
वर्मा :प्रताप जी आपने तो कंजूसी की हद कर दी। शादी में खूब बचत करली। अब कम से कम नया घर बनवा लीजिये , पेसो को क्या मरते वक्त साथ ले जायेंगे??
वहा मौजूद सभी हँसने लगते है। जिसमे राजू के चाचा भी शामिल है।
राजू ये शब्द सुनता है तो उसे ये शब्द अपने पिता की तोहिन लगती है।
प्रताप जी: अरे वर्मा जी अभी कुछ दिन रुको, पहले विवेक प्रियंका की शादी करदु उसके बाद घर का नम्बर आएगा।। और मरने के बाद हम तो जो भी होगा वो बच्चो के लिए छोड़ जायेगे,
पर आपको अपनी दौलत साथ ले जानी होगी। दौलत संभालने के लिए कोई वारिस भी तो होना चाहिए।
वर्मा जी की कोई औलाद नही जिसका एहसास पिता जी ने उन्हें करवा दिया।
वर्मा जी मुह उतार कर वहाँ से निकल जाते है।
उधर रानी और माँ जिन औरतो के साथ बेठी है वो।
आंटी: सेट तो बड़ा जोरदार पहना है??
आंटी2: मेरे हस्बेंड कनेडा बिजनस ट्रिप पे गए थे तो वही से दो सेट ले आये।
आंटी2: मेरे वाले तो अभी यूरोप टूर पे गए है 5 करोड़ की डील के लिए।
आते ही 10 सेट बनवाऊगी।
रानी वहा से उठकर राजू के पास जाने लगती है।
राजू रानी दोनों ही उस भीड़ में खुद को अकेला और छोटा समझते है।
उन्हें वहा इंसान नही बल्कि नोटों के बंडल और जेवर की दुकाने दिखती है।
राजू को लगता है बिना पेसो के उनकी कोई इज्जत नही उसे हर हाल में अमीर बनना होगा।
अब उसका कल्पनाशील मन महत्वकांसि बन चूका है।
रानी राजू के पास आती हे दोनों एक दूसरे को दर्द भरी नजरो से देखते । पर कुछ कहते नहीं।
कुछ देर बाद प्रोग्राम खत्म होता है और सभी अपने अपने घर आ जाते है।
राजू का परिवार अपने घर पहुंचता है।