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भोजपुरी संगीतों का नैतिक स्तर

11 मई 2015

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आज कल भोजपुरी जगत् में अश्लीलता का चलन बहुत ही ज्यादा बढ़ गया है। लगभग हर albums में फूहड़ता कूट कूट कर भरी होती है, और फिल्मो में भी अश्लील दृश्यों की भरमार होती है । और कोई इसके खिलाफ आवाज भी उठाना नहीं चाहता । बहुत से लोगों को कहते हुए सुनता हूँ की मार्किट का यही डिमांड है, कुछ लोग ये भी कहते हैं की हर जगह ऐसा ही होता है क्या अश्लीलता फैला कर ही ख्याति पाई जा सकती है ? मेरे हिसाब से शायद ऐसा नहीं है ,क्योंकि इस भोजपुरी जगत् में ही भरत शर्मा जी जैसे भी कलाकार हुए हैं जिन्होंने बिना अश्लीलता फैलाये ही देश विदेश में अपना नाम कमाया । मैं इन कलाकारों से एक बार पूछना चाहूंगा की क्या आप अपने पुरे परिवार के साथ बैठ कर अपने गाये हुए इन गीतों को श्रवण कर सकते हैं ? शायद आपका जवाब होगा ' नहीं' ।आप अपने अंदर झांक कर देखिये ! क्या इसे ही ख्याति समझते है आपलोग ? क्या यही उपलब्धि है आपलोगों की ? हम अपने उपलब्धियों के लिए हमारे समाज को, हमारी संस्कृति को दरकिनार नहीं कर सकते । हमे एक बार सोचने की जरूरत है - हमारी भी कुछ मर्यादाएं होनी चाहिए । हमारी नैतिकता का स्तर कितना गिर चूका है इस फोटो में बच्चों को देखकर पता चलता है ।
विवेक उपाध्याय

विवेक उपाध्याय

शब्दनगरी आपका भी बहुत बहुत आभार जो आपने हमे इस मंच पर अपनी बात रखने के लिए जगह दी

12 मई 2015

शब्दनगरी संगठन

शब्दनगरी संगठन

विवेक जी, परोसने वाले ये अधिकार समझते हैं कि वो जो चाहें समाज के समक्ष प्रस्तुत कर दें, विस्तृत एवं गहन संजाल है ये...अब तो खाने वालों को ही समझना होगा कि क्या भक्ष्य है और क्या अभक्ष्य....आभार !

11 मई 2015

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भोजपुरी संगीतों का नैतिक स्तर

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आज कल भोजपुरी जगत् में अश्लीलता का चलन बहुत ही ज्यादा बढ़ गया है। लगभग हर albums में फूहड़ता कूट कूट कर भरी होती है, और फिल्मो में भी अश्लील दृश्यों की भरमार होती है । और कोई इसके खिलाफ आवाज भी उठाना नहीं चाहता । बहुत से लोगों को कहते हुए सुनता हूँ की मार्किट का यही डिमांड है, कुछ लोग ये भी कहते हैं

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योग -हमारी विरासत

21 जून 2015
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अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर आप सभी को बहुत बहुत बधाई । आज के समय में जहाँ अधिकांश लोग अवसाद या बीमारियों से ग्रसित हैं, यह एक बहत ही बढ़िया साधन है शारीर और मन दोनों को स्वस्थ रखने के लिए । भाग दौड़ की जिंदगी में किसी के पास समय नहीं है लेकिन 24 घंटे में यदि 1 घंटे का समय अपने मन को एकाग्रचित

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