
28 अप्रैल 2015
5 फ़ॉलोअर्स
मैं लघुशस्त्र निर्माणी कानपुर में सेवारत हूँ कविता मुझमे सहज विराजती है जब तक जन्म ना ले ले मुझे व्याकुल रखती है शब्द ही मेरी पहचान हैं.. "भले ना हो पास मेरे शब्दों का खजाना, ना ही गा सकूँ मैं प्रशंसा के गीत, सरलता मेरे साथ स्मृति मेरी अकेली है, मेरी कलम मेरी सच्चाई बस यही मेरी सहेली है" D
राजेंद्र जी, मुझे खेद है कि किसी कारणवश आपकी यह रचना प्रकाशित नहीं हो सकी, कृपया दोबारा प्रकाशित करें, धन्यवाद !
24 अगस्त 2015