23 अगस्त 2015
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मैं लघुशस्त्र निर्माणी कानपुर में सेवारत हूँ कविता मुझमे सहज विराजती है जब तक जन्म ना ले ले मुझे व्याकुल रखती है शब्द ही मेरी पहचान हैं.. "भले ना हो पास मेरे शब्दों का खजाना, ना ही गा सकूँ मैं प्रशंसा के गीत, सरलता मेरे साथ स्मृति मेरी अकेली है, मेरी कलम मेरी सच्चाई बस यही मेरी सहेली है" D
भैया ओमप्रकाश शर्मा जी, का बताई कइे बताई... रचना तौ अउरिउ कइउ हैं मुल हमका भली परकार पोट्ट करब नहीं आवत है...ये हि ते अन्य नवीन रचना सबद नगरिया मा हम पोट्ट नाई करै पा रहे हन.. का करी कुछौ समझेम नाई आ रहा.. कउनौ रत्ता बताओ..आप केर बड़ी कृपा होई।..
21 सितम्बर 2015
राजेंद्र अवस्थी जी, आपकी रचना 'घोडा-गाड़ी' मुझे बेहद अच्छी लगी, आपकी अन्य सभी रचनाएँ अवश्य पढूंगा ! धन्यवाद !
24 अगस्त 2015