मैं अभागा,
चुप था देेख राखी का धागा,
मँहगाई से त्रस्त सादा सा बेरंग,
मजबूरी और भावनाओं से तंग,
क्या ऐसा होता है त्योहार,
कहाँ गया वो तुम्हारा प्यार,
आँखों में आँसू भर बहना बोली,
प्यार से भरी है और पैसे से खाली है मेरी झोली,
पर तुम उदास मत होना,
आपकी दूसरी बहन सोना,
जरूर मँहगी राखी लायेगी,
भाई के त्योहार में चार चाँद लगायेगी,
तभी सोना की चमक घर में छा गई,
हमारी दूसरी बहन राखी लेकर आ गई,
अब सज गई पूजा की थाली,
बहना ने पर्स से राखी निकाली,
नहीं था उसके प्रेम में कोई भेद,
एक टमाटर में कर रक्खा था छेद,
बोली ये राखी बड़ी मुश्किल से मिली है,
सुई धागे से मखमल पे सिली है,
स्वीकारों ये टमाटर भरा प्यार,
मुबारक हो तुमको रक्षाबंधन का त्योहार।