अपनी इस विशिष्ट पुस्तक में बेस्टसेलिंग लेखक, लीडरशिप कोच और पुराण-विद्या विशेषज्ञ देवदत्त पट्टनाइक बताते हैं कि किस प्रकार वस्तुनिष्ठता के आवरण के बावजूद आधुनिक प्रबंधन की जड़ें पश्चिमी मान्यताओं में हैं, जो कठोर उद्देश्यों को प्राप्त करने व शेयरहोल्डर वैल्यू को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है I इसके ठीक विपरीत, व्यवसाय करने का भारतीय तरीका (जैसा कि भारतीय पौराणिकता में स्पष्ट है, लेकिन जो अब चलन में नहीं है) स्वयं में व्यक्तिपरकता एवं विविधता को समेटता है और सफलता प्राप्त करने का सम्मिलित व अधिक प्रभावी तरीका प्रस्तुत करता है I इसमें दर्शन, यानी हम दुनिया को कैसे देखते हैं और समृद्धि को देवी लक्ष्मी के साथ हमारे संबंध को बहुत महत्व दिया जाता है I सफलतापूर्वक चाय की दुकान चलाने से लेकर किसी बहुराष्ट्रीय कंपनी में प्रतिभा विकसित करने जैसी व्यावसायिक स्तिथियों को समझने के लिए बिज़नेस सूत्र हिंदू, जैन व बौद्ध पौराणिकता से ली गई कथाओं, प्रतीकों और अनुष्ठानो का उपयोग करती है I पुस्तक का मुख्य आधार है कि यदि हम मानते हैं कि समृद्धि का पीछा किया जाना चाहिए, तो कार्यस्थल रणभूमि यानी निवेशकों, विक्रेताओं, प्रतिद्वंदियों औए ग्राहकों की युद्धभूमि बन जाता है; यदि हमारी धारणा है कि समृद्धि को आकर्षित किया जाना चाहिए, तो कार्यस्थल रंगभूमि बन जाता है, यानी ऐसी जगज जहाँ सब प्रसन्न रहते हैं I तार्किक, मौलिक और पूरी तरह सुगम बिज़नेस सूत्र विविधता से भरे हुए, तेज़ी से बदलते और लगातार होते ध्रुवीकरण मैं प्रबंधन, व्यवसाय और नेतृत्व के प्रति नए व सुक्ष्म दृष्टिकोण को प्रस्तुत करती है I
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