जय गजानन रूप साईं
जय गजानन रूप साईं तुम आदिदेव,प्रथम पूज्य हो। हाथ में मोदक लिए भक्त हेतु तत्पर खड़े हो। विघ्नहर्ता,जगत्कर्ता तुम मंगल स्वरुप हो। ऋद्धि-सिद्धि चंवर डुलातीं तुम आत्मभू सर्वेश हो। विद्या,विनय,शीलदाता तुम गुणों की खान हो। मन,इंद्री बना मूषक बैठ विचरते सर्वत्र हो। कान सूपाकार,भक्त पुकार सुन हरते त्वरित दुः