नूर निगाहों से जो छलकता है तेरी
काश,खुश्क लबों को तर करता मेरी।
इनायत,करम जिनका बहुत चर्चा है तेरी
काश,कुछ सजाओं को धो डालता मेरी।
दुनिया जहाँ में सब तरफ है अमन तेरी
काश,आरजू ए दिल कभी पूरी करता मेरी।
अँगुलियों को पकड़ कर तो सब चले हैं तेरी
काश,अंगुली पकड़ कर तू चलाता मेरी।
न उम्मीदी जो रह गयी मिलने की तेरी
काश,दिल में बस के दूर करता मेरी।
दौलत,शौहरत से बढ़ कर नज़र है तेरी
काश,भली लगती तुझे भी कुटिया मेरी।
सृष्टि के पोर-पोर बजती है बांसुरी तेरी
काश,"उस्ताद"मुझे मिल जाए शागिर्दी तेरी।