अपेक्षाओ का बोझ ढोते बच्चे
किताबो के पुलंदे तले दबे बच्चे
तर्क-वितर्क में उलझे बच्चे
अविकसित दिमाग से जूझते बच्चे
अबोधवय में अर्जित ज्ञान !
ये तो नहीं कुशाग्रता की पहचान
क्या ये बन तो नहीं रोबोट ,
स्वकेन्द्रित होते बच्चे.
संस्कारो से इनका वियोग तो नहीं,
क्या ये आधुनिकता नाम का रोग तो नहीं?