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मूक

9 मार्च 2017

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मुझे याद है उसके सृजन के गीत.

उसकी शब्दों से दिया जलाने की काबलियत ,

शब्दों से वीणा बजा दिया करता था वो ,

शिकारी जानवरों को नचा दिया करता था वो अक्सर.


वह अब मूक है ,

उसके शब्द ठिठक गये है अब ,

जब से जल विप्लव के खबरे आई है,

भूकंप ने छीन लिए उसके शब्द,

वह पथरा गया देखकर,

आदमी द्वारा आदमियों की, गरदन रेतते हुए.


वह भाव निरपेक्ष हो गया है अब.

रेणु

रेणु

मार्मिक पसंग -

9 मार्च 2017

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मूक

9 मार्च 2017
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मुझे याद है उसके सृजन के गीत. उसकी शब्दों से दिया जलाने की काबलियत ,शब्दों से वीणा बजा दिया करता था वो , शिकारी जानवरों को नचा दिया करता था वो अक्सर. वह अब मूक है ,उसके शब्द ठिठक गये है अब ,जब से जल विप्लव के खबरे आई है, भूकंप ने छीन लिए उस

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अपेक्षाओ का बोझ ढोते बच्चे

10 मार्च 2017
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अपेक्षाओ का बोझ ढोते बच्चे किताबो के पुलंदे तले दबे बच्चे तर्क-वितर्क में उलझे बच्चे अविकसित दिमाग से जूझते बच्चे अबोधवय में अर्जित ज्ञान ! ये तो नहीं कुशाग्रता की पहचान क्या ये बन तो नहीं रोबोट ,स्वकेन्द्रित होते बच्चे. संस्कारो से इनका वियोग तो नहीं, क्या ये आध

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कविता क्या होती है

11 मार्च 2017
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------------- सच मानो ! मुझे पता नहीं, कविता क्या होती है, अक्सर भाव उठते है , जब दुनिया सोती है . पन्ने फड़फड़ाते है,कलम चलने लगती है. शब्द चमचमाने लगे है, लगता है मोती है . सच मानो ! मुझे पता नहीं, कविता क्या होती है, गरीब के आंसू ,किसी अबला की छटपटाहट. रोटी जुटाने में लगे मजदूर की

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उत्तराखंड की जल आपदा

21 अक्टूबर 2021
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कहानी -सेल्स का जॉब

17 नवम्बर 2021
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