रचित जैसे ही अपने घर पहुंचा, अपने कंधे से ऑफिस का बैग लगभग पटकते हुए उसने अपनी पत्नी से कहा," नमिता यह बॉस ने मेरा दिमाग खराब कर दिया है
क्यों अब क्या किया क्या उसने?
पता है नमिता पिछले पांच -छः दिनों से एक ही कस्टमर के पास बार-बार जा रहा हूं, पता है क्यों
क्यों? नमिता ने पूछा
झूठ बोलने के लिए, तंग आ गया हूं यार इस सेल्स की नौकरी से,रचित को इतना झल्लाते नमिता ने कभी नहीं देखा।
पता नहीं आप भी!कभी आप अपने जॉब की तारीफ करते हो कभी आप शिकायत करते हो मेरी समझ से तो सारी चीजें बाहर है जनाब, माहौल को थोड़ा हल्का बनाने का प्रयास करते हुए नमिता ने कहा।
मेरा बॉस सुनता नहीं, कहता है कि तुम्हें कस्टमर हैंडल करना नहीं आता है, आँखिर क्या करू मै?
आज फिर मैंने एक्सक्यूज दिया तो कस्टमर कहने लगा कि आप चार -पांच दिन से एक ही चीज रिपीट कर रहे हो, तुमको ऑर्डर देने से अच्छा तो मैंने ऑनलाइन सामान मंगा लिया होता तो शायद अब तक आ गया होता!
आज पहली बार अपनी लाइफ में इतने गंदे-गंदे शब्द सुने कि मुठ्ठीयां लगभग भींच गईं थी मैंने कैसे रोकी, मै ही जानता हूं।
सुनो नमिता आज मैं खाना नहीं खाऊंगा मेरी खाना खाने की इच्छा नहीं है।तुम खा लेना।प्लीज
आप भी ना रचित कैसी बातें करते हो,, कभी अख़बार देर में आता है तो आप भी, अख़बार वाले पर कैसे झल्लाते हो,याद है ना, याद है,"गंगाधर ही शक्तिमान है "
रचित के चेहरे पर मुस्कराहट लौटी देख नमिता ने कहा "
मुझे पता है आप कितने स्ट्रांग हो चलो जल्दी से फ्रेश हो जाओ,आज मैंने पालक पनीर की सब्जी बनाई है.
"हर फिक्र को धुएं में उड़ाता चला गया"…गुनगुनाते हुए रचित फ्रेश होने बाथरूम चला गया।