बादलों में छिपता चााँद कुछ कहता है
अपनी चाँदनी से अपने ज़ज़्बात की लय में
दिल मे दबा के रखे दिल के अरमान उसे
हर राज उसे जो अमावस पर दिल मे जगे
कै से उसको समझाए दिल की बाते उसे
मन मे बार बार यही ख्याल उठे
बिन कुछ कहे बादलो से वो बातें करे
जल जल के चांदनी उससे दूर रहे
खफा खफा सी उसको वो यूं देखा करे
आज मेर दिल क्यों बादलों से जले
कहे चन्दा भी हंसकर क्यों सनम
तू क्यों अफसोस करे चाँद तेरा है
सिर्फ तेरा है फिर क्यों तेरे अश्क़ बहे
उड़ते हुए बादलो में छिप के क्यों
तुझको क्या आराम न मिले
मुझको देख बादल संग तेरे ठंडी आहें भरे
कसम से मेरी चाँदनी तूयूां न मुझ से दरू हो
तेरे बिना मेरा वजूद कुछ भी नही ना
तम्मना है दिल की जब तक ये दुनिया रहे
चांद की चाँदनी ऐसे साथ रहे
उम्मीद रहे प्यार रहे जीने का एहसास रहे