आज दिनांक 23-8-2023 शाम 6:15 pm को हमारे भारत देश का चन्द्रयान को प्रार्थना के साथ शुभ मुहूर्त आइए चंद्रयान-3 के धरती से चांद तक का पूरा सफर जानते हैं। कैसे चंद्रयान-3.84 लाख किलोमीटर की दूरी तय करेगा और इसकी क्या-क्या खासियत होगी?
भारत एक नया कीर्तिमान रचने के लिए तैयार है। भारतीय वैज्ञानिकों ने दोपहर ढाई बजे श्रीहरिकोटा से चंद्रयान-3 को लॉन्च कर दिया। भारत ही नहीं पूरी दुनिया की नजर इस मिशन पर टिकी है। चंद्रयान-3 मिशन के अंतर्गत इसका रोबोटिक उपकरण 24 अगस्त तक चांद के उस हिस्से (शेकलटन क्रेटर) पर उतर सकता है जहां अभी तक किसी भी देश का कोई अभियान नहीं पहुंचा है। इसी वजह से पूरी दुनिया की निगाहें भारत के इस मिशन पर हैं। चंद्रयान-3 को LVM3 रॉकेट से लॉन्च किया गया। लैंडर को सफलतापूर्वक चांद की सतह पर उतारने के लिए इसमें कई तरह के सुरक्षा उपकरणों को लगाया गया है। चंद्रयान-3 मिशन की थीम Science Of The Moon यानी चंद्रमा का विज्ञान है। आइए चंद्रयान-3 के धरती से चांद तक का पूरा सफर जानते हैं। कैसे चंद्रयान-3.84 लाख किलोमीटर की दूरी तय करेगा और इसकी क्या-क्या खासियत होगी?
36 हजार 968 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से आगे बढ़ेगा चंद्रयान
दोपहर 2.35 बजे LVM3 रॉकेट के जरिए चंद्रयान-3 लॉन्च किया गया। तब इसकी शुरुआती रफ्तार 1,627 किमी प्रति घंटा थी। लॉन्च के 108 सेकंड बाद 45 किमी की ऊंचाई पर इसका लिक्विड इंजन स्टार्ट हुआ और रॉकेट की रफ्तार 6,437 किमी प्रति घंटा हो गई। आसमान में 62 किमी की ऊंचाई पर पहुंचने पर दोनों बूस्टर रॉकेट से अलग हो गए और रॉकेट की रफ्तार सात हजार किमी प्रति घंटा पहुंच गई। करीब 92 किमी की ऊंचाई पर चंद्रयान-3 को वायुमंडल से बचाने वाली हीट शील्ड अलग हुई। 115 किमी की दूरी पर इसका लिक्विड इंजन भी अलग हो गया और क्रॉयोजनिक इंजन ने काम करना शुरू कर दिया। तब रफ्तार 16 हजार किमी/घंटा थी। क्रॉयोजनिक इंजन इसे लेकर 179 किमी तक ले गया और इसकी रफ्तार 36968 किमी/घंटे थी।
40 दिन में पूरा होगा सफर
धरती से चांद की दूरी करीब 3.84 लाख किलोमीटर है। चंद्रयान-3 इस दूरी को 40 से 50 दिनों में तय करेगा। मतलब अगर सबकुछ सही रहा तो 50 दिनों में चंद्रयान-3 का लैंडर चांद की सतह पर होगा। इसरो की योजना के मुताबिक, इसे 23-24 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर विक्रम लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग कराई जाएगी। अगर दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर की सॉफ्ट लैंडिग होती है, तो भारत दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला विश्व का पहला देश बन जाएगा।
हमारा प्रगतिशील भारत देश अब शान हैं। भारतवासियों का गर्व और नाम है।