shabd-logo

धर्म से दूर ब्राह्मण

11 अगस्त 2022

74 बार देखा गया 74
वे भूल नहीं रहे हैं धर्म को आप उन्हें, उससे दूर कर रहे हैं। यह बात आप की आप के समाज की है। कई बार हमारा ऐसे सवालों से, सामना होता है कि हम उसका उचित या सही उत्तर देने से अच्छा ,मौन रहना समझते हैं। या किसी अन्य की बात में हा से हां मिलाते हैं  कहीं बार हम किसी जगह या किसी कार्यक्रम में मिलते हैं तब उन बातों पर चर्चा करते हैं इसमें मुख्य रूप से दो बातें होती है। (1)  ब्राह्मण ने अपने गले में घंटी बांधी है,( सारे नियमों और रीति-रिवाजों की) (2) (अपने लड़के कुछ नहीं करेंगे उन्हें यह सब पसंद नहीं ) ये दो बाते शादी से शमशान हर जगह होती है। कुछ ब्राह्मण इसे बड़े गर्व से अपने पुरखों की गलती मानते है। आज हम बात करेंगे उन दो मुद्दों में से दूसरे मुद्दे की, पहले वाले मुद्दे पर अगली बार लिखूंगा।  आज मुद्दा है अपने लड़के यह सब नहीं करेंगे, उन्हें यह सब नहीं आता, यह सब पता नहीं, यह सब उन्हें पसंद नहीं । आपने कहीं भी खड़े हो अपने समाज में यह बात जरूर आती है कि हम पाल रहे हमारे बच्चे तो नहीं पालेंगे । कुछ भी नियम हो,  जन्म से मरण के सारे नियम हो बस हमारे बच्चे नहीं करेंगे। यही वह लाइन है जो उन्हें हमारे नियम धर्म और उसके बारे में जानने से दूर कर रही है।(उसे यह सब पसंद नहीं) यही बोल कर आज कल सब मां-बाप छूट जाते हैं। हकीकत तो यह है कि वो बच्चे अपने धर्म को नहीं भुल रहे हैं। आप लोग खुद उन्हें उस से दूर रख रहे है। अपने ब्राह्मण धर्म से उसके नियमों से और फिर कहते उन्हें नहीं आता उन्हें यह सब पसंद नहीं । इस दुनिया में किसी को कुछ नहीं आता, जब बच्चा जन्म लेता है तब उसे भी कुछ नहीं आता पर हम उसे सब कुछ सिखाते हैं वह अपने आप कुछ नहीं सिखाता । शिशु 1 या 2 साल का होता है तब हम कैसे उसे सिखाते हैं मां बोल, मम्मी बोल, मम्मी मां, पापा बोल हजार बार यह रट हम उसके सामने लगाते तब जाकर वह हमसे सीख कर सुन कर वो मां, मम्मी,पापा बोलता है। वो ये सब इसलिए बोलता है कि हमने उसे सिखाया है। हमने उसे जोड़ा है इन सब से कि मैं मां हूं, मैं पिता हूं । तो फिर वह ब्राह्मण धर्म से क्यों नहीं जुड़ता । इसका कारण ये है की हम खुद उसे इन सब दूर रखते है। उसे अपने ब्राह्मण नियम के सिवा सब कुछ अच्छी तरीके से आता है किसकी शादी में उसे कब और क्या पहनना है। उस शादी में क्या-क्या प्रोग्राम होंगे कितने ड्रेस चाहिए कौन से टाइम पर कौन सा ड्रेस उसको पहनना है यह सब उसे अच्छी तरीके से पता है। क्योंकि यह सब बचपन से हम उसे सिखाते आए शादी हो यज्ञों पवित्र हो या घर का कोई भी ऐसा अच्छा प्रोग्राम हो किस टाइम किस तरह के कपड़े पहनने हैं यह सब हम उसे बचपन से सिखाते आ रहे हैं। आज पाठ के दिन, बिंदोली के दिन, डांस में, बारात आने पर, बारात जाने पर, बिंदोली में कब उसे क्या पहनना है ? कितने जोड़ी कपड़े चाहिए यह सब वह आज अच्छी तरह से जानता है क्योंकि हमने हमेशा उनको इन सब से जोड़ कर रखा है । हमने उसे वह सब सिखाया खुद से पहले हमने उसे तैयार किया इसके लिए आज वो इन सब बातों के बारे में जानता है। पर जब कभी ब्राह्मण के नियम वाले कार्यक्रम हो तो वह लड़का ना बोले या ना बोले, उससे पहले उसके मां-बाप जरूर बोलते है। उसे तो यह सब नहीं आता, वह इन सब में कहीं नहीं जाता, उसे तो यह सब पसंद नहीं । कितनी आसानी से कह देते वो। तो क्या उसे बचपन से शादी और बाकी कार्यक्रम का ज्ञान था। वह अपने आप जाता था उन सब में, नहीं ना आप ही उसे आगे होकर लेकर जाते थे आपने ही उसे सब कुछ सिखाया ना।  फिर वह बाकी में क्यों नहीं जाता कि उसे उन सब नियमों का ज्ञान क्यों नहीं। आज हमारे समाज में सबसे बड़ी बात है किसी की मृत्यु होने पर ब्राह्मण की कमी और उससे भी बड़ी कमी उस विधि को जानने और समझने वालों की कइयों को तो पता ही नहीं कि क्या करना है। कुछ है जो थोड़ा बहुत जानते  है। आप खुद ही देखे कि यदि आप की मृत्यु हो जाए तो आप के पुत्र या परिवार मैं किसी को पता ही नहीं होगा कि क्या करना है कैसे करना है हम कभी इस बारे में सोचते ही नहीं बल्कि इन सब नियमों को फालतू बताकर शान से कहते हैं। कि अपनी संतान यह सब नहीं करेगी । इन सब का कारण हम खुद है क्योंकि हमने कभी उन्हें आगे किया ही नहीं इन सब बातों में, जब भी हमारे परिवार कुटुम्ब में किसी की मृत्यु हुई तब हमने आपने क्या किया बेटा तू स्कूल जा , बेटा तू कॉलेज जा ,तू ऑफिस जा , मृत्यु वाले घर पर हम जाकर आते हैं l हर बार ऐसा कुछ कह कर या कर के हमने खुद उन्हें इन सब से दूर रखा, फिर आप वहां जाकर क्या बात करते हैं इतने सारे नियम कौन पालेगा अपने बच्चे तो नहीं करेंगे । अरे आप उन्हें सिखाएंगे नहीं दिखाओगे नहीं तो वह कैसे समझेंगे, यदि आप जा रहे हो तो उससे बोलो कि मेरे साथ चल जब वह आपके साथ आएगा देखेगा समझेगा तब वह जाने का उन नियमों को ,इसके लिए आप पहले उसे साथ लेकर जाए। आप या और कोई वहां जो कुछ करता है धीरे-धीरे उसके दिमाग में बैठता है जब कभी वह किसी ऐसी जगह होता है जहां मृत्यु की विधि के जानकार कम हो तब वह खुद आगे बढ़कर कार्य करता है क्योंकि उसने देखा है उसे याद आता है कि क्या करना है क्या नहीं करना किस चीज की जरूरत है कैसे करना है। जब कभी कहीं पर ऐसी स्थिति होती है कि नियमों को जानने वाले कम हो या सही से जानने वाले नहीं हो तब उसका मन बोलता है। आगे बढ़कर कार्य करने का और वह अपने आप पर गर्व करता है कि हां वह इन नियमों को जानता है उसे गर्व होता है। कि उसने गलत को सही तरीके से करवाया। पर ज्यादातर घरों में एक ही बात होती है यह हमारे तो कहीं नहीं जाता, हमारे इससे पसंद नहीं इन सब बातों में एक बात गौर करने की यह जब किसी की शादी हो, कोई कार्यक्रम हो,  रिसेप्शन हो, किसी की बर्थडे पार्टी हो आप अपने बच्चों को कहते हैं तैयार हो जाना हमको वहां जाना है जल्दी घर आ जाना छुट्टी लेले। तब हम यह क्यों नहीं कहते ( हमारे तो यह कहीं नहीं जाता इससे पसंद नहीं ) पर जब किसी की मृत्यु हो या ऐसा कुछ हो तब हम लोग ही उनसे कहते हैं तू स्कूल जा, कॉलेज जा, तू ऑफिस जा, तुझे आने की जरूरत नहीं छुट्टी लेने की जरूरत नहीं अरे हम जाकर आते है, तेरा वहां पर क्या काम है, तू घर पर आराम कर। कुछ लोग तो ऐसा कहते है ऐसा कर सीधे शमशान चले जा और वहीं से घर आ जाना। पापा ने मुंडन करवाया है तू नहीं करवाएगा तो चलेगा हमारे, तो उसके ऑफिस है वहां पर वह मुंडन करवा कर जाए तो अच्छा नहीं लगता, उसको तो अपने बालों से बहुत प्यार है वह तो किसी को हाथ भी लगाने नहीं देता। यह सब बातें हमें अपने बच्चों से कहते हैं और उसे सिखाते हैं और फिर बाहर आकर 4 लोगों के बीच में बड़ी शान से बोलते इतने सारे नियम हमारे बच्चे तो यह सब नहीं करेंगे उन्हें तो यह सब पसंद भी नहीं। बच्चों के पहले गुरु उसके माता-पिता होते यह बात आप मैं और सारा संसार जानता है जब किसी का बच्चा चोरी करता है कुछ छोटी चीज चुराता है अपने ही घर से और उस बच्चे की चोरी की बात जब आपके घर में होती है और आप अपने बच्चे के सामने यह बात करते हैं कि उसने अपने घर से चुराया है तो क्या हुआ इसमें उसको इतना मारने की क्या जरूरत थी उसने थोड़ी कोई बैंक लूटा है । बस हमारे यही विचार जब बच्चा सुनता है तब वह समझता है कि बैंक लूटना गलत है । अपने घर में छोटी मोटी चीज चुराना गलत नहीं है और इसके लिए उसे कोई सजा भी नहीं मिलेगी अपने मां बाप से , क्योंकि वह खुद इस बात को कह रहे हैं यानी वह खुद इस बात को मानते ठीक उसी तरह से वह आपके कर्म और नियमों को क्यों नहीं मान सकता क्योंकि या तो खुद आपने अपने जीवन में सीखा नहीं या आप उसके प्रति उदासीन रहे। इसलिए आप अपने बच्चों को भी इन सब से दूर रखते हैं  जब कोई आपके बच्चे को ऐसे कर्म या नियम के पालन के लिए बोलता है तो वह खुद ना नहीं बोलेगा। क्योंकि उसे पता है कि उसके ना बोलने से पहले उसके माता-पिता ही ना बोल देंगे। क्योंकि वह एक बात बहुत समय से सुनता आ रहा है अपने मां-बाप से कि इसे तो इन सब में रुचि ( इंटरेस्ट )नहीं है। बस हो गई बात पूरी उस बच्चे को कुछ बोलने की जरूरत ही नहीं है आपको। कुछ लोग कहते हैं कि बच्चे इन सब में रुचि (इंटरेस्ट) नहीं लेते,इस धरती पर जन्म लेने वाला कोई भी बच्चा उसका हर वस्तु में रुचि इंटरेस्ट लेने का माध्यम आप है। हमारे आसपास का माहौल है जब वह हमें क्रिकेट खेलते या देखते हुए देखता है मजे करते हुए देखता है तो वह भी हमारे साथ उसी तरह से उस में रुचि इंटरेस्ट लेता है। जब आप अपने बेटे से कहते हैं यह बड़ा होकर डॉक्टर, सी ए ,आई एस ऐसा बनेगा यह बनेगा उसकी ऐसी पोस्ट होती है उसका ऐसा काम होता है तब वह भी इन सब बातों में मैं रुचि,( इंटरेस्ट) लेकर कुछ ना कुछ बनने की रुचि रखता है ।कैसे क्योंकि वह सब कुछ आप से सुनता है आपसे समझता है आप उसे जोड़ रहे उन सब से डॉक्टर से सीए ए, आई ए एस, उसे कुछ पता नहीं होता कि एक डॉक्टर का काम क्या होता है क्या पढ़ाई होती है लेकिन जब कोई उससे पूछता है तुम क्या बना चाहते हो। तो वो कहता डॉक्टर क्योंकि आपने उसको उस चीज से जुड़ा है। इसी तरह आप इन कार्यों में भी अपने बच्चों को साथ लेकर जाए उन्हें आगे करें तभी वह सीखेंगे अभी भी वक्त है उनसे यह सब बातें करें अपनी जगह उन्हें भेजें साथ लेकर जाए क्योंकि कल जब आप की मृत्यु हो तब सब एक दूसरे का मुंह देखते हुए सोचेंगे कि क्या करना है कैसे करना है । इसलिए जितना हो आप उन्हें सिखाओ थोड़ा ही सही पर सिखाओ आपका सिखाया आपके मृत्यु पर आपके ही काम आएगा। मैंने जो देखा जो सुना 4 लोगों के बीच में बैठकर उस आधार पर यह मेरे विचार है सबके अपने अपने विचार होते हैं अच्छा लगे तो ग्रहण करें वरना फालतू समझकर जाने दे । 

लेखक = उत्तम एल.वी. त्रिवेदी 
                भारजा

 

27 सितम्बर 2022

Uttam Trivedi

Uttam Trivedi

27 सितम्बर 2022

धन्यवाद आपका का जी ।

1
रचनाएँ
धर्म से दूर ब्राह्मण
0.0
आज की युवा पीढ़ी अपने नियमों से दूर हो रही है , और हम इस बात को लेकर बस बाते करते है। क्या कारण है ये जाना नही चाते ,और जानते है तो भी उसके बारे में बात नही करते क्या कारण है , ये विचार इस किताब में लिखा है।

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए