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तीखेशब्द

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घर आँगन में फुदकती चूं - चूं करती चिरैया,कोई बता दे कहाँ गई वो प्यारी गौरैया...-दिनेश कुमार कीर

कहानी : - नटखट मोरनी एक घने से जंगल में बहुत नटखट मोरनी रहती थी । वह सभी को बहुत परेशान करती थी । वह किसी के पकड़ में नहीं आती थी ।एक दिन जंगल के कुछ जानवरों ने मिलकर एक योजना बनायी कि हमें जैसे

कौआएक समय की बात है, पढ़ाई के लिए बाहर दूसरे शहर में किराये का एक नया कमरा लिया है, उस के एक तरफ बालकनी लगी हुई थी। मुझे यहाँ पर सब कुछ बहुत पसंद है बस नहीं पसंद है, तो एक कौवे की आवाज ! जो अक्सर कमरे

वे भूल नहीं रहे हैं धर्म को आप उन्हें, उससे दूर कर रहे हैं। यह बात आप की आप के समाज की है। कई बार हमारा ऐसे सवालों से, सामना होता है कि हम उसका उचित या सही उत्तर देने से अच्छा ,मौन रहना समझते हैं। या

1.मैंने उनके अपनेपन का भरम पाल रखा था।मैं उनका निकला, वे मेरे न हुए।।2.इतना अच्छा होना भी बहुत अच्छा नहीं होता......लोग हर बात में बेचारा कहा करते हैं।3.सब समंदर बने बैठे है..आओ दरिया से कुछ पानी उधार

मेरे पिता ने तो मेरा नाम गदाधर सिंह रखा था और बहुत दिनों तक मैं इसी नाम से प्रसिद्ध भी था परन्तु समय पड़ने पर मैंने अपना नाम भूतनाथ रख लिया था और इस समय यही नाम बहुत प्रसिद्ध हो रहा है। आज मैं श्रीमान

परमात्माप्रेम है एक अनुभूति है भगवान का अर्थ किसी व्यक्ति से नहीं है ।इसलिए यह न पूछें कि उसकी शक्ल क्या है औरवह कैसे रहता है ?भगवान से अर्थ है एक अनुभूति का ।कोई नहीं पूछता है कि प्रेम कैसा है औ

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