समीक्षा-राना लिधौरी: गौरव ग्रंथ- संपादक -रामगोपाल रैकवार’ प्रकाशक- म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़ समीक्षक -एन.डी. सोनी, टीकमगढ़ मूल्य-1200/सजिल्द, पेज-426 सन्-2023 गौरव ग्रंथ या अभिनंदन गं्रथ लेखन की परम्परा साहित्य जगत में काफी समय से प्रचलित है,लेकिन हाल के कुछ बर्षो में इस परम्परा में बहुत तेजी से विकास हुआ है। पहले अच्छे स्थापित साहित्यकारों की संख्या कम होती थी और बर्षों में कोई सम्पादक अभिनंदन ग्रंथ लेखन की हिम्मत जुटा पाता था। आज साहित्य लेखन का विकास बहुत तेजी से हो रहा है और साहित्यकार कम समये में अधिक लेखन कर पुस्तकों का प्रकाशन कर रहे हैं और साधनों की सुलभता से उनका काम और नाम सबके सामने आ रहा है। मीडिया के माध्यम से उनकी ख्याति में चार चाँद लग रहे हैं। हर जिले में ऐसे साहित्यकार उभर कर सामने आ रहे हैं। इसी कड़ी में टीकमगढ़ जिले के मध्यप्रदेश लेखक संघ के जिलाध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने कम समय में अधिक लेखन कर ख्याति अर्जित की हैं वे गद्य एवं पद्य दोनों विधाओं में विभिन्न प्रकार से लेखन कर रहे हैं । वे ‘आंकाक्षा’ पत्रिका का विगत 18 वर्षों से सफल संपादन करते आ रहे है और ई-बुक्स लेखन में तो उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नए-नए रिकार्ड बनाए है। उन्होंने मात्र दो साल की अल्प अबधि में ही 133 ई बुक्स का ई प्रकाशन कर एक कीर्तिमान स्थापित कर दिया है। राना लिधौरी के इक्यावनवें जन्मदिन पर उनके निकटतम सहयोगी और घनिष्ट मित्र रामगोपाल रैकवार ने उन्हें गौरव ग्रंथ समर्पित कर एक बहुमूल्य तोहफा भेंट किया है। यह ग्रंथ राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ के जीवन की ऐसी निधि है जो उन्हें आत्म संतोष के साथ प्रेरणा स्रोत का काम करेगी और वे अधिक लेखक का प्रयास करेंगे। यह गौरव ग्रंथ चार सौ छब्बीस पृष्ठों का है जिसे सम्पादक ने आठ खण्डांे में विभक्त किया है। म.प्र.लेखक के प्रदेशाध्यक्ष डाॅ. राम बल्लभ आचार्य ने ग्रंथ की भ्ूामिका लिखकर ‘राना लिधौरी’ और ग्रंथ का गौरव बढ़ाया हैं प्रथम खण्ड में राना लिधौरी पर केन्द्रित आलेख है जो उनकी प्रतिभा को उजागर करते हैं। इस खण्ड में उनके जीवन से जुड़े मित्रों और साथी साहित्यकारों ने उनके लेखन के विविध आयामों पर प्रकाश डाला है। डाॅ. बहादुर सिंह परमार,छत्रसाल विश्व विद्यालय(छतरपुर) और संतोष सिंह परिहार (बुरहानपुर)जैसे प्रतिष्ठित साहित्यकारों ने भी राना लिधौरी
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