shabd-logo

common.aboutWriter

no-certificate
common.noAwardFound

common.books_of

प्यार के दो रंग

प्यार के दो रंग

गर्मी का मौसम था। चांदनी रात था। हम सब दोस्त बाहर रोड के किनारे अपने खलिहान में बैठे हुए थे। हमारे बीच एक बुजुर्ग भी बैठा करते थे जिन्हें हम दादा जी कहा करते हैं। मैं बोला दादा जी मैं नहर के किनारे से घूम करके आता हूं, दादा जी ने हमें डांटते हुए बोल

1 common.readCount
2 common.articles

निःशुल्क

प्यार के दो रंग

प्यार के दो रंग

गर्मी का मौसम था। चांदनी रात था। हम सब दोस्त बाहर रोड के किनारे अपने खलिहान में बैठे हुए थे। हमारे बीच एक बुजुर्ग भी बैठा करते थे जिन्हें हम दादा जी कहा करते हैं। मैं बोला दादा जी मैं नहर के किनारे से घूम करके आता हूं, दादा जी ने हमें डांटते हुए बोल

1 common.readCount
2 common.articles

निःशुल्क

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए