गर्मी का मौसम था। चांदनी खुनी पहाड़ एक अनोखी कहानी था। हम सब दोस्त बाहर रोड के किनारे अपने खलिहान में बैठे हुए थे। हमारे बीच एक बुजुर्ग भी बैठा करते थे जिन्हें हम दादा जी कहा करते हैं।
मैं बोला दादा जी मैं नहर के किनारे से घूम करके आता हूं, दादा जी ने हमें डांटते हुए बोला अभी कहां जाएगा रात को 11:00 बज रहे हैं नहर के किनारे जाना खतरे से खाली नहीं है।
दादाजी को हंसते हुए जवाब दिया, दादा जी आखिर ऐसी क्या बात है जो कि नहर के किनारे रात को हम नहीं जा सकते हैं यह तो हमारा अपना गांव है हम यहां पर कहीं भी जा सकते हैं।
दादा जी ने हमें समझाते हुए बोला अरे... लोग कहते हैं रात को नहर के किनारे चुड़ैल निकलती है और इंसानों को मार देती है, यह बात मुझे बड़ी अजीब लगी और मैं इसके बारे में सोचने लगा मैंने सोचा मैं इसके बारे में पता जरूर लगाऊंगा।
फिर दूसरे दिन रात को हम गपशप कर रहे थे, रात को 11:00 बज रहे थे, कि मैं चुपचाप से उठकर घर के पीछे वाले रास्ते से नहर के किनारे चला गया, फिर मैं वहां पर चुपचाप बैठ गया।
थोड़ी ही देर बाद मुझे एक पायल की आवाज आई, जैसे कोई लड़की चल रही हो, मैंने बोला कौन है.. कौन हो तुम? फिर एक लड़की अचानक से मेरे सामने प्रकट हो गई।
उसका बड़े बड़े काले बाल हवा में बिखरे हुए उड़ रहे थे उसकी आंखें जैसे आग की अंगारों की तरह रही थी उसके दोनों हाथ के नाखून जैसे तलवार से भी तेज थे, लाल कपड़ों में लिपटी हुई थी।
फिर मैंने उससे पूछा कौन हो तुम। उसने भारी आवाज में मुझे जवाब दिया, तुम कौन हो और तुम यहां क्या कर रहे हो तुम्हें पता नहीं की रात को हमारे सीमा के अंदर आना जानलेवा हो सकता है।
मैंने जवाब दिया, तुम चाहे जो भी हो तुम यहां के लोगों को डरा रही हो तुम यहां से चली जाओ वरना तुम्हारे लिए ठीक नहीं होगा, उसने फिर अपने चेहरे से काले बालो को हटाया,
फिर मैं उसका चेहरा देख कर के सहम गया, क्योंकि और कोई भूत प्रेत नहीं थी वह एक इंसान थी, हमारे गांव की एक नाउ की बेटी थी जो की चुड़ैल बने फिर रही थी, और लोगों को डरा रही थी।
फिर और लड़की ने मेरे तरफ देखा उसके देखते ही मैं उसके बस में हो गया, ओ आगे आगे चलने लगी और मैं उसके पीछे पीछे जैसे खींचा हुआ चला जा रहा था।
फिर वह मुझे श्मशान घाट लेकर के चली गई, और सामने खड़े होकर के मेरे सट की ऊपर वाले बटन को खोलती है, और मुझे बोली आज मैं तुमको इतना प्यार दूंगी कि जिंदगी के हर दुख को भूल जाओगे इसके बाद मैं तेरा यहां पर बलि चढ़ा आऊंगी जिससे मैं और भी शक्तिशाली हो जाऊं।
मेरे सट की ऊपर की दो बटन को खोलती है। मैंने अपने गले में ओम का माला पहना हुआ था, दो बटन खुलते ही गले से बाहर आ गए, ओम की माला को देख कर के ओ लड़की पीछे की ओर हटी और चित्रकार ने लगी।
और बोली मुझे माफ कर दो मुझसे गलती हो गई मैं दोबारा ऐसी गलती नहीं करूंगी, इतने में मैं उसके बंधन से मुक्त हो गया, फिर मैंने देखा मैं एक श्मशान घाट में खड़ा हूं, मुझे डर भी बहुत लग रहा था, मैंने भगवान भोलेनाथ का नाम लिया, और वहां से वापस आ गया।
फिर मैं अपने घर के अंदर गया और वहां किसी को कुछ बताए बिना ही अपने कमरे में जाकर के लेट गया और सोचने लगा, मेरे मन में यही बात चल रही थी कि यह सब तो अंधविश्वास है ऐसा कैसे हो सकता है।
फिर दूसरे दिन हम सब उसी जगह पर गपशप कर रहे थे और वहां पर दादाजी भी मौजूद थे, मैंने बोला दादाजी उस नहर के किनारे हम जाएंगे तो हमें क्या खतरा हो सकती है, दादा जी ने जवाब देते हुए बोला।
उन्होंने समझाते हुए बोला, कि वहां पर एक चुड़ैल रहती है जो रात को निकलती है वह किसी के भी भेश में आ सकती है, मैंने बोला दादाजी और चुड़ैल कहां पर रहती है? दादाजी ने हंसकर के जवाब दिया, ओ पहाड़ी की खोह से आती है।
मुझे दादा जी के बात पर भरोसा नहीं हुआ और मनगढ़ंत कहानी समझ करके मैं इस बात को टाल दिया, क्योंकि मैंने जो अपनी आंखों से देखा था वह चुड़ैल नहीं एक लड़की थी।
फिर दादा जी ने हमें समझाते हुए बोला ,कि उस पहाड़ी की खोह कि ओर कभी मत जाना वहां से कोई जिंदा वापस नहीं लौटता है, दादाजी के बातें सुनकर के हम लोग बहुत ही चिंता में पड़ गए, मन में सोचने लगे ऐसा भी थोड़ी होता है यह मनगढ़ंत कहानी है।
फिर मुझे किसी काम से गांव के बाहर जाना पड़ा, मैं उधर से पूरे 6 महीने के बाद वापस अपने गांव लौटा, मुझे अभी तक उस पहाड़ी की खोह वाली बात अभी तक याद है।
फिर एक दिन मेरा दोस्त मुझे बोला कि चलो यार उस पहाड़ी की खोह की और चलते हैं, फिर मुझे दादा जी की ब्बात याद आई, मैंने अपने दोस्त को मना कर दिया मैं बोला मैं उस पहाड़ी की खोह में नहीं जाऊंगा जहां पर खतरे से खाली नहीं है।
फिर मेरा दोस्त उस तरफ अकेला ही चला गया मैंने उसे बहुत मना किया लेकिन मेरी एक न सुनी, फिर मैं जल्दी से वापस आया और उसके घर जाकर के उसके पिताजी को सारी बात बताई, उसके पिताजी मेरे पिताजी के पास आए और बोले,
मेरा बेटा पहाड़ी की ओर चला गया है आप साथ में चलिए और उसे ढूंढने में मेरी मदद कीजिए, मेरा पिताजी ने जवाब दिया, ठीक है चलो चलते हैं आखिर वह वहां गया ही क्यों।
फिर मेरे दोस्त के पिताजी और मेरे पिताजी उस पहाड़ी की ओर चल दिए मैंने भी उनके पीछे पीछे चल दिया फिर हम उस खोह ओर पहुंच गए जिधर कांग्रेश गया हुआ था,
फिर उन्होंने मुझसे पूछा रे लड़के अपने दोस्त को किधर जाते हुए देखा था। फिर मैंने जवाब दिया ,इधर उस रास्ते की ओर मेरा दोस्त जा रहा था। फिर मेरे पिताजी बोल उठे यह रास्ता तो उस खूनी खोह कि और जाता है, जहां से कोई जिंदा वापस नहीं आता, हम सब बिल्कुल डर गए थे और उसी रास्ते पर चल पड़े जिस रास्ते पर मेरा दोस्त गया हुआ था।
कुछ ही देर में चीखने की आवाज आई अरे कोई है... बचाओ.. बचाओ.. फिर हम सब उस आवाज की ओर भागे जिधर से वह आवाज आ रहा था, जैसे ही पास पहुंचे आवाज और जोरो से सुनाने लगी, फिर मेरे दोस्त के पिता जी ने बोला यह तो मेरे बेटे की चीखने की आवाज है, लगता है वह कोई संकट में है हमें वहां जल्दी पहुंचना चाहिए।
फिर हमने जो देखा वह बहुत ही दर्दनाक था। मेरा दोस्त एक गड्ढे में गिरा हुआ है जो कि कुएं तरह विशाल था, फिर हमने जल्दी-जल्दी जंगल से कुछ रसिया व्यवस्था की और रस्सी के सहारे हमने मेरे दोस्त को बाहर निकाला।
उसका हालत बहुत खराब था जैसे मौत के मुंह में समा गया हो, फिर हमने गांव से एक खटिया मंगवाई और खटिया पर उसको लादकर गांव की ओर ले चले, गांव के अंदर घुसते ही मेरे दोस्त का देहांत हो गया।
तब मेरे मन में एक विचार आई कि जो दादा जी कह रहे थे वह सब कुछ सही हो रहा है हमें इसके बारे में दादा जी से पता लगाना चाहिए, कुछ दिन गांव में सन्नाटा छाया हुआ था धीरे-धीरे सब लोग मेरे दोस्त की मौत को भूल गए और फिर से हम उसी जगह पर बैठकर गपशप करने लगे।
फिर मैं दादा जी से गपशप के दौरान पुछ बैठा दादा जी, उस पहाड़ी में ऐसा क्या बात है जो कि लोग जाते हैं तो जिंदा नहीं बचते हैं कुछ इस पहाड़ी के बारे में आप जानते हो तो मुझे बताओ।
फिर दादा जी ने बच्चों की बातें सुना उन्होंने कहा मैं एक कहानी सुनाता हूं इसे ध्यान से सुनना जो कि मैं अपने दादाजी से सुना था आज मैं यही बात तुम लोग को बताऊंगा,
दादा जी ने बोला, एक समय की बात है, यहां पर एक बहुत ही सुंदर राज्य हुआ करता था, यहां का राजा बहुत अत्याचारी और हुआ करता था। यहां का प्रजा अपने राजा से नाखुश रहा करते थे।
दादाजी ने बात को आगे बढ़ाते हुए बोला, उस राजा की 1 बेटी थी जो कि इस राज्य की राजकुमारी थी देखने में बहुत सुंदर और करुणामई थी। राज्य महल से कुछ दूर में आम का बगीचा था जो कि स्याही बगीचे के नाम से प्रसिद्ध था।
उस बगीचे में राजमहल के अधिकारी और राजमहल के लोग हि जाया करते थे बाहरी लोग को वहां जाना सख्त मना था। उसी बगीचे के रास्ते में एक झोपड़पट्टी पढ़ता था। वहां एक ब्राह्मण रहा करता था जिसका बेटा बेहद सुंदर और गुणवान था। वह बगीचे में राजा के आदेश से फूल तोड़ने जाया करता था और राजमहल पहुंचाया करता था ।
राजकुमारी एक दिन सुबह-सुबह ही बगीचे की ओर चल दिए, उसी समय ब्राह्मण का लड़का वहां पर फूल तोड़ रहा था, ओ जब एक दूसरे को देखें तो देखते ही रह गए और उन दोनों में प्रेम हो गया
अब एक दूसरे के बिना नहीं रह सकते थे, राजकुमारी बार बार बगीचे में जाया करती थी और ब्राह्मण के लड़के से हमेशा प्रेम भरी बातें किया करती थी। धीरे-धीरे बात फैलने लगी, और यह बात राजा तक पहुंच गई।
फिर राजा ने राज्यसभा में कड़कते हुए बोला, सैनिकों जाओ और उस ब्राह्मण के पिल्ले को पकड़ के ले आओ जो राजमहल की ओर नजर उठा कर के देख रहा है वह क्या समझता है उचक्कर के चांद को छू लेगा।
आज मैं उसे ऐसा ढड दूंगा , देखने वाले की आत्मा कांप उठेगी, फिर बहुत सारे सैनिक गए और कुछ ही देर में उस ब्राह्मण के लड़के को पकड़ कर के राज्यसभा में ले आए।
राजा ने उससे पूछा, क्यों रे लड़के तुम इतना बड़ा नहीं हुआ है कि राजमहल की इज्जत के ऊपर नजर ठाकर देखें, ब्राह्मण के लड़का ने डरते डरते जवाब दिया, महाराज मैंने आपका इज्जत से नजर नहीं डाला, बल्कि राजकुमारी भी हम से प्रेम करती हैं।
राजा ने महिला सैनिकों को आदेश देते हुए बोला, जाओ राजकुमारी को महल के अंदर वाले कारागार में बंद कर दो, महिला सैनिक जाते हैं और राजकुमारी को कारागार में बंद कर देते हैं, फिर राजा ने आदेश देते हुए गोला ले जाओ इस ब्राह्मण के लड़के को भी कारागार में डाल दो और आज रात होते ही इसे मारकर पहाड़ी के अंदर फेक देना।
जो आज्ञा महाराज, एक सैनिक ने जवाब देते हुए बोला।
समय गुजरता गया और रात हुई, राजा के सैनिक ने ब्राह्मण के लड़के को पकड़ कर पहाड़ी की ओर ले जाने लगे, ब्राह्मण का लड़का बहुत रोया और गिड़गिड़ाया पर उस पर दया किसी ने ना दिखाई, फिर सैनिक पकड़कर उसे पहाड़ी की खोह में डाल दीए,
वहां पर ब्राम्हण के लड़के ने तड़प तड़प कर दम तोड़ दी, जब यह बात राजकुमारी तक पहुंची तो फूट फूट कर रोने लगी, राजा ने महिला सैनिकों को आदेश देते हुए बोला, ब्राह्मण का लड़का मर चुका है, अब कोई चिंता की बात नहीं है राजकुमारी को आजाद कर दो
सैनिकों ने राजकुमारी को आजाद कर दिया। फिर राजकुमारी भेष बदलकर राज महल के बाहर निकल गई, और उसी पहाड़ी में चली गई जहां पर ब्राम्हण का लड़का का हत्या की गई थी, राजकुमारी उसी खोह हमें छलांग लगाकर अपनी जान दे दी,
वह दोनों का मिलन नहीं हुआ इसीलिए और शैतान का रूप धारण कर लिए और जो भी उधर जाता है वह उसे मार डालते हैं,
दादाजी ने कहानी सुनाना बंद कर दी, फिर मैंने दादा जी से पूछा दादा जी क्या यह समस्या का कोई हल नहीं है? दादाजी ने जवाब दिया अभी तक तो कोई हल दिखाई नहीं पड़ा इसका यही उपाय है कि उस पहाड़ी पर कोई ना जाए।
फिर हम सब लोग घर चले गए और मैं अपने बिस्तर पर लेट गया और मैं इसी के बारे में सोचने लगा कि इस समस्या का समाधान कैसे हो, सोचते सोचते मुझे नींद आ गई, मैंने एक सपना देखा, सपने में एक राजा और एक रानी आई और मुझसे बोली ।कि तुम हमारे बारे में जानने की कोशिश कर रहे हो, तुम हमें मुक्ति दिला दो, इतना कह कर के दोनों व्यक्ति अदृश्य हो जाते हैं।
और मेरी आंख खुल जाती है, फिर मैं सोचने लगा कि मुझे कुछ ना कुछ करना चाहिए तभी जाकर के इस समस्या का समाधान होगा, सुबह मैं जल्दी उठ करके इसके बारे में पता लगाने चला गया कि इस समस्या का समाधान कैसे किया जाए, बहुत पता लगाने के बाद मुझे एक ऐसे ब्राम्हण की पता चला जो कि शास्त्र के ज्ञाता और बड़े धर्मात्मा हैं,
फिर मैं उनके पास गया और उनसे सारी बात बताई फिर हमारी बात सुन कर के वह कुछ सोचने लगे, सोचने के बाद फिर वो बोले इस समस्या का समाधान है मरते समय उन दोनों का मिलन नहीं हुआ था अगर उनका शरीर का मिट्टी का तो पुतला बनाकर के एक स्त्रीलिंग एक पुलिंग और दोनों पुतले को शादी कर दिया जाए तो वह दोनों का मिलन हो जाएगा,
और वह दोनों मुक्त होकर के अपने लोक चले जाएंगे और उस पहाड़ी पर शांति ही शांति छा जाएगी, ठीक है पंडित जी मैं यही करवाता हूं नमस्कार, मैंने पंडित जी को प्रणाम करके उनसे आशीर्वाद लिया आशीर्वाद लेने के बाद मैं अपने गांव में वापस आ गया।
गांव में आकर के मायने गांव में एक पंचायत बुलाई और पंचायत में सारी बात बता दी, गाओ वाले भि उस पहाड़ी से त्रस्त खा चुके थे, इसीलिए उन्होंने सोचा कि चलो यह करके देख लेते हैं शायद हमें इससे छुटकारा मिल जाए।
गांव के कुछ लोग और मैं ग्रुप बनाकर के पहाड़ी के ऊपर गए, जहां पर ब्राम्हण और राजकुमारी की मृत्यु हुई थी, और मैं रस्सी के सहारे उस खोह में उतर गया, और वहां से कुछ मिट्टी उठा लि,
मिट्टी का दो पुतला बनाकर के दोनों का विधिवत विवाह कर दिया विवाह करने के बाद हम वहां के आसपास के मंदिरों में गांव वालो के साथ पूजा और प्रार्थना की।
जब मैं घर वापस आया तब तक बहुत रात हो चुकी थी और मैं बिस्तर पर लेट गया, थोड़ी ही देर में मुझे नींद आ गई और मुझे सपना भी आया, सपने में और राजा और रानी मुझे धन्यवाद किये।
और वहां से अदृश्य हो गए, तब से उस पहाड़ी की ओर बच्चे बूढ़े जवान जानवर इंसान सभी लोग आना जाना चालू कर दिए अब वहां पर कोई डर नहीं रह गया और नहीं कोई चिंता की बात है।
फिर से मैं उस नाहर पर गया जहां पर लड़की चुड़ैल का रूप धारण करती थी, जाते ही मैं वहां पर चुपचाप बैठ गया, फिर से वह लड़की मेरे पास सामने आ गई और मुझे बस में करने लगी, लेकिन मैंने आव देखा ना ताव उस लड़की को बालों सहित पकड़ा, उसी रात को गांव में ले गया और सारे गांव वाले को जगाया और सारी बात बताई, गाओ वाले ने उसको उचित दंड दिया और फिर उसका शादी कर दी गई।
फिर हमारे गांव में शांति ही शांति थी ना ही कोई डर ना ही कोई भाई लोग बहुत आराम से रहते थे।।
(समाप्त)