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चरित्रहीन औरत

20 नवम्बर 2022

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एक गांव में राजा और राकेश रहा करते थे, राजा बहुत ही अमीर परिवार में से विलोम करता था, लेकिन राकेश गरीब था, राजा और राकेश बचपन के ही दोस्त हुआ करते थे, दोनों का दोस्ती इतनी गहरी थी इनका चर्चा दूर-दूर तक हुआ करता था।

राजा के परिवार अमीर होने के कारण बहुत ही घमंडी  था, लेकिन राकेश का परिवार गरीब होने के कारण सीधा-साधा साधारण जीवन यापन करता था, राजा और राकेश दोनों ही मनचले थे, राजा पढ़ाई लिखाई में बहुत कमजोर था, राकेश पढ़ाई लिखाई में बहुत ही होशियार था, 1 दिन राजा ने राकेश को बोला राकेश चलो कहीं घूमने चलते हैं, राकेश ने उदास स्वर में बोला तुम जाओ दोस्त मैं नहीं जाऊंगा, क्योंकि मुझे पढ़ाई करनी है।

राजा ने राकेश को बोलते हुए समझाया तुम पढ़ाई का बहाना मत बनाओ मैं जानता हूं कि तुम्हारे पास अच्छे कपड़े और पैसे नहीं हैं इसलिए तुम जाना नहीं चाहते। राकेश ने राजा की बात सुनकर के सर झुका ली, फिर राजा ने बोला चलो मेरे पास बहुत सारे कपड़े हैं उनमें से एक पहन लो लेकिन  तुम मेरे साथ घूमने के लिए जरूर चलोगे, तुम्हें मेरी दोस्ती की कसम है,

राकेश ने राजा से बोला, इस समय कसम देने की क्या जरूरत है दोस्त तुम्हारा आदेश सर आंखों पर। फिर दोनों दोस्त घूमने के लिए चले जाते हैं वहां पर पार्टियों में शराब के अड्डों पर दोनों ने खूब ऐश किया और घर वापस आ गये। वह दोनों फिर से कॉलेज जाना स्टार्ट कर दिए उनकी गांव से कॉलेज बहुत ही दूर थी।

उनके कॉलेज के रास्ते में एक सुंदर सी गांव पढ़ती थी उस गांव में एक लड़की रहती थी सविता, सविता पैसों की बहुत लालची थी अमीर घर के लड़कों को फसाना और उनको लूटना यही उसका पेसा था, उसके घर के सामने एक पानी का नल था जिससे लोग पानी पिया करते थे, फिर क्या था वह दोनों दोस्त राकेश और राजा अपनी कार से कॉलेज जा रहे थे, राकेश बोला आगे एक नल है मुझे प्यास लगी है गाड़ी थोड़ी रोक देना,

फिर राजा ने गाड़ी रोक दी, और दोनों वहां पर पानी पीने लगे, गाड़ी की रुकने की आवाज सुनकर के सविता अपने घर से बाहर आई, सविता को राजा और राकेश ने जब देखा उनकी आंखें चकाचौंध रह गई, सविता बेहद खूबसूरत थी उसकी खूबसूरती की प्रशंसा पूरा गांव किया करता था।

राजा और राकेश की, नजरें सविता के ओर गई और वह दोनों उस पर फिदा हो गए, फिर राजा ने गाड़ी स्टार्ट किया और कॉलेज चले गए,

कॉलेज में जाकर के वह दोनों अपने क्लास में पढ़ाई  करने लगे दोनों के दिमाग में उस लड़की का चेहरा ही घूम रहा था, क्योंकि  वो लड़की थी ही इतनी खूबसूरत, जो कोई भी उसको देखता था, उसके पीछे पागल हो जाता था,

फिर वह दोनों हमेशा उसके दरवाजे वाले नल पर गाड़ी रोक कर पानी पिया करते थे और उस लड़की से बातचीत किया करते थे, सविता हमेशा राजा और राकेश को बराबर की भाव देती थी, राजा और राकेश को समझ में नहीं आ रहा था कि वह हम दोनों में से किसको पसंद करती है,

राकेश एक दिन मन ही मन सोचा क्यों ना मैं अकेले में इस लड़की से बात करूं, फिर क्या था दो-तीन दिन बाद राकेश अकेला उसको एक जंगल के किनारे बुलाया, सविता तो थी ही चरित्रहीन उसके बुलाने पर और जंगल के किनारे चला गय,

राकेश भी उधर से जंगल के किनारे आ गया और दोनों में बातचीत चालू हो गई बातचीत के दौरान राकेश ने सविता को प्यार का इजहार करते हुये बोला, सविता मैं गरीब हूं मेरा दोस्त राजा बहुत अमीर है, तुम भी गरीब हो, इसीलिए मैंने तुम्हें यहां पर बुलाया है, यह पूछने के लिए कि तुम मुझसे प्यार करती हो,

सविता कुछ सोचती है, फिर जवाब देती है हां मैं तुमसे प्यार करती हूं,  एक दूसरे के गले लग जाते हैं, गले लगते ही दोनों के अंदर एक अजीब सा महसूस होता है, दोनों के चेहरे पर पसीना आ जाता है, फिर  एक दूसरे के हाथ पकड़ के जंगल की भीतरी हिस्से में चले जाते हैं, और वहां जाकर के भरपूर प्यार का आनंद लेते हैं, थोड़ी देर में बाहर आते हैं, तो उनकी चेहरे पर पसीना ही पसीना होता है और सविता की बाल बिखरे होते हैं उसके कपड़े भी बिखरे रहे होते हैं, फिर वो जल्दी जल्दी से अपने कपड़े और बालों को ठीक करती है।

राजेश उससे बोलता है सविता बहुत लेट हो चुका है चलो तुम्हारा घर छोड़ दूं इसके बाद मैं अपने घर वापस चले जाऊंगा, सविता ने लंबी सांस लेते हुए बोली, ठीक है जानू अब चलते हैं, सविता ने राजेश को अपनी प्यार में पूरी तरह से फसा लिया, इसके बाद दोनों अपने अपने घर चले जाते हैं।

दूसरे दिन सुबह जब राजा अपनी कार लेकर के कॉलेज की ओर जाने के लिए राजेश को बुलाया तो राजेश सुबह बहुत देर तक सो रहा था, राजा राजेश के कमरे में गया, और बोला राजेश आज कॉलेज नहीं जाना, राजेश ने जवाब देते हुए बोला आज तुम अकेले ही जाओ मेरी तबीयत सही नहीं है,

तब राजा ने उसे कहा ठीक है तुम आराम करो मैं आज अकेले ही कॉलेज जाऊंगा, राजा के मन में लड्डू फूट रहे थे, उसे बहाना मिल चुका था सविता से अकेले में बात करने के लिए, राजा गाड़ी स्टार्ट किया और तेजी से कॉलेज की ओर निकल गया, थोड़ी ही देर में ओ सविता के गांव पहुंच गया और उसके दरवाजे पर गाड़ी रोक दी, इतने में सविता बाहर आ गई जैसे राजा का इंतजार कर रही हो।

फिर सविता बोली राजा और तुम्हारा दोस्त राकेश नहीं आया है, राजा बोला नहीं आज उसका तबीयत कुछ ठीक नहीं है इसीलिए आज मैं अकेला ही आया हूं, फिर राजा ने सविता के तरफ देखते हुए बोला, सविता आज तुम शाम को क्या कर रही हो, सविता ने जवाब दिया कुछ नहीं बस फ्री हूं, राजा बोला आज शाम को कहीं डिनर पर चलें, सविता तो बस मौके के इंतजार में थी कि कब राजा इस तरह की बातें करें कि हम राजा को अपने जाल में फंसा ले, राजेश को तो उसने फंसा ही लिया था, राजा ने फिर बोला क्या सोच रही हो जवाब नहीं दिया, सविता ने बोला बस ऐसे ही, ठीक है शाम को मिलते हैं, राजा सविता की बातें सुनकर के बहुत खुश हुआ और उछलते कुदते गाड़ी में बैठा और अपने कॉलेज की ओर चल दिया।

राजा अपने कॉलेज जा कर के पढ़ाई करने लगा, लेकिन उसे अपने पढ़ाई में मन नहीं लग रहा था, उसका समय जैसे गुर्जर ही नहीं रहा था, जैसे तैसे साम हुआ नहीं, राजा कॉलेज से सबसे पहले बाहर निकला और अपनी गाड़ी में बैठकर तेजी से सविता की घर की ओर चल दिया,

जब राजा सविता के घर के पास पहुंचा तो सविता तैयार होकर के खड़ी थि जैसे उसी का इंतजार कर रही हो। फिर राजा ने गाड़ी उसके सामने खड़ी की और सविता गेट खोल करके अंदर बैठ गई,

फिर वो दोनों एक अच्छे से होटल में डिनर करने चले गये, डिनर करते उनको बहुत रात बित गई, दोनों वापस अपने कार में आ गए, राजा कार चलाने लगा और एक सुनसान रास्ते में जाने लगा, यह देख कर के सविता बोली, तुम इस रास्ते में गाड़ी कैसे ले जा रहे हो, राजा बोला बस तुम्हारे साथ कुछ टाइम बिताने का समय निकालने की कोशिश कर रहा हूं। तब सविता मन में सोचने लगी चलो मछली जाल में तो फंसी।

राजा के मन में लड्डू फूट रहे थे कि आज तो खूब मजे करेगा, सविता धीरे-धीरे उसके नजदीक आने लगी, उसका शरीर राजा के शरीर से टच करने लगा, राजा अपना होश खोने लगा, यह क्या कर रही हो जानू मुझे गुदगुदी हो रही है, सविता ने उसे बोला आज मैं तुमको जन्नत की सैर कर आऊंगी इसी धरती पर आज मैं तुम्हें जन्नत दिखाऊंगी, राजा जोर जोर से सांस लेने लगा और उसका एक पैर गाड़ी के ब्रेक कि ओर चला गया, जिससे गाड़ी रुक गई।

फिर वह दोनों एक दूसरे को बाहों में भर लिये और जोर-जोर से सांसे लेने लगे, फिर थोड़ी ही देर बाद गाड़ी की लाइट बंद हो जाती है और अंदर से कुछ सुनाई नहीं देता है, कुछ ही देर बाद राजा अपने कार से बाहर निकलता हैं उसके चेहरे पर पसीना ही पसीना रहता है, अपने कार से पानी का बोतल निकाल कर थोड़ा पानी पीता है और चैन की सांस लेता है।

पीछे से सविता निकलती है लेकिन उसका चेहरा बहुत उदास होता है क्योंकि राजा उसकी भूख को नहीं मिटा पाया था, इसी तरह बहुत दिन गुजर गए,

राजा और राजेश को सविता बहुत बुरी तरह से अपने प्यार के जाल में फंसा चूकि थी , लेकिन दोनों को एक दूसरे के बारे में खबर नहीं था  सविता से कौन प्यार करता है और कौन नहीं,

राजा पैसे वाला था इसलिए राजा तो उसको पैसे दे पाता था लेकिन उसका भूख तो नहीं मिटा पाता था लेकिन राजेश उसकी भूख को मिटाने में सक्षम था, सविता इस बात को जानती थी कि अगर राजा अपने घर वाले से मेरी और राजा की शादी के लिए बात करेगा तो उसके घर वाले जरूर मना कर देंगे क्योंकि वह एक अमीर  है।

सविता ने राजा को बोला अब हम दोनों को शादी कर लेना चाहिए सो जाओ अपने मम्मी पापा से इजाजत लेकर के आओ, राजा जाता है और अपने मम्मी पापा को सारी बात बताता है लेकिन उसके मम्मी पापा साफ इनकार कर देते हैं बोलते हैं, बदतमीज लड़के तुम एक सड़क छाप लड़की से शादी करना चाहता है बिरादरी में मेरा नाक कटवाना चाहता है मेरे नजरों से दूर हो जा मैं तुम्हें जायदाद से बेदखल कर दूंगा।

तब राजा सोचने लगा कि मेरे पिता और माता मेरे को जायदाद से अगर बेदखल कर दिए तो मैं सड़क पर आ जाऊंगा इस से अच्छा है कि कोई दूसरा उपाय ढूंढा जाए।

राजा ने आकर के सारी बात सविता को बताई, सबिता सोचने लगी अगर राजा के पास पैसे नहीं रहेंगे तो मैं इससे शादी करके क्या करूं मैं इस से अच्छा है कि कुछ करना चाहिए।

उधर राजेश भी सविता का प्यार में पागल हो रहा था सविता नाम की लड़की ने दोनों को इस तरह से फंसाया हुआ था जैसे जाल में मछली तड़प रही हो,

सविता ने राजा से बोला अगर हमारी शादी नहीं होगी तो कुछ न कुछ हमें करना पड़ेगा, राजा बोला आखिर हम करेंगे ही क्या, सविता बोली तुमको मुझसे प्यार करने से ही तो मतलब है, राजा बोला हां मैं तुम्हें अपने नजरों के सामने देखना चाहता हूं।

तब सविता ने बोला कि एक उपाय है तुम्हारा दोस्त राजेश मुझसे अंदर ही अंदर प्रेम करता है तुम मेरी शादी उससे करवा दो फिर हम और तुम एक दूसरे से मिलते जुलते रहेंगे और किसी को शक भी नहीं होगा क्योंकि राजेश तुम्हारा दोस्त है इसलिए वह भी मेरे पे शक नहीं करेगा, मेरा दोस्त से तुम्हारी शादी भला यह कैसे हो सकता है यह तो मेरे दोस्त के साथ गद्दारी होगी, फिर सविता बोली अगर दोस्त की ही इतनी चिंता है तो  मुझे छोड़ दो तुम्हें मेरा प्यार पर विश्वास नहीं, लेकिन राजा सविता को छोड़ना नहीं चाहता था,

राजा ने हां बोल दी, राजेश उस के दूसरे दिन सविता से मिलने के लिए आया दोनों ने मिलकर खूब एस किए और मजे किए, सविता राजेश को गले लगाते हुए बोली, राजेश अब बहुत बदनामी हो रही है, हमें शादी कर लेनी चाहिए, नहीं तो दुनिया वाले हमें जीने नहीं देंगे, तुम जाओ और कल ही अपने मम्मी पापा से हमारी शादी की बात करो।

राजेश ने अपने घर जा कर के अपने मम्मी पापा से सविता के बारे में बताया और उससे शादी की इच्छा जताई उसके मम्मी पापा तुरंत मान गए क्योंकि वह बहुत गरीब थे। फिर क्या था दोनों की शादी कर दी गई, दोनों साथ-साथ रहने लगे लेकिन चोरी छुपे राजा भी उसके बिस्तर पर दो-दो तीन-तीन घंटे रहा करता था।

लोग कहा करते हैं दोस्तों की बात छुपाने से छुपती नहीं है, धीरे धीरे यह बात दोनों परिवारों में फैल गई दोनों परिवारों का दोस्ती खत्म हो चुका था और दुश्मनी में बदल गया था, सही कहा जाता है दोस्तों की नारी से ही रामायण नारी से ही महाभारत जितनी भी इतिहास है नारी से ही बना है।

दुश्मनी होने के बावजूद भी राजा सविता से चोरी छुपे मुलाकात करने जाया करता था, फिर राजेश और उसके घर वाले को भी सारी बात पता चल गया, और उन्होंने प्लान बनाया कि हम राजेश को रंगे हाथ पकड़ेगे और गांव वाले के सामने उसे ले जाएंगे और पंचायत करेंगे, जब यह बात सविता को पता चली, तो वह चिंता में पड़ गई, अगर वह राजा को छोड़ती है तो पैसे कौन देगा अगर राजेश को छोड़ती है तो उसका शारीरिक भूख कौन मिटाएगा।

गांव वालों के सामने अगर बात आ गई तो बहुत बदनामी होगी, लेकिन उसके चतुर दिमाग में एक चाल समझ में आ रही थी, उसने सोचा कि अगर पैसे रहे तो मर्दाना ताकत तो बहुत मिलेगा।

फिर ओ सविता राजा को चोरी चुपके बुलाती है और सारी बात बताती है, और फिर बोलती है कि हमें अगर एक होकर रहना है और बदनामी से बचना है तो हमें राजेश को रास्ते से हटाना होगा, राजा ने उससे बोला वह कैसे, उसने राजा के कान में कुछ समझाई , पहले तो राजा तैयार नहीं हुआ फिर बाद में सविता ने अपना त्रिया चरित्र में उसको फंसा कर उसे मना लिया,

एक रात राजेश और सविता एक बिस्तर पर सो रहे थे उसी समय रात को राजा उन लोग के कमरे में चोरी से घुस गया, फिर और दोनों मिलकर के राजेश का कत्ल कर दिया। क़त्ल करने के बाद पूरे घर में हंगामा हो गया इसके बाद पुलिस आई और छानबीन करना चालू कर दी, राजा पकड़ा गया और उसने सारी बात सच सच बताया, फिर सविता को भी पुलिस पकड़ कर ले गई और कोट में राजा को फांसी की सजा सुनाई और सविता को आजीवन कारावास।

जी हां दोस्तों इस तरह की लड़कियों से और औरतों से या फिर पुरुषों से बच के रहें जो कि पैसे की लालच में किसी भी हद तक गिर सकते हैं फिर मिलूंगा अगले नए कहानी में तब तक के लिए जय हिंद जय भारत।।।




(समाप्त)





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रचनाएँ
प्यार के दो रंग
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गर्मी का मौसम था। चांदनी रात था। हम सब दोस्त बाहर रोड के किनारे अपने खलिहान में बैठे हुए थे। हमारे बीच एक बुजुर्ग भी बैठा करते थे जिन्हें हम दादा जी कहा करते हैं। मैं बोला दादा जी मैं नहर के किनारे से घूम करके आता हूं, दादा जी ने हमें डांटते हुए बोला अभी कहां जाएगा रात को 11:00 बज रहे हैं नहर के किनारे जाना खतरे से खाली नहीं है। दादाजी को हंसते हुए जवाब दिया, दादा जी आखिर ऐसी क्या बात है जो कि नहर के किनारे रात को हम नहीं जा सकते हैं यह तो हमारा अपना गांव है हम यहां पर कहीं भी जा सकते हैं। दादा जी ने हमें समझाते हुए बोला अरे... लोग कहते  हैं रात को नहर के किनारे चुड़ैल निकलती है और इंसानों को मार देती है, यह बात मुझे बड़ी अजीब लगी और मैं इसके बारे में सोचने लगा मैंने सोचा मैं इसके बारे में पता जरूर लगाऊंगा। फिर दूसरे दिन रात को हम गपशप कर रहे थे, रात को 11:00 बज रहे थे, कि मैं चुपचाप से उठकर घर के पीछे वाले रास्ते से नहर के किनारे चला गया, फिर मैं वहां पर चुपचाप बैठ गया। थोड़ी ही देर बाद मुझे एक पायल की आवाज आई, जैसे कोई लड़की चल रही हो, मैंने बोला कौन है.. कौन हो तुम? फिर एक लड़की अचानक से मेरे सामने प्रकट हो गई। उसका बड़े बड़े काले बाल हवा में बिखरे हुए उड़ रहे थे उसकी आंखें जैसे आग की अंगारों की तरह  रही थी उसके दोनों हाथ के नाखून जैसे तलवार से भी तेज थे, लाल कपड़ों में लिपटी हुई थी। फिर मैंने उससे पूछा कौन हो तुम। उसने भारी आवाज में मुझे जवाब दिया, तुम कौन हो और तुम यहां क्या कर रहे हो तुम्हें पता नहीं की रात को हमारे सीमा के अंदर आना जानलेवा हो सकता है। मैंने जवाब दिया, तुम चाहे जो भी हो तुम यहां के लोगों को डरा रही हो तुम यहां से चली जाओ वरना तुम्हारे लिए ठीक नहीं होगा, उसने फिर अपने चेहरे से काले बालो को हटाया, फिर मैं उसका चेहरा देख कर के सहम गया, क्योंकि और कोई भूत प्रेत नहीं थी वह एक इंसान थी, हमारे गांव की एक नाउ की बेटी थी जो की चुड़ैल बने फिर रही थी, और लोगों को डरा रही थी। फिर और लड़की ने मेरे तरफ देखा उसके देखते ही मैं उसके बस में हो गया, ओ आगे आगे चलने लगी और मैं उसके पीछे पीछे जैसे खींचा हुआ चला जा रहा था। फिर वह मुझे श्मशान घाट लेकर के चली गई, और सामने खड़े होकर के मेरे सट की ऊपर वाले बटन को खोलती है, और मुझे बोली आज मैं तुमको इतना प्यार

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