मेरी धर्मपत्नी श्रीमती शिक्षा द्वारा विवाह के लगभग 18 वर्ष पश्चात पुनः नए सिरे से तैयारी व् कड़ी मेहनत से सरकारी अध्यापिका की नौकरी प्राप्त करने पर उन्हें मेरी ओर से कविता के रूप मैं एक तुच्छ भेंट .....
नववर्ष मुबारक हो तुमको,
नवहर्ष मुबारक हो तुमको |
जिसने सपना साकार किया ,
वो संघर्ष मुबारक हो तुमको ||
श्रम-अग्नि मैं तन तपा तपा ,
ये कुंदन तुमने पाया है |
परिश्रम सफलता की कुंजी ,
तुमने हमको सिखलाया है ||
लक्ष्य को जिसने ना डिगने दिया,
वो विश्वास मुबारक हो तुमको ||
इस पारिवारिक माला की ,
इक मजबूत डोर हो तुम |
इस घर संसार के कण कण मैं,
जहाँ देखो चहुँ ओर हो तुम ||
नित नूतन सा इस जीवन का ,
उत्कर्ष मुबारक हो तुमको |
अध्यापन का ये कर्मक्षेत्र ,
स्वागत मैं तेरे खड़ा हुआ |
तेरा नाम सार्थक अब होगा,
ज्यों रत्न मुकुट मैं जड़ा हुआ ||
मेहनत की पुरवाई से जो आया,
वो बसंत मुबारक हो तुमको |
शब्दों का प्याला लघु मेरा ,
पर दिल भावों से भरा हुआ |
उदगार ये मेरे सच्चे हैं,
तुझसे ही बाग़ ये हरा हुआ ||
जीवन मैं सदा तुम उन्नति करो
ये प्यार मुबारक हो तुमको ,
नववर्ष मुबारक हो तुमको ,
नवहर्ष मुबारक हो तुमको |